‘सृजन के वातायन’ कार्यक्रम में हुआ कवि वरुण का रचना पाठ और अभिनंदन
अभिनव न्यूज, बीकानेर। 'आसानी से मिल जाता हूं, दरवाजे सा खुल जाता हूं, अंधियारा मिट जाए सारा, मैं दीपक बन जल जाता हूं।' ऐसी काव्य पंक्तियां शनिवार की शाम को हंशा गेस्ट हाउस के सभागार में गुंजायमान हो रही थी, अवसर था कवि- गीतकार संजय आचार्य वरुण के जन्म दिवस पर आयोजित कार्यक्रम 'संजय : सृजन के वातायन' का। अज़ीज़ आज़ाद लिटरेरी सोसायटी की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में लगभग एक घण्टे तक संजय आचार्य वरुण ने हिन्दी, राजस्थानी और उर्दू की विविध आयामी रचनाएं प्रस्तुत की। उनके गीत ' मेरी लुट गई सारी रात, मन दरवाजे तेरे बंद चिटकणी और काया ढोऊं माया ढोऊं' को उपस्थित श्रोताओं द्वारा खूब पसंद किया गया। राजस्थानी गीत 'किण विध कैवूं पीड़ सांवरा, कूण सुणैला म्हारी रे, भारत भू रौ कूण रुखाळौ, राखौ पत गिरधारी रे" पर बहुत सराहना मिली। ग़ज़ल 'समंदर ग़मों का डुबोता नहीं है, मुझे आंसुओं में भिगोता नहीं है' को भी ...