बीकानेर | जयपुर रोड पर एक्सीडेंट होने की वजह जानने निकले संभागीय आयुक्त (डीसी) नीरज के. पवन उस समय हैरान रह गए, जब उनकी सरकारी गाड़ी को ओवर टेक कर एक बस 100 की स्पीड से आगे निकल गई। डीसी के ड्राइवर ने जब बस चालक को गाड़ी रोकने का इशारा किया तो उसने अनदेखा कर दिया। कुछ दूरी बाद जब बस को रुकवाकर उसके चालक से स्पीड गवर्नर के बारे में पूछा तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया।
डीसी के एक फोन पर एआरटीओ जुगल किशोर माथुर भी मौके पर पहुंच गए। दोनों अधिकारी बस को नजदीक के फिटनेस सेंटर लेकर गए, जहां उसके स्पीड गवर्नर की जांच की गई। जांच में सामने आया कि बस चालक ने स्पीड गवर्नर के साथ छेड़छाड़ कर रखी थी, ताकि उसे निर्धारित गति से ज्यादा तेज भगाया जा सके। एआरटीओ जुगल किशोर माथुर ने बस का दस हजार रुपए का चालान काटने के बाद उसे सीज कर लिया।
जयपुर से लौट रही थी बस
एआरटीओ जुगल किशोर माथुर ने बताया कि बस जयपुर से बीकानेर लौट रही थी। उन्होंने बताया कि स्पीड गवर्नर के तहत बस की स्पीड को 80 की लिमिट में निर्धारित कर दिया जाता है। लेकिन कुछ चालक जल्दी पहुंचने के चक्कर में स्पीड गवर्नर के साथ छेड़छाड़ करते हैं, जो नियमानुसार गलत है। उन्होंने बताया कि डीसी नीरज के. पवन के आदेश पर अब नियमित बसों की जांच की जाएगी, जिसमें स्पीड गवर्नर और चालक का फिटनेस सर्टिफिकेट देखा जाएगा।
हर महीने हो रहे हादसे
बीते तीन महीनों में जयपुर रोड पर हुए हादसों को देखें तो दस से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। 24 अप्रैल को जयपुर के एक दंपति की सड़क हादसे में मौत हो गई। हादसे में गजेंद्र सिंह और उनकी पत्नी शुचि चौहान की मौके पर ही मौत हो गई थी। इसी प्रकार मई में निजी बस और ट्रक की भिडं़त में दो लोगों की मौत तथा 20 लोग घायल हो गए थे। वहीं जून में कार और ट्रक की भिड़ंत मं दंपति सहित चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। जोधपुर और श्रीगंगानगर रोड की तुलना में जयपुर रोड पर हादसों की संख्या अधिक है।