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Thursday, September 19

Editorial

दृष्टिकोण: वरना सिर्फ सरकार बदलेगी, हालात नहीं

दृष्टिकोण: वरना सिर्फ सरकार बदलेगी, हालात नहीं

bikaner, Editorial, rajasthan, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
संजय आचार्य ‘वरुण’ राजस्थान की राजनीति का ऊंट चुनाव के बाद किस करवट बैठेगा, इस सवाल पर फिलहाल कयास ही लगाए जा सकते हैं और किया भी यही जा रहा है। कांग्रेस समर्थक कह रहे हैं प्रदेश में अशोक गहलोत सरकार रिपीट होगी। भाजपा समर्थकों के दावे हैं कि विभिन्न सर्वे रिपोर्टों में वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री का चेहरा बताए बगैर भाजपा तकरीबन 140 सीट लाती नजर आ रही है। भाजपा के ये दावे कितने सही साबित होंगे, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि इस बार भाजपा प्रदेश का ये चुनाव मोदी के नाम पर ही लड़ेगी। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); गौरतलब तथ्य यह है कि प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियां अन्तर्कलह से ग्रस्त हैं। दोनों पार्टियों में प्रथम पंक्ति के बड़े नेता अब अपनी महत्वाकांक्षाओं को दबा नहीं पा रहे हैं। कांग्रेस के सचिन पायलट तो अब खुलकर सामने भी आ चुके...
मुगालतों में कोई न रहे, एक जगह जीतने वाला दूसरी जगह हारता है

मुगालतों में कोई न रहे, एक जगह जीतने वाला दूसरी जगह हारता है

Editorial, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
- संजय आचार्य वरुण शनिवार का दिन भारतीय लोकतंत्र के नाम रहा। तीन राज्यों में तीन चुनावों के परिणाम घोषित हुए। कर्नाटक में प्रदेश की जनता ने देश में दिखाई दे रही 'मोदी लहर' के विपरीत जनादेश देकर 'जनता जनार्दन सर्वोपरि' की उक्ति को एक बार फिर सही साबित कर दिया है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); पंजाब में जालंधर में हुए उप चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत ने यह संदेश दिया है कि पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व में 'आप' का सत्ता में आना कोई अनायास हुई घटना नहीं थी, और इस परिणाम से कहीं न कहीं यह निष्कर्ष भी निकलता है कि प्रदेश की जनता आम आदमी पार्टी से संतुष्ट है और भगवंत मान जनता की नजर में एक योग्य मुख्यमंत्री मान लिए गए हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); शनिवार को तीसरा परिणाम था उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावो...
इस शहर में प्राइवेट कुछ नहीं होता

इस शहर में प्राइवेट कुछ नहीं होता

Editorial, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
संजय आचार्य वरुण ये शहर बीकानेर है साहब! ज़िन्दगी को पूरी जिन्दादिली से जीने वाला एक शहर। एक ऐसा शहर जो जीवन के सांस्कृतिक मूल्यों को भारत के दूसरे किसी शहर से ज्यादा अपने भीतर संजोए रखता है। जैसा कि अनेक बुद्धिजीवी कहा करते हैं कि धर्म प्रदर्शन की चीज नहीं, यह तो 'प्राइवेट प्रैक्टिस' है। किन्हीं अर्थों में हो सकता है कि उनकी बात कुछ हद तक सही हो लेकिन अगर इस शहर के वाशिन्दे बीकानेर की प्राचीन मूल संस्कृति को न जानने वाले जबरन स्थापित इन बुद्धजीवियों की बात मान लेते तो ये शहर कभी भी धर्म नगरी, छोटी काशी और राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी आदि अलंकारों से विभूषित न किया जाता। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); ये वो शहर है जहां प्राइवेट कुछ नहीं होता। यहां तो परिवार की खुशियां और ग़म भी घर में नहीं, चौक के पाटे पर सबके साथ मनाए जाते हैं। धर्म को प्राइव...
आख़िर कब तक जारी रहेगा बंदर बांट का सिलसिला

आख़िर कब तक जारी रहेगा बंदर बांट का सिलसिला

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संजय आचार्य वरुण बेहद अफसोसनाक दौर है ये। साहित्य, संस्कृति और कलाएं भी तुच्छ स्वार्थों से भरी ओछी राजनीति का शिकार हो रही हैं। अकादमियों की नियुक्तियां हों, पुरस्कारों के निर्णय हों अथवा आयोजनों में भागीदारी करवाने की बात हो, आजकल हर जगह योग्यताओं को बेझिझक होकर नज़र अंदाज करने का फैशन सा चल पड़ा है। इंसान में जमीर नाम की कोई चीज बची ही नहीं है। राजनीति का चरित्र तो कई दशकों पहले ही दागदार हो चुका था, अब उसी घटिया राजनीति का प्रवेश साहित्य, कला और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी हो चुका है। इसका कारण यह है कि इन क्षेत्रों में वे लोग आ गए हैं, जो इन क्षेत्रों के हैं ही नहीं, उनका उद्देश्य केवल पद, पैसा, प्रतिष्ठा, प्रभाव और पुरस्कार पाना होता है। साधना, अध्ययन, चिन्तन- मनन और निस्वार्थ समर्पण से इनका दूर- दूर का भी कोई नाता नहीं है। चूंकि ये राजनेताओं और अधिकारियों के आसपास ही मंडराते रहते ह...
महत्वपूर्ण चुनावों के परिणाम बहुत कुछ कहते हैं<br>देश की राजनीति में करवट से पूर्व की हलचल

