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Friday, September 20

डाॅ. रेणुका व्यास की पाँच पुस्तकों का हुआ लोकार्पण

अभिनव न्यूज, बीकानेर। मुक्ति संस्था बीकानेर के तत्वावधान में कवियत्री डाॅ. रेणुका व्यास ‘नीलम’ की पांच पुस्तकों का लोकार्पण धरणीधर रंगमंच पर किया गया। लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने की, लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि शिक्षाविद-आलोचक डाॅ.उमाकांत गुप्त थे, तथा लोकार्पण समारोह के विशिष्ट अतिथि कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी रहे। कार्यक्रम के समन्वयक राजाराम स्वर्णकार ने बताया कि डाॅ.रेणुका व्यास के दो कविता-संग्रह ‘सुनो तथागत’ ( हिन्दी), ‘अेन सूरज रै सांम्ही’ ( राजस्थानी ) दो राजस्थानी में अनुवादित बाल कथा संग्रह ‘मीता अर उण रा जादू रा जूता’ एवं ‘आनंदी रो इन्द्रधनुख’ ( दोनो राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, दिल्ली से प्रकाशित) एवं डाॅ.उमाशंकर व्यास एवं डाॅ.रेणुका व्यास की संयुक्त पुस्तक ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास और राजस्थान के लेखक’ का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।

अध्यक्षीय उद्बोधन में बोलते हुए प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने कहा कि डाॅ.रेणुका व्यास के रचनाकर्म में समाज, साहित्य और संस्कार मौजूद है। आचार्य दीक्षित ने कहा कि डाॅ.व्यास ने साहित्य की विभिन्न विधाओं में साहित्य रचा है। विशिष्ट अतिथि कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि कवि के लिए कविता चुनौती है , जोशी ने कहा कि कविता बंदूक से बेहतर हथियार है। समारोह के मुख्य अतिथि उमाकांत गुप्त ने कहा कि नीलम रेणुका व्यास की रचनाएँ जीवन को सराहना, संवारना और सहारा देना चाहती है। उसकी कविताएँ जीवन की जटिलता के विरुद्ध संवेदनात्मक जिहाद हैं । वे प्रेम और करुणा को जीवन का केन्द्रीय तत्त्व सिद्ध करते हुए नारी अस्मिता के सही सन्दर्भों को रुपायित करती हैं। इस अवसर पर पांच पुस्तकों की रचनाकार डाॅ.रेणुका व्यास ‘नीलम’ ने अपनी रचना प्रक्रिया साझा करते हुए हिन्दी-राजस्थानी की चुनिंदा कविताओं में ‘अेन सूरज रै सांम्ही’ पुस्तक की जीवण, मून री मेड़ी, थारी संगत रो स्वाद, हरियल घूघरा, भरोसे रो नांव एवं हिन्दी कविता-संग्रह सुनो तथागत से तेरी आंखों में, जब भी, हर बार, मेरी मानो तो, कटता है हरा पेड़ का सस्वर पाठ किया।
लोकार्पित पाँचों पुस्तकों पर मुख्य वक्ता के रूप में युवा साहित्यकार-नाटककार-पत्रकार हरीश बी शर्मा ने विस्तार से पत्र वाचन करते हुए कहा कि इन पांच कृतियों के अवगाहन करने के बाद मैं यह कह सकता हूं कि इतिहास रचने का अवसर उन्हें एक टास्क के रूप में मिला, जिसे निभाने का भरसक प्रयास किया। अनुवादक के रूप में भी उन्होंने पूरा न्याय किया, लेकिन रमना जिसे कहते हैं, वह कविता में हुआ। जिस स्तर पर रेणुका जी ने कविता को जीया है । कार्यक्रम में सूर्य प्रकाशन मंदिर के निदेशक डाॅ.प्रशांत बिस्सा एवं युवा चिकित्सक डाॅ.दिव्याशी व्यास ने भी सम्बोधित किया । कार्यक्रम का संचालन ज्योति प्रकाश रंगा ने किया तथा अंत में डाॅ.अजय जोशी एवं शिवशंकर व्यास ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।

लोकार्पण समारोह में ओमप्रकाश सारस्वत, विजय शंकर आचार्य,बिशन मतवाला, दिग्विजय सिंह, एन.डी.रंगा, बुलाकी शर्मा, अविनाश व्यास, आत्माराम भाटी, मनीष जोशी, डाॅ.प्रकाश आचार्य,डाॅ.गौरीशंकर प्रजापत, असित-अमित गोस्वामी, जुगल किशोर पुरोहित, गोपाल कुण्ठित, भैरव रतन बोहरा , सुभाष जोशी ,दिनेश चूरा , उमाशंकर आचार्य, दिनेश चावडा, रवि आचार्य, गोपीराम जोशी, जाकिर अदीब, विजय जोशी , डाॅ.फारूक चौहान, अनिल आचार्य, इसरार हसन कादरी , हरिकिशन जोशी, कासिम बीकानेरी, गिरिराज पारीक, इन्द्रा व्यास, सीमा भाटी, अब्दुल शकूर सिसोदिया ,कमलेश सोनी,यामिनी जोशी, योगिता व्यास, दयानंद शर्मा, सुनील बोड़ा, अशोक रंगा,सोहनलाल जोशी,प्रेमप्रकाश सोनी,प्रेम रतन स्वर्णकार सहित अनेक महानुभाव उपस्थित थे।

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