Welcome to Abhinav Times   Click to listen highlighted text! Welcome to Abhinav Times
Friday, November 22

वृत्तचित्र एवं आलोचना पुस्तक का हुआ विमोचन

नाट्य शास्त्र की रचना एक सामाजिक क्रांति है : डॉ.अर्जुनदेव चारण

अभिनव न्यूज, जयपुर। भारतीय नाट्य परम्परा मनुष्य को आत्मिक सुख की ओर ले जाती है । नाट्य शास्त्र से मनुष्य रस प्राप्त करता है। संसार का सबसे पहला अभिनेता ॠषि था इसलिए आज का प्रत्येक अभिनेता उस ऋषि परम्परा को संभाले हुए है। एक अभिनेता को कुशलता, सहृदयता, वाकपटूता एवं श्रमविजेता होना चाहिए। यह सृष्टि गतिशीलता और स्थिरता से सृजित है जिसे नाट्य शास्त्र संतुलित करता है । यह विचार ख्यातनाम कवि-आलोचक एवं नाट्य निर्देशक प्रोफेसर (डाॅ.) अर्जुनदेव चारण ने संवळी साहित्य संस्थान, नट साहित्य संस्कृति संस्थान एवं जवाहर कला केंद्र के सयुंक्त तत्वावधान में ‘ भारतीय नाट्य परम्परा ‘ विषय पर जेकेके स्थित कृष्णायन सभागार में अपने मुख्य उदबोधन में व्यक्त किये। भारतीय नाट्य शास्त्र के अनेक गूढ रहस्यों को उद्घाटित करते हुए उन्होंने कहा कि नाट्यशास्त्र की रचना एक सामाजिक क्रांति है जिसने संपूर्ण मानव जाति को आत्मिक सुख प्रदान किया है ।

समारोह संयोजक डाॅ.गजेसिंह राजपुरोहित ने बताया कि विशिष्ट अतिथि साहित्य अकादेमी के सचिव डाॅ. के. श्रीनिवास राव ने डाॅ. अर्जुनदेव चारण के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें देश का अद्भुत रचनाकार बताया। इस अवसर पर डाॅ.अर्जुनदेव चारण की साहित्य साधना पर साहित्य अकादेमी नई दिल्ली द्वारा निर्मित एवं डाॅ. राजेश कुमार व्यास द्वारा निर्देशित वृत्तचित्र ‘ घर तो नाम है एक भरोसे का ‘ तथा डाॅ.अर्जुनदेव चारण की राजस्थानी काव्यकृति अगनसिनांन पर प्रतिष्ठित रचनाकार डाॅ.मंगत बादल द्वारा लिखित आलोचना पुस्तक ‘ अगनसिनांन री अंतसदीठ ‘ का लोकार्पण किया गया । कार्यक्रम के दौरान डाॅ.अर्जुनदेव चारण पर बने वृत्तचित्र को स्क्रीन पर प्रदर्शित किया गया।

समारोह के प्रारम्भ में सभी अतिथियों का संस्थान द्वारा शाॅल एवं पुष्पगुच्छ प्रदान कर स्वागत किया गया। प्रतिष्ठित कवि-आलोचक डाॅ. गजेसिंह राजपुरोहित ने स्वागत उदबोधन एवं साहित्य अकादेमी में राजस्थानी भाषा के पूर्व संयोजक मधु आचार्य आशावादी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस ऐतिहासिक साहित्यिक आयोजन की जयपुर साहित्य जगत ने खूब सराहना की।

ये रहे मौजूद – समारोह में डाॅ.सत्यनारायण, कृष्ण कल्पित, प्रेमचंद गांधी, राघवेन्द्र रावत, रतन कुमार सामरिया, कालूराम परिहार, श्याम जांगिड़, नंद भारद्वाज, डाॅ. शारदा कृष्ण , जितेन्द्र कुमार सोनी, डाॅ. गीता सामौर, रेवतदान चारण, विक्रम सिंह राजपुरोहित, राजेन्द्र सिंह, रामरतन लटियाल, कप्तान बोरावड़, आरके सुथार, सवाईसिंह, जीवराजसिंह, सुखदेव राव, अशोक गहलोत, अब्दुल लतीफ उस्ता, अनुराग हर्ष, महेन्द्रसिंह, आशीष चारण, किरण बाला जीनगर, कामना राजावत, मोनिका गौड़, संतोष चौधरी, किरण राजपुरोहित, मीनाक्षी बोराणा सहित जयपुर सहित दिल्ली, जोधपुर, बीकानेर, कोटा, उदयपुर, श्रीगंगानगर, नागौर, बाड़मेर, जैसलमेर सहित प्रदेस के अनेक जिलों के साहित्यकार एवं नाट्य प्रेमी मौजूद रहे ।

Click to listen highlighted text!