महत्वपूर्ण चुनावों के परिणाम बहुत कुछ कहते हैं
देश की राजनीति में करवट से पूर्व की हलचल

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संजय आचार्य वरुणआज का दिन भारतीय लोकतंत्र में जनता की ताकत का दिन है । दो दिन में चार महत्वपूर्ण चुनावों के परिणाम सामने आए हैं । पहला दिल्ली एम सी डी के चुनाव परिणाम, गुजरात विधानसभा, हिमाचल विधानसभा और राजस्थान में सरदारशहर उप चुनाव। चारों ही परिणाम यह स्थापित करते हैं कि भारत में लोकतंत्र अपने सम्पूर्ण सौन्दर्य के साथ विद्यमान है। भारत की जनता अंधेरा नहीं ढोती। विकास और काम का दावा करने वाली तीन प्रमुख पार्टियों को तीन अलग - अलग भूमिकाओं में काम करके दिखाने का अवसर इन चुनावों में जनता ने दिया है। ये वास्तविक अर्थों में 'जनादेश' है । आइए, दावे तो बहुत हो गए, अब राजनीति से ऊपर उठकर थोड़ा काम भी हो जाए । ध्यान रहे, ये सत्ता का सेमी फाइनल हुआ है। अभी तक जनता जनार्दन ने किसी को खारिज नहीं किया है। फाइनल में जनता उसे ही देश की कमान सौंपेगी जिसके दावे और वादे यथार्थ की जमीन पर चहल कदमी करते द...
लिव इन रिलेशनशिप भारतीय जीवन संस्कृति के अनुकूल नहीं

लिव इन रिलेशनशिप भारतीय जीवन संस्कृति के अनुकूल नहीं

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संजय आचार्य वरुण ये हम किस दौर में आ गए हैं ? हम भूल गए हैं कि हम कौन हैं और कैसे जी रहे हैं ? इस दौर में हर रोज न जाने कितनी ही श्रद्धाएं मार दी जाती हैं, इसका जिम्मेदार आखिर कौन है ? श्रद्धा वालकर हत्याकांड जैसी घटना कोई पहली बार नहीं हुई है, यह तो लम्बे समय से हो रही क्रूरतम वारदातों की एक और पुनरावृत्ति भर है। हां, हत्या को छुपाने का तरीका ऐसा है कि दैत्यों की रूह भी कांप जाए। सवाल वही है कि आखिर ऐसा हो क्यों रहा है ? इस पूरे घटनाक्रम में क्या केवल आफताब ही दोषी है ? इस घटना पर मनन कीजिए। आप पाएंगे कि यह सब कुछ एक दिन या साल- दो साल में नहीं होता। ऐसी घटनाएं हमारे सांस्कृतिक और सामाजिक पतन का दुष्परिणाम है। इसीलिए संत, महात्मा, विचारक और ज्ञानी लोग कहते हैं कि बच्चों को अच्छे संस्कार दीजिए, अपनी संस्कृति का महत्व समझिए, भोगवादी पाश्चात्यता को अपने घरों में दाखिल मत होने दीजिए। लेकि...
विवादों की सजा आखिर जनता क्यों भुगते

विवादों की सजा आखिर जनता क्यों भुगते

bikaner, Editorial, Politics, rajasthan, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
संजय आचार्य वरुण गत 4 नवम्बर 2022 को बीकानेर की महपौर श्रीमती सुशीला कंवर राजपुरोहित ने सर्किट हाउस, बीकानेर में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया। यह प्रेस वार्ता महपौर और नगर निगम आयुक्त गोपाल राम बिरड़ा के बीच चल रही रस्साकशी का परिणाम थी। महपौर और आयुक्त का ये विवाद 22 अप्रेल 2022 को आयुक्त की नियुक्ति के साथ ही आरम्भ हो गया था। महपौर सुशीला कंवर के अनुसार आयुक्त गोपाल राम बिरड़ा प्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला की शह पर नगर निगम बीकानेर की कार्य व्यवस्था को बिगाड़ने में लगे हुए हैं। महापौर का आरोप है कि आयुक्त न केवल अपने पद के अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं बल्कि महापौर के अधिकारों का उल्लंघन भी करते हैं। महापौर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी बात रखते हुए न केवल आयुक्त को खींचा, साथ ही चालीस साल से राजनीति करने वाले डॉ. बी. डी. कल्ला पर भी शहर के विकास में बाधक बनने के आरोप लगा...
अपनी शर्तों पर राजनीति करने वाले सफल और जनप्रिय नेता थे डॉ. गोपाल जोशी

