अभिनव न्यूज।
जयपुर: राजस्थान के लाखों स्टूडेंट्स का इंतजार 29 नवंबर को खत्म हो जाएगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जयपुर से बाल गोपाल और फ्री स्कूल यूनिफार्म योजना की वर्चुअली शुरुआत करेंगे। जिसके तहत प्रदेश के 67 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स को फ्री दूध और स्कूल ड्रेस दी जाएंगी। इस दौरान प्रदेश के 33 जिलों में ब्लॉक और ग्राम पंचायत स्तर पर वर्चुअल कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधि के साथ जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारी मौजूद रहेंगे।
बता दें कि इससे पहले बाल गोपाल और फ्री स्कूल ड्रेस योजना की 15 नवंबर को जयपुर के SMS स्टेडियम में शुरुआत होने वाली थी। लेकिन कार्यक्रम से एक दिन पहले 14 नवंबर को ही मुख्यमंत्री की व्यस्तता के चलते कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था। वहीं अब 14 दिन बाद वर्चुअल कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। जिसमें शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ मौजूद रहेंगे।
सिलवाई के लिए दिए जाएंगे 200 रुपए
शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के 64,479 सरकारी स्कूलों के कक्षा 1 से 8 तक पढ़ने वाले 67 लाख से ज्यादा बच्चों को राज्य सरकार की ओर से फ्री स्कूल यूनिफार्म फैब्रिक के दो सेट उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ ही यूनिफार्म सिलवाने के लिए प्रत्येक स्टूडेंट के खाते में 200 रुपये का भुगतान किया जाएगा। राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद आयुक्त मोहन लाल यादव ने बताया की प्रदेशभर में जिला और ब्लाक स्तर फेब्रिक पहुंचाने का काम लगभग पूरा हो गया है।
ऐसे में ब्लाक स्तर के पीईईओ और यूसीईईओ के जरिए स्कूलों में यूनिफॉर्म के फैब्रिक वितरित किये जाएंगे। हालांकि यह फैब्रिक सिर्फ उन ही बच्चों को दिए जाएंगे। जिन्होंने कक्षा 1 से 8 तक में 30 अगस्त 2022 तक एडमिशन ले लिए है।
मिल्क पाउडर से तैयार किया जाएगा दूध
राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद आयुक्त मोहन लाल यादव ने बताया कि सरकारी स्कूलों में बाल गोपाल योजना के तहत कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को 150 लीटर और कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को 200 मिली लीटर मिल्क पाउडर से बना दूध प्रार्थन सभा के बाद दिया जाएगा। इसके लिए राजस्थान को-आपरेटिव डेयरी फैडरेशन से मिल्क पॉउडर की खरीद की जाएगी।
इसके बाद मिड डे मिल आयुक्तालय के माध्यम से उसका जिलेवार आवंटन किया गया है। वहीं आऱसीडीएफ द्वारा ही आवंटन के अनुसार विद्यालयों तक पाउडर मिल्क की डोर स्टेप आपूर्ति की जाएगी। इस योजना में दूध वितरण की जिम्मेदारी विद्यालय प्रबंधन समिति की रहेगी। जबकि दूध की गुणवत्ता फेडरेशन और एसएमसी द्वारा जांची जाएगी।