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Wednesday, April 2

Editorial

दृष्टिकोण: पूरे पांच दिन लोक और आधुनिक रंगमंच जहां आबाद रहते हैं, उसे बीकानेर कहते हैं

दृष्टिकोण: पूरे पांच दिन लोक और आधुनिक रंगमंच जहां आबाद रहते हैं, उसे बीकानेर कहते हैं

Editorial, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
संजय आचार्य वरुण नौवां बीकानेर थिएटर फेस्टिवल बुधवार की शाम को अगले वर्ष फिर आने के वादे के साथ सम्पन्न हो गया। वरिष्ठ रंगकर्मी एवं अभिनेता राजेन्द्र गुप्ता को समर्पित 2025 का यह फेस्टिवल भी पिछले आयोजनों की तरह यादगार रहा। बुधवार को अंतिम दिवस की अंतिम प्रस्तुति 'हम दोनों' अभूतपूर्व रही। देश के दिग्गज रंगकर्मी स्व. दिनेश ठाकुर द्वारा लिखित 'हम दोनों' का मंचन बीटीएफ में मंगलवार और बुधवार दोनों दिन अलग-अलग अभिनेताओं द्वारा किया गया, और दोनों ही दिन के मंचनों ने दर्शकों के हृदयों को जीत लिया। मुझे बुधवार को अंतिम दो प्रस्तुतियां 'ताजमहल का टेण्डर' और 'हम दोनों' देखने का अवसर प्राप्त हुआ। दिल्ली की युवा टीम द्वारा प्रस्तुत 'ताजमहल का टेण्डर' में कलाकारों का एनर्जी लेवल देखने और सीखने लायक रहा। नाटक में सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर हल्के- फुल्के हास्य के साथ करारा व्यंग...
दृष्टिकोण: रेल फाटकों की समस्या पर राजनीति नहीं, समाधान के प्रयास करें

दृष्टिकोण: रेल फाटकों की समस्या पर राजनीति नहीं, समाधान के प्रयास करें

Editorial, rajasthan, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
संजय आचार्य वरुण बीकानेर में रेल फाटकों की समस्या पर सरकार के विरोध में धरने और प्रदर्शन करना अब एक आम बात हो गई है। अन्तर केवल इतना होता है कि बैनर बदल जाते हैं। कांग्रेस के राज में भाजपा, और भाजपा के राज में कांग्रेस रेल फाटकों की समस्या का निवारण नहीं होने के लिए सरकार और मौजूदा विधायक अथवा मंत्री आदि को कोसती है। निश्चित रूप से ये बीकानेर का बड़ा मुद्दा है लेकिन राजनीतिक लोगों से हमारा निवेदन केवल इतना भर है कि इस समस्या के समाधान के लिए प्रयास कर सकते हैं तो कीजिए लेकिन कृपया इस बात पर राजनीति मत कीजिए। अब जनता भी आपके इस खेल को समझने लगी है कि दोनों पार्टियां बारी- बारी से सत्ता में भी आती हैं पद और पावर भी मिल जाता है लेकिन तब समाधान नहीं होने के अनेक बहाने भी निकल आते हैं। विधायक भी बदलते हैं पर फिर भी अपने हाथ में सत्ता आने पर दोनों में से कोई भी रेल फाटक समस्या का...
दृष्टिकोण: वरना इस शहर के बारे में अच्छा लिखने को कुछ नहीं बचेगा