अपनी शर्तों पर राजनीति करने वाले सफल और जनप्रिय नेता थे डॉ. गोपाल जोशी

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संजय आचार्य वरुण डॉ. गोपाल जोशी मेरे लिए राजनीति के सबसे सुलभ राजनेता थे। इसके दो कारण रहे, एक तो यह उनका स्वभाव ही था और दूसरा मेरे पिताजी स्व. गौरीशंकर आचार्य 'अरुण' से उनकी घनिष्ठ मित्रता। अपने जीवन का आखिरी चुनाव, उन्होंने लड़ा जरूर था लेकिन उसमें जरा भी रुचि नहीं ली, क्योंकि तब तक उन्हें अपने राजनीतिक जीवन में तृप्ति और पूर्णता का अनुभव हो चुका था । बिना प्रयासों के लड़े गए चुनाव में भी वे बहुत कम अंतर से पीछे रहे। उनके वोटर उन्हें इसलिए पसंद करते थे, क्योंकि अपने विधायक से मिलने के लिए उन्हें रत्ती भर भी जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती थी। सबको पता था कि यदि गोपाल जोशी जी बीकानेर में हैं तो उनसे उचित समय पर 'होटल जोशी' के कमरा नम्बर 101 में सहजता से मिला जा सकता है । गोपाल जोशी जी जैसी स्वच्छ, बेदाग़ और ठरके से की जाने वाली राजनीति कम ही लोग कर पाते हैं। जहां तक मुझे उनका सानिध्य मिला, ...
विवादित होने की आशंकाओं के बीच सफल हुआ, भैरोंसिंह शेखावत स्मृति आयोजन

विवादित होने की आशंकाओं के बीच सफल हुआ, भैरोंसिंह शेखावत स्मृति आयोजन

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संजय आचार्य वरुण बीकानेर के रवींद्र रंगमंच सभागार में आज राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री और भारत के उपराष्ट्रपति रहे कद्दावर नेता स्व. भैरोंसिंह शेखावत की 99 वीं जयंती पर एक भव्य व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के सम्बन्ध में चौंकाने वाली बात यह है कि जो आयोजन भारतीय जनता पार्टी की ओर से होना चाहिए था, उसमें पार्टी की कोई भूमिका नहीं थी। आज से शेखावत के जन्म शताब्दी वर्ष की शुरुआत हुई है, भाजपा की प्रदेश इकाई की ओर से कोई आयोजन नहीं हुआ है । भैरोंसिंह शेखावत के योगदान पर यह व्याख्यान कार्यक्रम भाजपा नेता सुरेंद्र सिंह शेखावत ने आयोजित किया । सवाल ये उठता है कि क्या भाजपा इतनी मोदीमय हो गई है कि उसे उन नेताओं को याद करने की भी जरूरत महसूस नहीं होती, जिन नेताओं ने पार्टी की आज की सफलता का धरातल तैयार किया था । भैरोंसिंह शेखावत वह व्यक्ति थे, जो अपने दौर में प्रदेश भाजपा का...
थिएटर फेस्टिवल : सुखद आयोजन और सार्थक बन जाएगा

थिएटर फेस्टिवल : सुखद आयोजन और सार्थक बन जाएगा

bikaner, Editorial, rajasthan, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
संजय आचार्य वरुण कितना सुखद है कि हम अपनी सांस्कृतिक परम्पराओं के प्रति इस विषम दौर में भी संवेदनशील हैं। जीवन जिस दौर में सिर्फ अर्थ और पद के उद्देश्यों के इर्द-गिर्द घूम रहा है, व्यक्तिगत ऐष्णाएं व्यक्ति को उसके सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक धरातल से काट रही है, ऐसे में एक शहर के युवा महानगरीय महत्वाकांक्षाओं से विमुख रहते हुए कलाओं को महत्वपूर्ण मान रहे हैं और पूरे हर्षोल्लास से बीकानेर में थिएटर फेस्टिवल आज से नहीं बल्कि कई वर्षों से मना रहे हैं। महसूस हो रहा है कि मानवीय जीवन में स्पंदन अभी मौजूद है। अक्सर ऐसे आयोजन सरकारी योजनाओं के अन्तर्गत औपचारिकताओं के रूप में ही सम्पन्न हुआ करते हैं, लेकिन भाग्यशाली है बीकानेर कि यहां के लोग कला परम्पराओं को अपनी व्यक्तिगत आवश्यकता और दायित्वों की सूची में सम्मिलित रखते हुए राजकीय अकादमिक अनुदानों की प्रतीक्षा के बगैर ऐसे कलानुष्ठानों के ...
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