बीकानेर से अमरनाथ के लिए रवाना हुए दल को बीच रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा है। ये दल अब बीकानेर आ गया है, जबकि शेषनाग तक दुर्गम यात्रा तय कर चुका था। अमरनाथ यात्रा के एक केंप में बादल फटने से कुछ श्रद्धालुओं की मौत के बाद सेना ने बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को वापस रवाना कर दिया। अब इस दल को मलाल है कि वो बाबा बफार्नी के दर्शन नहीं कर सके।
बीकानेर लौटे महेंद्र मोहन व्यास ने बताया कि पांच श्रद्धालुओं का एक दल बीकानेर से जम्मू पहुंचा था। ये दल कई दुर्गम रास्तों को पार करते हुए शेषनाग पहुंच गया था। जिस रात शेषनाग पहुंचे, वहीं सुबह उठते ही हादसे की जानकारी दी गई। बताया गया कि बादल फटने से कुछ लोगों की मौत हो गई है। इसके बाद भी दल आगे जाने के लिए तैयार था, लेकिन सेना ने रोक दिया। व्यास बताते हैं कि आगे जाने के लिए दो दिन तक शेषनाग में ही रुके रहे। सेना ने खतरा बताते हुए वहीं से वापसी का दबाव बनाया। आखिरकार हमें वापस लौटना पड़ा।
चप्पे चप्पे पर सुरक्षा
व्यास बताते हैं कि हम पहलगाम पहुंचे, जहां से सीआरपीएफ के कैंप में पहुंचे। यहां से आगे की यात्रा सेना के सुरक्षा घेरे में ही रहे। हादसे की सूचना के बाद भी सेना के जवानों ने हौंसला बनाए रखा। पहले तो उम्मीद थी कि आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा, लेकिन बाद में आला अधिकारियों ने मना कर दिया।
बार बार आग्रह किया
व्यास बताते हैं कि उनके दल ने सैन्य अधिकारियों से बार बार आग्रह किया कि उन्हें आगे जाने दें लेकिन मना कर दिया। बार बार हो रही बारिश ने भी आगे जाने का अवसर नहीं दिया। जिस दिन बादल फटा था, उस दिन के बाद से लगातार बारिश रही। ऐसे में पहाड़ों पर चढ़ना मुश्किल था। बहुत छोटे रास्ते थे और दोनों तरफ खाई थी।
ये श्रद्धालु लौटे बीकानेर
बीकानेर से गए इस दल में कमल नारायण आचार्य, महेंद्र मोहन व्यास, शिवजी मुल्लू, संतोष मेहरा और महेंद्र सिंह राठौड़ शामिल थे। दुर्गम रास्तों से होते हुए ये दल काफी आगे पहुंच गया। वापसी के बाद भी इनका हौंसला कायम है। अगली बार फिर से अमरनाथ यात्रा पर जाने संकल्प है।