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Thursday, September 19

Editorial

राजू श्रीवास्तव : सहज, मौलिक और गरिमामय मनोरंजन के युग का अवसान

राजू श्रीवास्तव : सहज, मौलिक और गरिमामय मनोरंजन के युग का अवसान

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संजय आचार्य वरुण कई दिनों की पीड़ा झेलने के बाद आज मृत्यु जीत गई और राजू हार गए। जब तक सांस थी, तब तक आस थी कि राजू एक बार फिर खड़े होंगे, खुद भी चहकेंगे और हमें भी हंसाएंगे। विधाता के लिए सब बराबर हैं, हम जानते हैं कि राजू श्रीवास्तव हमारे लिए बहुत कीमती थे। वे हमारी अवसादों, अपराधों और तनावों से भरी दुनिया की मौलिक मुस्कुराहट थे । आज जब इंसान में इंसानियत को छोड़कर सब कुछ है, प्रतिस्पर्धा है, लालच है, महत्वाकांक्षाएं हैं, भोग की बेलगाम वृत्ति है, हांफता- दौड़ता जीवन है, ऐसे में सहेजकर रखने लायक जो था, वही राजू श्रीवास्तव था लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद हम उन्हें नहीं बचा सके । (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); भारत में आज की दिनांक में हंसने - हंसाने का कारोबार अपने चरम पर है। हजारों लोग इस बाजार में उतरे हुए हैं, उन सभी से सभ्य और सहज हास्य की...
उन्होंने भी यही किया था….. संदर्भ  : कांग्रेस

उन्होंने भी यही किया था….. संदर्भ : कांग्रेस

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संजय आचार्य वरुण कांग्रेस विगत एक दशक से भारतीय राजनीति में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है । जो पार्टी पांच दशक से भी अधिक समय तक सत्ता में रही, आजादी से लेकर वर्तमान तक देश के स्वरूप निर्माण में जिसका निर्विवाद रूप से महत्वपूर्ण योगदान रहा है, वह पार्टी आज दिशाहीन सी क्यों नज़र आ रही है ? विपक्ष में रहने पर भी एक बड़ी राष्ट्रीय पार्टी का महत्व और भूमिका कम नहीं हो जाती । विपक्ष लोकतंत्र का सबसे जरूरी हिस्सा है। यह सुखद है कि देश में बहुमत वाली एकल पार्टी सरकारों का दौर लौट आया है लेकिन विपक्ष कमजोर और निष्प्राण है, यह लोकतंत्र के लिए किसी भी सूरत में अच्छा संकेत नहीं है । कांग्रेस चिंतन शिविरों का आयोजन तो करती है किन्तु उनमें धरातल पर उतरकर आत्मचिंतन करने की बजाय सत्तापक्ष का अनावश्यक विरोध कर आमजन मानस में अपनी छवि को नकारात्मक बनाती जा रही है । आप किसी को बुरा बताकर कभी भी अच...
त्वरित टिप्पणी: क्या रहस्य है सत्यनारायण जी की प्रतिमा में लम्पी जैसे लक्षण दिखने का

त्वरित टिप्पणी: क्या रहस्य है सत्यनारायण जी की प्रतिमा में लम्पी जैसे लक्षण दिखने का

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संजय आचार्य वरुण मीडिया में आज सुबह से ही एक विडियो वायरल हो रहा है । कहा जा रहा है कि बीकानेर के रत्ताणी व्यासों के चौक में स्थित भगवान सत्यनारायण के मंदिर की मुख्य प्रतिमा पर आज सुबह गौवंश को लील रही लम्पी बीमारी के लक्षण पाए गए हैं । ये सच है कि प्रतिमा पर ठीक वैसे ही गोल उभार दिख रहे हैं, जैसे कि लम्पी से ग्रसित गाय के शरीर पर दिखाई देते हैं।इस सम्बन्ध में सच क्या है, अभी तक कुछ कहा नहीं जा सकता। आज सुबह मंदिर के पुजारी ने भगवान को स्नान करवाने और वस्त्र बदलते समय देखा कि प्रतिमा पर लम्पी जैसे उभार दिख रहे हैं। पुजारी ने जैसे ही यह बात लोगों को बताई तो देखते ही देखते यह खबर पहले शहर भर में और फिर शहर की सीमाओं के बाहर पहुंच गई। कुछ ही देर में लोगों के हुजूम सत्यनारायण जी के मंदिर में यह अनूठी घटना देखने आने लगे। यह सिलसिला अभी तक बदस्तूर जारी है । बड़े- बड़े न्यूज चैनल और पत्रकार क...
जिस दिन देश में एक भी एफ आई आर दर्ज नहीं होगी, तब लगेगा कि हम सच्चे भारतीय हो चुके हैं