दृष्टिकोण: वरना इस शहर के बारे में अच्छा लिखने को कुछ नहीं बचेगा

Editorial, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
संजय आचार्य वरुण अपनी राठौड़ी आन, बान और शान के साथ ही बुलन्दी से खड़ी लाल पत्थर की शानदार हवेलियों के लिए पहचाना जाने वाला एक शहर बीकानेर। वही बीकानेर जहां के स्वादिष्ट भुजिया ने पूरे विश्व को अपने स्वाद के मोहपाश में बांध रखा है। हां, वही बीकानेर जहां की माटी में जाई- जन्मी पद्मश्री अल्लाह जिलाई बाई ने लंदन के अल्बर्ट हॉल को मांड राग के बुलन्द स्वरों से गुंजायमान कर दिया था। वही बीकानेर जिसके लाडले संदीप आचार्य ने देश भर को अपनी आवाज और मासूमियत का दीवाना बना लिया था। जी हां, वही बीकानेर जिसके एक और लाडले राजा हसन ने हाल ही में संजय लीला भंसाली की फिल्म 'हीरामण्डी' में हजरत अमीर खुसरो का क़लाम 'सकल बन' गाकर ओटीटी का फिल्म फेयर एवार्ड अपने नाम किया है। ये सभी बीकानेर के वे सुनहरे पृष्ठ हैं जिनको पढ़कर गर्व की अनुभूति होती है लेकिन मलाल इस बात का है कि इस शहर की कुंडली में अब कुछ काले ...
दृष्टिकोण: ताकि बीकानेर को धर्मनगरी कहते हुए हमें संकोच न हो

दृष्टिकोण: ताकि बीकानेर को धर्मनगरी कहते हुए हमें संकोच न हो

bikaner, Editorial, rajasthan, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
संजय आचार्य वरुण बीकानेर शहर का परकोटा क्षेत्र पिछले काफी समय से नशे, जुए और चोरी सहित अनेक अपराधों की चपेट में आया हुआ है। अब तो हालात ऐसे हो गए हैं कि बीकानेर के नाम के आगे छोटी काशी और धर्म नगरी जैसे विशेषण लगाने से पहले जरा सोचना पड़ता है। विश्वास नहीं होता कि ये हमारा वही बीकानेर है जिसके शांत और सुरक्षित माहौल पर कभी हमें नाज हुआ करता था। हमारे शहर में तो बच्चों को लक्ष्मीनाथ जी और मरुनायक जी के मन्दिर जाने के संस्कार दिए जाते थे। यह वही शहर है जहां के बच्चे रुद्री, महिम्न और दुर्गा सप्तशती के पाठ सीखते थे। आदरणीय नथमल जी पुरोहित और पुजारी बाबा जी का सान्निध्य इस शहर को आज भी एक वरदान के रूप में मिला हुआ है। कितना दु:ख होता होगा उन्हें ये देखकर कि उनके बीकानेर के नौनिहालों को नशे, जुए और अपराध के दलदल में फंसाया जा रहा है। आज वो हालात हैं जब कहीं किसी भी चौक में खड़ी मोटरसाइक...
दृष्टिकोण: इस शहर के हजारों घरों में आज भी इन्वर्टर नहीं है

दृष्टिकोण: इस शहर के हजारों घरों में आज भी इन्वर्टर नहीं है

Editorial, मुख्य पृष्ठ, राजनीति, संपादकीय
~ संजय आचार्य वरुण 10 अक्टूबर 2024 की रात को बारह बजे बीकानेर के अंदरूनी क्षेत्र में जब लोग दिन भर की थकान से चूर होकर सोने की तैयारी कर रहे थे, उसी समय लगभग सवा बारह बजे बिजली चली गई। लोग इंतजार करने लगे कि अभी पांच- दस मिनट में आ जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बिजली आई रात को सवा दो बजे । तब तक लोगों ने अपनी खजूर की पंखियां निकाली, जो आजकल संभालकर ही रखनी पड़ती हैं, उनसे हवा करते हुए समय बिताने लगे। ऐसा पहली बार नहीं हुआ। इन दिनों अक्सर होता है। पहले नहीं होता था, पिछले सात- आठ महीनों से हर दो- चार दिन के बाद होता है। रात को लोगों के सोने के समय बिजली जाने का वास्तविक कारण क्या है, यह तो बिजली कम्पनी ही बता सकती है। जब बिजली कम्पनी से इस बारे में पूछा जाता है तो कम्पनी के लोग यही कहते हैं कि कहीं फॉल्ट होगा तो बिजली जाएगी ही, हम जानबूझकर बन्द नहीं करते हैं। अब जनता का सवाल ये है कि य...
तिरछा तीर: वो कब समझेंगे, जिनका समझना जरूरी है..

