अभिनव टाइम्स । 23 अगस्त को भाद्रपद महीने की एकादशी का व्रत किया जाएगा। इस दिन तिथि, वार, नक्षत्र और ग्रहों से मिलकर चार शुभ योग बन रहे हैं। इस संयोग में व्रत और दान करने से मिलने वाला पुण्य और बढ़ जाएगा। पुराणों में अजा एकादशी को जया एकादशी भी कहा गया है। इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की पूजा करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप और दोष खत्म होते हैं।
चार शुभ योगों वाला दिन
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि मंगलवार, 23 अगस्त के ग्रह, नक्षत्र से सिद्धि और चर योग बन रहे हैं। इनके अलावा गुरु के अपनी ही राशि यानी मीन में होने से हंस नाम का महापुरुष योग बनेगा। वहीं, तिथि, वार और नक्षत्र से त्रिपुष्कर योग बन रहा है। इस शुभ योग में किए गए शुभ काम का तीन गुना फायदा मिलता है। सितारों की इस शुभ स्थिति में किया गया दान और व्रत अक्षय पुण्य देने वाला रहेगा।
तिथि 22 को लेकिन व्रत 23 को
डॉ. मिश्र बताते का कहना है कि एकादशी तिथि 22 को पूरे दिन रहेगी लेकिन व्रत 23 को होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि मंगलवार को एकादशी तिथि सूर्योदय के पहले और बाद तक रहेगी। द्वादशी तिथि के साथ होने से इसी दिन व्रत करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। ये दोनों तिथियां भगवान विष्णु को प्रिय है इसलिए भगवान विष्णु की उपासना के लिए 23 अगस्त बहुत ही खास दिन रहेगा।
एकादशी का महत्व
भगवान शिव ने महर्षि नारद को उपदेश देते हुए कहा कि एकादशी महान पुण्य देने वाला व्रत है। श्रेष्ठ मुनियों को भी इसका अनुष्ठान करना चाहिए। एकादशी व्रत के दिन का निर्धारण जहां ज्योतिष गणना के मुताबिक होता है, वहीं उनका नक्षत्र आगे-पीछे आने वाली अन्य तिथियों के साथ संबध व्रत का महत्व और बढ़ाता है।
व्रत में क्या खा सकते हैं और क्या नहीं
इस व्रत में एक समय फलाहारी भोजन ही किया जाता है। व्रत करने वाले को किसी भी तरह का अनाज सामान्य नमक, लाल मिर्च और अन्य मसाले नहीं खाने चाहिए। कुटू और सिंघाड़े का आटा, रामदाना, खोए से बनी मिठाईयां, दूध-दही और फलों का प्रयोग इस व्रत में किया जाता है और दान भी इन्हीं वस्तुओं का किया जाता है। एकादशी का व्रत करने के बाद दूसरे दिन द्वादशी को भोजन योग्य आटा, दाल, नमक,घी आदि और कुछ धन रखकर सीधे के रूप में दान करने का विधान है।