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Sunday, November 24

81 वर्ष के ऊर्जावान युवा अभिनेता : असरानी

अभिनव डेस्क | हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री अपनी शुरुआत से लेकर अब तक कई बातो में भाग्यशाली रही है। सबसे पहली बात तो ये कि इस फिल्म इंडस्ट्री को दर्शक हमेशा उपलब्ध रहे हैं। वरना हमारे इसी भारत में एक जमाने में बेहद लोकप्रिय रहे अनेक क्षेत्रीय सिनेमा आज मरणासन्न स्थिति में हैं। हिन्दी सिनेमा ने आज तक सफलतापूर्वक इतना लम्बा सफर इसीलिए तय किया है कि उसे हर कालखंड में प्रतिभाशाली लोग मिलते रहे हैं । हिन्दी फिल्मों को अपने दौर के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, निर्देशक, संगीतकार, गायक और कथा- पटकथा लेखक मिलते रहे हैं । देश भर के प्रतिभासंपन्न लोगों का मुम्बई के प्रति आकर्षण हिन्दी सिनेमा को आज तक प्राणवायु देता रहा है। हिन्दी फिल्मों के एक ऐसे ही मंझे हुए अभिनेता हैं असरानी। वैसे उनका जिक्र हमेशा एक हास्य अभिनेता के रूप में किया जाता है लेकिन सुखद बात यह है कि वे एक सम्पूर्ण अभिनेता होने के साथ ही एक कुशल निर्देशक और पब्लिक को घण्टों तक बांधकर रख सकने वाले शो मैन हैं।

असरानी के हर साक्षात्कार में उनकी फिल्म ‘शोले’ के किरदार अंग्रेजों के जमाने के जेलर के सवाल जरूर किए जाते हैं। इस फिल्म को 47 साल हो गए लेकिन असरानी की कालजयी कॉमेडी की खुमारी न तो दर्शकों के दिमाग से उतरी है और न ही उनके खुद के दिमाग से।

आखिर उनकी एनर्जी का राज क्या है

असरानी पिछले पचास सालों से सिनेमा, टीवी और अपने शो’ज के माध्यम से लोगों में हंसी और खुशियां बाट रहे हैं। हम में से शायद ही कोई ऐसा होगा जो असरानी जी को नहीं जानता होगा। लेकिन जिस नाम से हम असरानी जी को पहचानते हैं, वह तो उनका सरनेम है, उनका पूरा नाम है गोवर्धन असरानी । इनका जन्म साल के पहले दिन यानी 1 जनवरी 1941 को एक सिंधी परिवार में हुआ था। भारत के बंटवारे के बाद असरानी जी का परिवार राजस्थान की राजधानी जयपुर आकर बस गया। तब से असरानी जी अपने आपको जयपुर का ही मानते हैं। असरानी जी का परिवार सामान्य परिवार था लेकिन ये बचपन से ही कुछ ऐसा काम करना चाहते थे कि जिससे आम लोगों के दुखों को कम किया जा सके और इन्हें लोगों का खूब प्यार मिले। असरानी जी ने राजस्थान विश्वविद्यालय से बी ए तक की पढ़ाई करने के बाद भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, पुणे में प्रवेश लिया और वहां से उन्होंने अभिनय तथा निर्देशन कला में स्नातक की डिग्री हासिल की। पुणे में अभिनय और निर्देशन की पढ़ाई के दौरान ही उन्हें प्रसिद्ध फिल्म निर्माता- निर्देशक हृषीकेश मुखर्जी ने अपनी नई फिल्म ‘गुड्डी’ में एक छोटी भूमिका के लिए चुन लिया। हृषीकेश मुखर्जी सामाजिक विषयों पर साफ- सुथरी मनोरंजक और शिक्षाप्रद फिल्में बनाते थे। उस जमाने में हर कलाकार उनके साथ काम करना चाहता था। असरानी जी की लगन देखकर हृषीकेश मुखर्जी प्रभावित हुए और उन्होंने असरानी को ‘गुड्डी’ और उसके बाद की लगभग सभी फिल्मों में अभिनय करने के अवसर दिए। अवसर तो बहुत सारे लोगों को मिलते हैं लेकिन बहुत कम लोग होते हैं जो काम में अपना असर छोड़ पाते हैं। असरानी मेहनती थे, उन्हें फिल्मों में सफलता मिल चुकी थी परंतु उन्होंने मेहनत करना आज तक नहीं छोड़ा है। आज वे 81 साल के हैं लेकिन इस उम्र में भी वे एक युवक जितने ऊर्जावान और एक्टिव हैं। उन्होंने अपनी कला और सफलता पर कभी भी घमंड नहीं किया है। इस उम्र में भी वे दिन दिन भर काम करते हैं। वे जब बोलते हैं तो लोग अपने सारे दुख दर्द भूलकर हंसने लगते हैं। असरानीजी अब तक तीन सौ हिन्दी और गुजराती फिल्मों में काम कर चुके हैं। अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म ‘ खून- पसीना’ में असरानी जी ने अरुणा ईरानी के साथ एक अलग ही तेवर की भूमिका की थी, जो आज तक याद की जाती है। दरअसल, हास्य अभिनेता के रूप वे लोकप्रिय तो बहुत हो गए लेकिन इसके कााण उनके भीतर की असीमित अभिनय क्षमताओं का पूरा उपयोग नहीं हो पाया । एक अभिनेता के रूप में वे नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी आदि कलाकारों से कम प्रतिभाशाली नहीं हैं लेकिन वे निर्देशकों की नजर में केवल कॉमेडियन बनकर रह गए। ऋषिकेश मुखर्जी की तरह ही आज के दौर के सफलतम निर्माता-निर्देशक प्रियदर्शन ने भी अपनी साफ- सुथरी मनोरंजक फिल्मों में असरानी जी को आवश्यक रूप से रखा है।

राजनीतिक रूप से असरानी कांग्रेसी विचारधारा के हैं। पार्टी के लिए वे अनेक बार सक्रियता से प्रचार-प्रसार भी कर चुके हैं। इसी सिलसिले में वे एक बार विधानसभा चुनावों में डॉ. बी डी कल्ला का प्रचार करने के लिए प्रख्यात अभिनेत्री जीनत अमान के साथ वे बीकानेर आए और पुराने शहर में कल्ला के समर्थन में रोड़ शो किया था। राजनीति में बहुत ज्यादा रुचि नहीं होने के कारण वे फिर से फिल्मों और अन्य मनोरंजन कार्यक्रमों में व्यस्त हो गए।

असरानी बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं अर्थात वे कई कलाओं में पारंगत हैं। वे मंच का संचालन यानी एंकरिंग करने के साथ ही गायन भी करते रहे हैं। उन्होंने कई फिल्मी गीत गाए हैं। उनका एक गीत प्रसिद्ध गायक किशोर कुमार के साथ भी है। असरानी जी ने ‘चला मुरारी हीरो बनने’ और फिल्म ‘उड़ान’ का निर्देशन भी किया है। उनकी पत्नी मंजु बंसल असरानी भी अभिनय और रंगमंच से जुड़ाव रखती हैं। उनके पुत्र का नाम नवीन असरानी है और वे माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी में एक ऊंचे ओहदे पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। । असरानी जी श्रेष्ठ अभिनय के लिए ‘फिल्म फेयर’ सहित अनेक पुरस्कार मिल चुके हैं। वे वर्तमान में अभिनय क्षेत्र में पूरी तरह सक्रिय हैं।

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