तिरछा तीर: वो कब समझेंगे, जिनका समझना जरूरी है..

Editorial, home, rajasthan, संपादकीय
■ संजय आचार्य वरुण सुबह - सुबह सात बजे किसी ने जोर से हमारे घर का दरवाजा खटखटाया। हमने नींद से जागकर आंखें मसलते हुए दरवाजा खोला तो देखा कि हमारे परम मित्र चकरम जी गेट पर खड़े हैं। हमने कहा कि 'अरे चकरम जी, आप इतनी सुबह हमारे घर…' हम अपनी बात पूरी करते इससे पहले ही हमें लगभग धकियाते हुए चकरम जी बंगाल की खाड़ी से उठने वाले किसी तूफान की तरह हमारे घर में घुस गए। आंगन में लगी टेबल- कुर्सी पर आराम से जमकर बैठते हुए बोले- 'अभी हमसे कुछ मत पूछिए मित्र, अभी हमारा सिर भन्नाया हुआ है। रात भर बिजली ने हमारे साथ कबड्डी खेली है..हम पूरी रात जागे हुए हैं। अभी सुबह बिजली आई तब तुम्हारी भाभी सोई है। हमें नींद नहीं आई तो हम चाय पीने के लिए तुम्हारे यहां चले आए।' चकरम जी ने एक ही सांस में सब कुछ कह डाला। हम अपनी पत्नी को चाय का बोलने अंदर आए तो देखा कि वह मंदिर में बैठी हुई भगवान को इस तर...
दृष्टिकोण: भाजपा के मजबूत किले में सेंध लगा पाना कांग्रेस के लिए मुश्किल

दृष्टिकोण: भाजपा के मजबूत किले में सेंध लगा पाना कांग्रेस के लिए मुश्किल

bikaner, Editorial, Politics, rajasthan, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
संजय आचार्य "वरुण" लोकसभा चुनाव 2024 की चौसर बिछ चुकी है। तारीखों की घोषणा भी हो चुकी है। राजस्थान में मतदान 19 और 26 अप्रेल को दो चरणों में होगा। 4 जून को मतगणना के साथ परिणाम घोषित होंगे।कांग्रेस के उम्मीदवार का नाम सामने आने से पहले बीकानेर जिले में इस बार मुकाबला रोचक होने की उम्मीद थी परन्तु कांग्रेस ने विधायक का चुनाव हारे हुए गोविंद राम मेघवाल को प्रत्याशी बनाकर भाजपा प्रत्याशी और केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को लगातार चौथी जीत का तोहफा दे दिया है। ऐसा पूरे बीकानेर में माना जा रहा है। तीसरी ताकत बीकानेर में न तो पहले किसी चुनाव में उभर पाई है और न ही आगे ऐसी कोई संभावना दिखाई देती है। कई बार देवीसिंह भाटी बागी बनकर भाजपा के लिए थोड़ी बहुत मुश्किल खड़ी कर दिया करते थे लेकिन अब तो वे भी दल बल सहित भाजपा में हैं। स्वाभाविक है कि गोविंद राम मेघवाल चुनाव जीतने और पिछली हार को भ...
सृष्टि के कण- कण में वायु की तरह रमे हुए हैं राम

