अभिनव न्यूज।
बीकानेर: बेसिक पी.जी. महाविद्यालय में आयोजित हो रही तीन दिवसीय विज्ञान प्रदर्शनी के तीसरे दिन के समापन समारोह के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. रविन्द्र मंगल, कुलपति, आरएनबी ग्लोबल विश्वविद्यालय, बीकानेर, विशिष्ट अतिथि डॉ. मनोज कुड़ी, प्राचार्य, ईसीबी महाविद्यालय, बीकानेर, डॉ. विजयशंकर आचार्य, एसोसिएट प्रोफेसर, स्वामी केशवानन्द राजस्थान एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय, बीकानेर एवं श्री रामजी व्यास, अध्यक्ष, महाविद्यालय प्रबन्ध समिति उपस्थित रहे।
इस अवसर पर महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित ने बताया कि आज विज्ञान प्रदर्शनी के समापन समारोह पर विद्यार्थियों ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण, वैज्ञानिक अर्न्तदृष्टि और रचनात्मकता के साथ विज्ञान व भौतिकी में अभिरूचि को दर्शाते हुए मॉडल बनाए। इसमें कृषि व पशुपालन, स्वछता, सीवरेज ट्रीटमेन्ट, सौर ऊर्जा, वायु प्रदूषण, हाइड्रोलीक जेसीबी, विद्युत परिपथ, लेंस से प्रतिबिंब बनना, दबाव से चलने वाला फव्वारा, पवन चक्की, दुर्घटना से बचाव हेतु सेंसर सिस्टम, मानव उत्सर्जन तंत्र, ध्वनि तरंग, भूकंप रोधी एलार्म, अनुनाद, स्पेक्ट्रम आफ लाइट, बहुलक मे रिसाइक्लिंग, मानव उत्सर्जन तंत्र प्रदर्श, रेडिएशन बायोलॉजी तथा विज्ञान के कई मॉडल शामिल थे। विज्ञान प्रदशर्नी के समापन अवसर पर भी सीनियर सैकण्डरी स्तर के लगभग 500 से अधिक विद्यार्थियों ने इस प्रदशर्नी का अवलोकन किया। इस दौरान विद्यालयों के छात्र-छात्राओं के अलावा दर्जनों अभिभावकों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए महाविद्यालय के विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
समापन समारोह के दौरान आरएनबी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रविन्द्र मंगल ने बताया कि विज्ञान की भूमिका मानव कल्याण की है, परन्तु विज्ञान के प्रयोग में यदि संवेदना शामिल न हो तो इसकी भूमिका नकारात्मक भी प्रकाश में आती है। डॉ. मंगल ने बताया कि भारत ज्ञान-विज्ञान की भूमि रही है और भारत में विज्ञान की परम्परा प्राचीन काल से है। प्राचीन काल में ऋषि मुनि शास्त्र के साथ विज्ञान के भी जानकार थे। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक शोध मनुष्य के कल्याण के लिए होना चाहिए।
समापन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में ईसीबी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. मनोज कुड़ी ने बताया कि विकास और विज्ञान के माध्यम से एक समन्वय स्थापित किया जाना चाहिए यदि हम विकास के लिए प्रकृति से कुछ लेते हैं तो उसे हमें कई गुणा करके लौटाना भी चाहिए। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डॉ. विजयशंकर आचार्य ने कहा विज्ञान को विध्वंसकारी ताकतों से बचाया जाना चाहिए। विज्ञान की भूमिका मानवता के कल्याण में बहुत बड़ी है। उन्होंने कहा कि भारत वैज्ञानिक चिन्तन की परम्परा का देश है। महाकाव्यों में वैज्ञानिक उन्नति के प्रमाण मिलते हैं। समापन के दौरान अतिथियों ने विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए विभिन्न आकर्षक एवं महत्वपूर्ण मॉडलों की प्रशंसा करते हुए उनका उत्साहवर्द्धन भी किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय स्टाफ सदस्य डॉ. मुकेश ओझा, डॉ. रमेश पुरोहित, डॉ. रोशनी शर्मा, श्री वासुदेव पंवार, श्रीमती माधुरी पुरोहित, श्रीमती प्रभा बिस्सा, श्री सौरभ महात्मा, सुश्री संध्या व्यास, सुश्री श्वेता पुरोहित, सुश्री प्रियंका देवड़ा, श्रीमती अर्चना व्यास, श्री अजय स्वामी, श्री जयप्रकाश, श्री हिमांशु व्यास, श्री गणेश दास व्यास, सुश्री जयन्ती व्यास, सुश्री ज्योत्सना पुरोहित, डॉ. नमामिशंकर आचार्य, श्री हितेश पुरोहित, श्री पंकज पाण्डे, श्री महेन्द्र आचार्य, श्री शिवशंकर उपाध्याय, श्री राजीव पुरोहित आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा।