अभिनव टाइम्स। नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद की सातवीं बैठक में केन्द्र सरकार से पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने सहित विभिन्न केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं में केन्द्र की आर्थिक सहायता बढ़ाने की मांग की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में राजस्थान से जुड़े मुद्दों पर मजबूती से राज्य का पक्ष रखा। कहा कि ईआरसीपी 37,000 करोड़ रूपये की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिससे पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में लगभग 2 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी। पूर्वी राजस्थान तिलहन
उत्पादन का मुख्य क्षेत्र है। इसके साथ ही राष्ट्रीय परियोजना घोषित होने से इन जिलों में पेयजल की समस्या का भी समाधान होगा। प्रधानमंत्री ने इस परियोजना के संबंध में पूर्व में सकारात्मक रूख अपनाने का वादा किया था। इस परियोजना से जल जीवन मिशन के सफल क्रियान्वयन में भी मदद मिलेगी।
विभिन्न केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं के आर्थिक सहभागिता पैटर्न में किए गये बदलावों से राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ रहा है। केन्द्र से जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि 5 वर्ष बढ़ाकर जून, 2027 करने और राजस्थान को 2017-18 से जीएसटी की बकाया मुआवजा राशि लगभग 3,780 करोड़ रूपये एकमुश्त जारी करने की मांग की है।
राजस्थान आम लोगों को निःशुल्क चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने के क्षेत्र में मॉडल राज्य बन चुका है। बताया कि ‘मुख्यमंत्री निःशुल्क निरोगी राजस्थान योजना’ के अन्तर्गत सभी सरकारी अस्पतालों में पूरा इलाज निःशुल्क मिल रहा है और सभी जांचे भी पूर्णतः निःशुल्क की जा रही हैं। इस दिशा में ‘मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना’ अगला कदम है। जिसके तहत राज्य के 88 प्रतिशत परिवारों को बीमा कवर दिया गया है। इस क्षेत्र में राजस्थान देश में पहले स्थान पर है। चिरंजीवी योजना के तहत 1 करोड़ 34 लाख परिवारों को सरकारी और निजी अस्पतालों में निःशुल्क उपचार मिल रहा है। अब तक 18 लाख मरीजों के उपचार पर 2,202 करोड़ रूपये से अधिक की राशि खर्च की जा चुकी है। इस योजना के अन्तर्गत लीवर, हार्ट और किडनी ट्रान्सप्लान्ट तक की सुविधा मिल रही है। इस योजना की तर्ज पर केन्द्र सरकार से ‘आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना’ के दायरे को बढ़ाने की भी मांग की है।
बैठक में प्रधानमंत्री का ध्यान किसानों की आय दुगुनी करने के उनके लक्ष्य की ओर आकर्षित करते हुए कहा कि नेशनल सैम्पल सर्वे आर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) द्वारा वर्ष 2018-19 में किसान परिवारों की मासिक आय लगभग 10,218 रूपये आंकी गई थी। अब मंहगाई की दर को ध्यान में रखते हुए यह आय लगभग 21,600 रूपये प्रतिमाह होनी चाहिये।
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये सरकार को अत्यन्त ठोस कदम उठाने होंगे। मुख्यमंत्री ने किसानों की आय बढ़ाने के लिये महात्मा गांधी नरेगा योजना, ग्रामीण विकास और कृषि के बजट में पर्याप्त बढ़ोतरी करने तथा ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ के तहत कृषक परिवारों को दी जाने वाली राशि बढ़कार 2000 रूपये प्रतिमाह करने की मांग की है। राजस्थान सरकार प्रत्येक कृषक परिवार को विद्युत सब्सिडी के रूप में 1,000 रूपए प्रतिमाह का लाभ दे रही है। राजस्थान सरकार ने वर्ष 2022-23 से अलग कृषि बजट लागू किया है और किसानों की सुविधा के लिये समग्र कृषि पोर्टल विकसित किया है। कृषि संबंधित सभी योजनाओं पर केन्द्र सरकार को अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 75 प्रतिशत करनी चाहिये। मुख्यमंत्री ने ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ तथा ‘बाजार हस्तक्षेप योजना’ में संशोधन में मांग करते हुए सहनीय हानि सीमा 25 प्रतिशत से अधिक होने पर उसका भार राज्य सरकार पर डालने के प्रावधान को समाप्त करने की मांग की है।
शिक्षा के क्षेत्र में हो रही अभूतपूर्व प्रगति के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि देश में सबसे ज्यादा 89 विश्वविद्यालय राजस्थान में हैं, जिनमें से तीन महिला विश्वविद्यालय हैं। राजस्थान राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के नये केन्द्र के रूप में उभर रहा है। राजस्थान स्कूलों के परफॉर्मेन्स ग्रेडिंग इन्डेक्स में पहले स्थान पर है। पिछले चार वर्षों मे 93 कन्या विश्वविद्यालय खोले जा चुके हैं। राज्य में 1494 महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल खोले जा चुके हैं। जिनमें 2.50 लाख से ज्यादा बच्चे अध्ययन कर रहे हैं। राज्य सरकार आठवीं तक के सभी विद्यार्थियों को निःशुल्क पाठ्यपुस्तकें और यूनिफॉर्म उपलब्ध करवा रही है। राजस्थान में मिड-डे मील के साथ बच्चों को सप्ताह में दो दिन दूध देने की बाल गोपाल योजना को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने के साथ ही आरटीई के तहत कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों को भी शामिल करने की मांग की है। राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में खोले गये कॉलेजों को उत्तर-पूर्वी राज्यों की तरह विशेष अनुदान देने तथा राजस्थान में ग्लोबल यूनिवर्सिटी खोलने की मांग रखी। बैठक में 15वें वित्त आयोग द्वारा राजस्थान में डिजिटल यूनिवर्सिटी के लिए 400 करोड़ की केंद्रीय सहायता देने की सिफारिश को लागू करने की मांग भी रखी। जोधपुर में खुलने वाली इस डिजिटल फिनटैक यूनिवर्सिटी बनाने के लिए राज्य सरकार भी 200 करोड़ रुपए खर्च करने के लिए तैयार है।
बैठक में राजस्थान की मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा भी उपस्थित थी।