अभिनव न्यूज
बीकानेर। 8 जून से शहर में पेयजल कटाैती बंद हाे जाएगी। हरिके से एक जून काे छाेड़ा गया पानी साेमवार काे बिरधवाल हैड से कंवरसेन लिफ्ट और आरडी 750 से गजनेर लिफ्ट में छाेड़ दिया गया। बीछवाल व शोभासर जलाशयाें में एक से डेढ़ मीटर पानी है।
हरिके बैराज से चलकर बिरधवाल हैड यानी आरडी 243 पर रविवार काे ही पहुंच गया था, लेकिन कंवरसेन लिफ्ट में पानी ऊंचाई से छाेड़ा जाता है इसलिए 12 घंटे की पाैंडिंग ली गई। 7000 क्यूसेक पानी ऊपर से आ रहा था।
दाे हजार क्यूसेक आरडी 750 की ओर छाेड़ा गया, जबकि 5000 क्यूसेक से पानी का लेवल बढ़ाया गया। सोमवार की सुबह जब लेवल पूरा हो गया तो 100 क्यूसेक पानी कंवरसेन लिफ्ट में छाेड़ा गया। करीब 150 क्यूसेक पानी गजनेर लिफ्ट में छाेड़ा गया। कंवरसेन लिफ्ट से बीछवाल जलाशय और गजनेर लिफ्ट और बाद में कानासर वितरिका हाेते हुए शाेभासर जलाशय तक पानी पहुंचेगा। इसलिए 8 जून के बाद से कटाैती बंद हाेगी। हालांकि इसका अधिकारिक एलान नहीं किया गया वाे इसलिए क्याेंकि जब तक पानी यहां नहीं पहुंचे तब तक की स्थितियों पर पीएचईडी पूरा नियंत्रण रखना चाहती है।
पीएचईडी के अतिरिक्त मुख्य अभियंता दीपक बंसल ने बताया कि पुराने ट्यूबवैल की माेटरें सही कर पानी की पंपिंग बढाई। माैसम ने भी हमारा साथ दिया। साथ में कुछ देर के लिए लाइट कटाैती भी सहारा बनी। इसलिए इस साल लाेगाें काे ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। लगातार तीन साल से हाे रही नहरबंदी का इस साल अहसास बीते दाे सालाें की तुलना में कम हुआ। ना ताे पानी की कमी से धरने-प्रदर्शन हुए और ना ही पिछले दाे सालाें जितनी किल्लत।
पिछले साल ताे प्रशासनिक गलत निर्णय से हालात बेकाबू हुए थे लेकिन इस 3-एम के कारण स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में रही। इसमें माैसम की भूमिका बड़ी है। मई से अब तक करीब 8 पश्चिमी विक्षाेभ आए। 11 मई से पेयजल कटाैती शुरू हुई और तब से कट-टू-कट पश्चिमी विक्षाेभ आ रहे। पूरी गर्मी में अब तक सिर्फ चार दिन तापमान 45 पार हुआ। बीते एक सप्ताह से ताे लाेग रात काे कूलर भी नहीं चल रहे।बीछवाल जलाशय में साढ़े छह मीटर तक पानी भराव क्षमता है लेकिन इस साल पीएचईडी ने एक मीटर अतिरिक्त पानी भर लिया।
यानी करीब साढ़े सात मीटर तक पानी जलाशय में था। एक मीटर के करीब जमीन की सिल्ट भी मानइस हाेने के बाद साढ़े छह मीटर पानी सप्लाई लायक था। शुरूआत के 15 दिन तक करीब 10 से 15 सेंटीमीटर ही प्रतिदिन जलाशय खाली हुआ क्याेंकि ऊपरी हिस्से में पानी ज्यादा था। शोभासर को नहर से भी बीच में पानी मिल गया। इस कारण हालात नियंत्रित रहे।
नहरबंदी में पानी की बूंद-बूंद कीमती है। यही वजह है कि शहर के दाेनाें जलाशयाें में जमा पानी की भी सुरक्षा व्यवस्था की कई परते हैं। बीछवाल जलाशय और रिजर्ववायर एरिया करीब ढाई किलाेमीटर है। ये एरिया पैरीमीटर के दायरे से है। इस जलाशय में पानी भरने की क्षमता 1475 मिलियन लीटर की है। शनिवार काे करीब 1200 मिलियन लीटर पानी भरा हुआ है। इस एरिया में आम इंसान काे जाने पर सख्त पाबंदी है। चाेरी से भी काेई यहां नहीं जा सकता।
बीछवाल गांव से बाहर निकलते ही इसकी सीमा शुरू हाे जाती है जहां पहला गेट है। यहां गार्ड मिलेगा। इस गेट के बाद कुछ दूर चलने पर दूसरा गेट मिलेगा है। अगर यहां गार्ड नहीं ताे ताला लगा हुआ हाेगा। उसके बाद पंपिंग स्टेशन और फिर जलाशय। जलाशय के आसपास करीब छह फीट ऊंची दीवार है। फिर करीब 30 फीट चाैड़ी सड़क है। 24 घंटे दाे-दाे गार्र्ड इसकी सुरक्षा करते हैं ताकि आम इंसान यहां ना पहुंचे। आम आदमी काे यहां सुरक्षा कारणाें से जाने से मनाही है।
यही स्थिति शाेभासर जलाशय की है। यहां भी पानी की भराव क्षमता 1475 मिलियन लीटर है और शनिवार तक यहां भी करीब 1150 मिलियन लीटर पानी जमा है। मुख्य गेट पर हमेशा सुरक्षाा कारणाें से ताला रहता है। स्टाॅफ के आने जाने के लिए छाेटा गेट है जहां हमेशा सुरक्षा गार्ड तैनात रहते हैं।
अगले साल भी हाेगी नहरबंदी
2018 में केन्द्र, राजस्थान और पंजाब सरकार के बीच एमओयू हुआ था कि तीन साल में 70-70 दिन की नहरबंदी लेकर हरिके से लेकर राजस्थान सीमा तक पंजाब के अधीन नहर की मरम्मत हाेगी। 2019 में काम शुरू करने के लिए पंजाब टेंडर नहीं कर पाया। 2021 और 2022 में 60 किलाेमीटर नहर की मरम्मत हुई। इस साल के लिए 39 किलाेमीटर का काम बचा था। इस साल 22 किलाेमीटर ही नहर दुरुस्त हाे सकी। करीब 17 किलोमीटर मरम्मत और बची है। इसलिए अगले साल भी करीब 30 दिन की नहरबंदी लेनी हाेगी।