जिस दिन देश में एक भी एफ आई आर दर्ज नहीं होगी, तब लगेगा कि हम सच्चे भारतीय हो चुके हैं

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संजय आचार्य 'वरुण' अभिनव टाइम्स । आज मन आह्लादित है, आनंदित है, शरीर के रोम- रोम में एक रोमांच भरा हुआ है। हम कितने भाग्यशाली हैं कि आज का सूर्य देख रहे हैं, जिन लोगों ने विश्व भूमंडल के सबसे महान राष्ट्र भारतवर्ष की स्वाधीनता के लिए संघर्ष किया, सुखों का त्याग किया, स्वयं को पूरी तरह से न्यौछावर कर दिया, वे जो आज की सुबह देखने के सबसे बड़े अधिकारी थे, लेकिन उन्हीं के पुण्य प्रताप से आज की सुबह, आज का सूर्य देखने का सौभाग्य हमें मिल रहा है । 15 अगस्त 1947 को जिन बच्चों का जन्म हुआ, आज वह 75 साल के हैं । उन्होंने अपनी तरुणाई के साथ आजाद भारत की तरुणाई भी देखी है । उन्होंने देखा है कि किस तरह से, पूरी तरह से मिट जाने के बाद एक देश फिर से जन्म लेता है । घुटनों पर चलता है, अपने पैरों पर खड़ा होता है, और एक दिन अंगद की तरह मजबूती से खम ठोक कर खड़ा हो जाता है ।संसार के नक्शे में अगर भारत को ...
राष्ट्रपति चुनाव : क्या इस बार आडवाणी या जोशी के नाम पर विचार किया जाएगा ?

राष्ट्रपति चुनाव : क्या इस बार आडवाणी या जोशी के नाम पर विचार किया जाएगा ?

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अपनी बात : संजय आचार्य 'वरुण' भारत के वर्तमान राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद का कार्यकाल आगामी 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। 15 जून 2022 से राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया आरम्भ हो जाएगी। स्वाभाविक बात है कि राष्ट्रपति चुनाव की बात चलने पर सत्तारूढ़ पार्टी को जन्म देने वाले देश के सबसे वरिष्ठतम नेता और भारत के पूर्व गृहमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी की सेवाओं का स्मरण अवश्य हो आता है। आज जो पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता का सुख भोग रही है, पार्टी का ये सुनहरा भविष्य तैयार करने में आडवाणी जी ने अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया था किन्तु जब लोगों ने उम्मीद की कि अब देश के सर्वोच्च पद के लिए आडवाणी जी का नाम प्रस्तुत किया जाएगा तब पता नहीं कौनसी संवैधानिक अड़चनें थी कि आडवाणी जी ही नहीं पार्टी के अनेक वरिष्ठ एवं पुराने नेताओं को भी टाल दिया गया। वर्तमान में यद्यपि श्री लालकृष्ण आडवाणी लगभग 95 वर्ष की व...

धार्मिक वैमनस्य का पोषण आखिर क्यों ?

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अपनी बात : संजय आचार्य वरुण पिछले कुछ समय से कोई विवादित बयान देकर हाथोंहाथ देश भर की मीडिया में छा जाने का तरीका अनेक छुटभैये नेताओं को रास आ गया है।अपनी टी आर पी बढ़ाने का इससे बेहतर शॉर्टकट दूसरा नहीं हो सकता। क्या होगा, दो चार एफआईआर दर्ज हो जाएंगी, एक दो मुकदमे हो जाएंगे, राष्ट्रीय स्तर पर पहचान तो मिलेगी। सौदा महंगा नहीं है। ऐसे लोग अपने राजनीतिक करियर की खातिर देश का सौन्दर्य नष्ट कर रहे हैं। ऐसे नेता चाहे किसी भी धर्म अथवा पार्टी के क्यों न हो, ये अपने राजनीतिक लाभ के लिए दूसरे धर्मों को बुरा बताकर अपने ही धर्म की छवि खराब करते हैं। धर्म विनम्रता सिखाता है। किसी का अपमान करना, निन्दा करना धर्म की परिधि में नहीं आता। पिछले कुछ वर्षों से कहा जा रहा है कि हम असहिष्णुता के दौर में जी रहे हैं। दरअस्ल, हम असहिष्णुता के ही नहीं बल्कि उन्मादी कट्टरता के दौर में भी जी रहे हैं। यह सम्...

