50-80 के दशक के सबसे खतरनाक विलेन समझे जाने वाले ओंकार नाथ धर उर्फ जीवन को गुजरे आज 35 साल बीत चुके हैं। जीवन बचपन से ही हीरो बनने का सपना देखा करते थे, जिसके लिए उन्होंने अपना घर छोड़ दिया। फिल्मों में आने से पहले
जीवन एक स्टूडियो में रिफ्लेक्टर का सिल्वर पेपर बदलने का काम किया करते थे, जहां से इन्हें पहली फिल्म रोमांटिक इंडिया (1935) मिली थी। जीवन कई फिल्मों का हिस्सा रहे लेकिन इन्हें असल पहचान विलेन के रोल से मिली। अमर अकबर एंथोनी, धरम वीर और लावारिस जैसी फिल्मों में जीवन ने अपनी जिंदगी के सबसे यादगार रोल किए। उनका अभिनय और रोल ऐसा हुआ करता था जो लोगों को उनसे नफरत करवाने के लिए काफी था। आज इनकी पुण्यतिथि के मौके पर जानिए एक ऐसा किस्सा जब सरेआम जीवन पर एक महिला ने हमला कर दिया था-
1974 के आसपास की बात है जब जीवन एक मशहूर विलेन बन चुके थे। अब तक इनकी दो फूल, जॉनी मेरा नाम और हीर रांझा जैसी फिल्में रिलीज हो चुकी थीं। ज्यादातर फिल्मों में जीवन ऐसे व्यक्ति के रोल में होते थे जो या तो मर्डरर होता या रेपिस्ट या गैंगस्टर।
उस जमाने के तमाम एक्टर्स को प्राइवेट कंपनी, स्टेज शोज के लिए बुलाया करती थी। एक बार जीवन को भी मुंबई से बाहर बुलाया गया। जीवन अपनी टीम के साथ ट्रेन से रवाना हो गए। जब स्टेशन पहुंचे तो वहां उन्हें लेने 100 लोग इकट्ठा हुए थे। लोग भीड़ लगाकर उनका स्वागत ही कर रहे थे कि अचानक एक चप्पल उनके मुंह पर आकर लगी। भीड़ की नजर चप्पल फेंकने वाली महिला पर गई तो वो दूसरी चप्पल मारने के लिए तैयार थी और जोर-जोर से गालियां दे रही थी। वहां मौजूद पुलिस ने उस महिला को पकड़ लिया।
जीवन शांत स्वभाव के थे तो उन्होंने महिला के पास जाकर पूछा कि मैं तो आपको जानता तक नहीं, आपके शहर में भी पहली बार आया हूं तो आपने मुझे मारा क्यों। महिला ने जवाब देने की बजाए और गालियां देना जारी रखा। जब जीवन ने दोबारा पूछा तो महिला ने कहा, तुम दुनिया के सबसे घटिया आदमी हो। मेरा बस चले तो मैं तुम्हारा कत्ल करके खुद फांसी पर चढ़ जाऊं। तुमने कई लोगों की जान ली है और कई महिलाओं का रेप किया है।
महिला की बातें सुनकर पूरी भीड़ हैरान थी क्योंकि जीवन असल जिंदगी में नहीं बल्कि फिल्मों में ऐसा किया करते थे। ये असर था उस जमाने की फिल्मों का और जीवन के बेहतरीन अभिनय का, जो अपने किरदार से लोगों को नफरत करवा दिया करते थे।
कैसे शुरू हुआ जीवन का फिल्मी सफर?
बता दें कि जीवन ने अपने एक्टिंग करियर में करीब 60 फिल्मों में नारद मुनि का रोल निभाया था। जीवन कश्मीरी पंडितों के परिवार से ताल्लुक रखते थे। ये कश्मीर में फोटो स्टूडियो खोलना चाहते थे, जिसकी ट्रेनिंग के लिए वो बॉम्बे पहुंचे थे। एक्स्ट्रा कमाई के लिए जीवन के दोस्त ने उन्हें फिल्म सेट पर काम करने की सलाह दी। जीवन शूटिंग के दौरान रिफ्लेक्टर की सिल्वर रील बदला करते थे। एक दिन शूटिंग के समय उन्होंने देखा कि एक ग्रुप अपने सीन की प्रैक्टिस कर रहा है। उन्हें बचपन से ही अभिनय में रुचि थी तो वो खड़े होकर देखने लगे। टाइमपास करने के लिए जीवन आगा हशर के प्ले की लाइनें दोहरा रहे थे। उस ग्रुप को एक एक्टर की तलाश थी और जैसे ही उनकी जीवन पर नजर पड़ी तो ये तलाश पूरी हो गई।
डायरेक्टर मोहन सिन्हा ने उन्हें तुरंत अपनी अगली फिल्म रोमांटिक इंडिया में साइन कर लिया और यहां से जीवन का फिल्मी करियर शुरू हो गया।
1935- 1980 तक फिल्मों में चार चांद लगाने के बाद 1987 में 10 जून को 71 साल की उम्र में जीवन का मुंबई में निधन हो गया। इनकी आखिरी फिल्म आखिरी संघर्ष इनके निधन के 10 साल बाद 1997 में रिलीज हुई।