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Friday, September 20

आखिरी चरण में चंद्रयान-3, लैंडर-प्रोपल्शन यान से हुआ अलग ; 23 अगस्त को चांद पर उतरेगा

अभिनव न्यूज, नेटवर्क। भारत का महत्वाकांक्षी मून मिशन चंद्रयान 3 आज अपने एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच गया है. अंतरिक्ष यान से लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक अलग हो चुका है. इसरो के मुताबिक- अब 23 अगस्त को शाम 5.45 पर लैंडर चांद की सतह पर लैंडिंग की कोशिश की जाएगी.इससे पहले चंद्रयान 3 पांचवीं और अंतिम कक्षा में सफलता पूर्वक प्रवेश कर गया था.

लैंडिंग के बाद लैंडर से छह पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा जो एक चंद्र दिवस यानी धरती के 14 दिन वहां प्रयोग करेगा. इसके साथ ही एक और दिलचस्प बात है कि दुनिया की निगाहें इस बात टिकी हैं कि भारत का चंद्रयान 3 और रूस का लूना -25 में से किसका मिशन चांद पर पहले लैंड करेगा. प्रोपल्शन से अलग होने के बाद लैंडर की प्रारंभिक जांच होगी. इसरो का कहना है कि लैंडर में चार मुख्य थ्रस्टर्स हैं जो उसे चांद की सतह पर उतरने में सक्षम बनाएंगे.साथ ही अन्य सेंसर का भी परीक्षण किया जाएगा.

चंद्रयान -2 के समय यहां हुई थी समस्या

सोमनाथ ने कहा, ‘‘लैंडिंग प्रक्रिया की शुरुआत में वेग लगभग 1.68 किलोमीटर प्रति सेकंड है, लेकिन यह गति चंद्रमा की सतह के क्षैतिज है. यहां चंद्रयान-3 लगभग 90 डिग्री झुका हुआ है, इसे लंबवत करना होगा. क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर दिशा में बदलने की यह पूरी प्रक्रिया गणितीय रूप से एक बहुत ही दिलचस्प गणना है. हमने कई बार इस प्रक्रिया को दोहराया है. यहीं पर हमें पिछली बार (चंद्रयान-2) समस्या हुई थी.”

ईंधन की खपत कम हो, दूरी की गणना सही हो

उन्होंने कहा कि इसके अलावा यह सुनिश्चित करना होगा कि ईंधन की खपत कम हो, दूरी की गणना सही हो और सभी गणितीय मानक ठीक हों. सोमनाथ ने कहा कि व्यापक सिमुलेशन (अभ्यास) किए गए हैं, मार्गदर्शन डिजाइन बदल दिए गए हैं. इन सभी चरणों में आवश्यक प्रक्रिया को नियंत्रित करने और उचित लैंडिंग करने का प्रयास करने के लिए बहुत सारे एल्गोरिदम लगाए गए हैं.

गौरतलब है कि इसरो ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद से तीन हफ्तों में चंद्रयान-3 को चंद्रमा की पांच से अधिक कक्षाओं में चरणबद्ध तरीके से स्थापित किया है. एक अगस्त को एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया के तहत यान को पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की ओर सफलतापूर्वक भेजा गया. चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग करने और घूमने में शुरू से अंत तक क्षमता प्रदर्शित करने के लिए चंद्रयान-2 (2019) का अगला अभियान है. इसमें एक स्वदेशी प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है,  जिसका उद्देश्य अंतर-ग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नयी प्रौद्योगिकियों को विकसित करना और प्रदर्शित करना है. चंद्रयान-3 अभियान का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना, चंद्रमा पर रोवर के चलने और चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना है.

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