अभिनव न्यूज, बीकानेर। राव बीकाजी संस्थान की ओर से बीकानेर स्थापना दिवस के चार दिवसीय कार्यक्रमों के अन्तर्गत बुधवार शाम को महाराजा नरेन्द्रसिंह आडिटोरियम में कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में हिन्दी, राजस्थानी और उर्दू रचनाकारों ने अपनी रचनाओं में बीकानेर नगर के इतिहास, संस्कृति, जीवनशैली सहित तमाम विशेषताओं का उत्कृष्टता से वर्णन किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ शायर गुलाम मोहियुद्दीन माहिर ने बीकानेर के सौहार्द की सराहना की। उन्होंने कहा कि बीकानेर हर परिस्थिति में मुहब्बत से जीने वाला शहर है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थानी के कवि-व्यंग्यकार शंकर सिंह राजपुरोहित ने कहा कि समालोचकों द्वारा मंचीय कवियों को उपेक्षित करना अनुचित है।
उन्होंने कहा कि छंद साहित्य का प्राण तत्व है। गेयता रचना की साहित्यिकता को कहीं भी प्रभावित नहीं करती है। कवि- समालोचक और पत्रकार संजय आचार्य वरुण ने कहा कि भौगोलिक रूप से बीकानेर शहर भले ही छोटा हो लेकिन विशिष्टता की दृष्टि से यह महानगरों से भी आगे है। उन्होंने ‘बड़ा कठिन है मन का सोचा कह पाना’ गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि कमल रंगा, राजाराम स्वर्णकार, राजेन्द्र स्वर्णकार, राजेन्द्र जोशी, लीलाधर सोनी, कवयित्री डॉ. कृष्णा आचार्य, कवि संजय पुरोहित, जुगल पुरोहित, गिरीराज पारीक, गोपाल पुरोहित, आनन्द मस्ताना, वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब, डॉ. ज़ियाउल हसन क़ादरी, इमदादुल्लाह बासित, सागर सिद्दीकी, क़ासिम बीकनेरी, अब्दुल जब्बार जज्बी,अब्दुल शकूर सिसोदिया ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। कार्यक्रम में कवि जगदीश प्रकाश ‘अमन’ ने राजस्थानी गजल ‘ जिन्दगी इयां ही जाय रैयी है’ सुनाकर प्रभावित किया। कार्यक्रम के संयोजक शायर इरशाद ने ‘करता है हर मेहमान का सम्मान बीकानेर’ नज्म पढ़ी। कार्यक्रम में आत्माराम भाटी, डॉ. अजय जोशी, असद अली असद, अमित गोस्वामी, अजीत राज, बाबूलाल छंगाणी एवं प्रेमनारायण व्यास, डॉ. फारुक चौहान सहित अनेक साहित्यानुरागी मौजूद रहे