आखिर चाहती क्या है राजनीति : कब मिलेगी राजस्थानी को मान्यता

Editorial
संजय आचार्य वरुण कब मिलेगी राजस्थानी को मान्यता ? ये प्रश्न अब एक ऐसा यक्ष प्रश्न बन गया है, जिसका कोई उत्तर नज़र नहीं आता। समझ में नहीं आता कि एक समृद्ध, सम्पन्न गरिमामय भाषा को संवैधानिक मान्यता नहीं मिल पाने के कारण क्या हैं ? कितनी दुर्भाग्यपूर्ण बात ये है कि राजस्थानी भाषा अपने खुद के प्रदेश में दूसरी राजभाषा बनने के लिए तरस गई है। वर्तमान की प्रदेश सरकार ने अपने पहले के एक कार्यकाल में विधानसभा से मान्यता का एक संकल्प पत्र पारित कर, केंद्र सरकार को भेजकर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ ली। संवैधानिक मान्यता केंद्र सरकार के हाथ में है लेकिन राजस्थानी को राजस्थान की दूसरी राजभाषा बनाना तो प्रदेश सरकार के अधिकार क्षेत्र में ही आता है। राजस्थानी भाषा को उसका हक इसलिए नहीं मिल रहा क्योंकि प्रदेश की जनता अपनी भाषा के मुद्दे पर जागरूक नहीं है। कितने अफ़सोस की बात है कि हमारी मातृभाषा की अ...
हंगामा नहीं हक़ की बात                                                शोर नहीं सच का साथ

हंगामा नहीं हक़ की बात शोर नहीं सच का साथ

bikaner, Editorial
पत्रकारिता की उत्पत्ति मानव समाज में मर्यादाओं, मानवीय मूल्यों और मानव मात्र के मूल अधिकारों के संरक्षण के लिए हुई थी। ये वो विधा है जो अपने समय के सच को ईमानदारी के साथ सामने रखती है। पत्रकारिता से आजीविका उपार्जन तो किया जा सकता है लेकिन ये पवित्र कार्य व्यवसाय नहीं है। इसे व्यवसाय बनाने के प्रयास किसी दृष्टिकोण से उचित नहीं माने जा सकते। पत्रकारिता एक लोकतांत्रिक राष्ट्र का सौन्दर्य होता है। आमजन का हित चिंतन करनाए राष्ट्र की गरिमा के लिए स्वयं सजग रहना और लोगों को जागरूक रखना पत्रकारिता का धर्म होता है। ऐसे ही संकल्पों और उद्देश्यों के साथ अभिनव टाइम्स की टीम आज से आपके बीच है। इसे अपने जीवन और परिवार का हिस्सा बनाइए। हम आपकी आवाज को बुलंद करेंगे। अभिनव टाइम्स खबरों का एक ऐसा मंच हैं जो निष्पक्ष है, निर्भीक है और तटस्थ है। अभिनव टाइम्स एक ऐसे समय और समाज की परिकल्पना लेकर आपके बीच उप...
बीकानेर भाजपा : दीपक से कमल तक की उतार चढ़ाव भरी यात्रा

बीकानेर भाजपा : दीपक से कमल तक की उतार चढ़ाव भरी यात्रा

Editorial
बीजेपी कार्यालय शुभारम्भ अवसर पर विशेष बीकानेर। भारतीय जनसंघ का राजनैतिक की यात्रा की शुरुआत 21 अक्टूबर 1951 को दिल्ली में हुई । डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी इसके संस्थापक थे। भारतीय जनसंघ का चुनाव चिह्न दीपक था। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लागू आपातकाल यानी 1975-1976 के बाद जनसंघ सहित भारत के प्रमुख राजनैतिक दलों का विलय कर के एक नए दल जनता पार्टी का गठन किया गया। बाद में1980 में जनता पार्टी टूट गयी और जनसंघ की विचारधारा के नेताओं नें भारतीय जनता पार्टी का गठन किया।आज बात राजस्थान के बीकानेर की है। बीजेपी कार्यालय शुभारम्भ अवसर से हम रूबरू होने जा रहे है । पहले जनसंघ और बाद में बीजेपी को अपने खुद के कार्यालय का सपना 68 वर्ष बाद पूरा होने जा रहा है यानि बुधवार 11 मई 2022 को राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के मुख्य आतिथ्य और प्रभारी अरुण सिंह, अध्यक्ष सतीश पूनिया और संगठन महामंत्री चंद्र...
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