सृष्टि के कण- कण में वायु की तरह रमे हुए हैं राम

Editorial, National, rajasthan, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
संजय आचार्य वरुण राम । न जाने कितनी शताब्दियों से अनगिनत लोगों को जीवन के प्रत्येक पल में आनंद देने वाला शब्द। भाषागत अर्थों से परे शब्द है -राम। हर्ष, विषाद, अभिवादन, स्वागत, विश्राम, साहस, ऊर्जा, आरम्भ, अन्त और जीवन से जुड़े न जाने कितने अर्थों में राम रमे हुए हैं। एक चरित्र होकर इतना अनन्त और व्यापक होकर सृष्टि के कण- कण में वायु के समान रम जाना ही 'राम' होना होता है। महाराज दशरथ के पुत्र राम के समान अद्भुत और अनुपम चरित्र तो संसार के किसी भी ग्रन्थ में देखने को नहीं मिलता लेकिन साथ ही उनका नाम 'राम' भी अनुभूतियों, अर्थों और कल्पनाओं से परे एक ऐसा शब्द है जिसके प्रभाव भाषा वैज्ञानिकों और मनो विज्ञानियों की समझ से भी परे हैl राम शब्द स्वयं अपने आप में एक चमत्कार है। अगर कोई राम शब्द के सामर्थ्य को अनुभव करते हुए जीना चाहे तो उस मनुष्य के लिए सब कुछ जो सकारात्मक और सृजनात्मक है, वह सम...
दृष्टिकोण : विश्वास नहीं होता कि ये भारतीय संसद है

दृष्टिकोण : विश्वास नहीं होता कि ये भारतीय संसद है

Editorial, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
संजय आचार्य वरुण संसद भवन परिसर में सांसदों का एक झुंड खड़ा है। उनमें से एक सांसद भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की नकल उतार रहा है। वह बेहूदा तरीके से उपराष्ट्रपति जी के बोलने और खड़े होने के अंदाज का मजाक उड़ा रहा है। उसके आसपास खड़े सांसद ठहाके लगाते हुए एक उच्च संवैधानिक पद पर आसीन बुजुर्ग की खिल्ली उड़ा रहे हैं। इस देश के प्रमुख राजनीतिक परिवार के उत्तराधिकारी और स्वयं को प्रधानमंत्री पद का दावेदार समझने वाले राहुल गांधी उस फूहड़ टी एम सी सांसद कल्याण बनर्जी का विडियो बना रहे हैं। भारतीय संसद के दरो- दीवारों और इस देश के लोगों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि जिस संसद में पंडित जवाहरलाल नेहरू, बाबा साहेब अम्बेडकर, गोविंद बल्लभ पंत, सरदार पटेल, लाल बहादुर शास्त्री सहित न जाने कितने महान व्यक्तित्वों ने बैठकर भारत की गरिमा को विश्व भर में प्रतिष्ठित किया था, आज उसी संसद में कल्...
दृष्टिकोण: विरोध की नहीं, सहयोग की राजनीति हो, जनादेश को स्वीकार करने के अर्थ तक पहुंचें

दृष्टिकोण: विरोध की नहीं, सहयोग की राजनीति हो, जनादेश को स्वीकार करने के अर्थ तक पहुंचें

Editorial, rajasthan, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
संजय आचार्य वरुण पिछले तीन महीनों से चल रहा दावों, प्रयासों और कयासों का सिलसिला कल 3 दिसम्बर को अगले पांच सालों के लिए पूरी तरह से समाप्त हो गया है। अब एक इस बात के कयास बचे रह गए हैं कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा ? ऐसा लगता है कि इस सवाल का जवाब भी आज- कल में ढूंढ़ ही लिया जाएगा। यह लोकतंत्र की खूबसूरती है कि इसमें अहम और वहम दोनों के लिए कोई स्थान नहीं है। जिस किसी पर भी सत्ता का अहम और जीत का वहम हावी हुआ नहीं कि जनता जनार्दन उसे जमीन पर लाकर खड़ा कर देती है। लगातार पांच साल तक एक शक्तिशाली जीवन जीते हुए जैसे ही नेतागण यह भूलने लगते हैं कि वे समाज के अंतिम पायदान पर खड़े बहुत ही सामान्य से व्यक्ति के एक- एक वोट की बदौलत इस शक्ति और सामर्थ्य का केन्द्र बने हैं, वैसे ही लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान चुनाव उन्हें शून्य पर लाकर खड़ा कर देता है और शिद्दत से याद दिलाता है कि वे स्...
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