दुख का कारण नहीं बनेंगे- डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”
डॉ. गजादान चारण "शक्तिसुत"
जो हरदम आगे रहते हैं,आगे ही शोभा पाते हैं।वो एक कदम भी रुक जाएं,तो सब राही रुक जाते हैं।।मंजिल को पाना मुश्किल है,उसूल निभाना और कठिन।सुख के तो अनगिन साथी हैं,हैं असल परीक्षक दुख के दिन।।निज-परिताप द्रवे यह दुनियां,पर का परिताप न जान सके।मिथ्या आडम्बर चक्कर में,नहिं असल सत्य पहचान सके।।उसूल निभाना अच्छा हैपर वो भी कहीं यदि रूढ़ हुआ।जो कालबाह्य है उसे पकड़कर अड़ा रहा सो मूढ़ हुआ।।यह समय-सरित की धारा हैजो सुना रही सन्देश बड़ा।जो बहता है वह निर्मल हैजो रुका पड़ा सो पड़ा सड़ा।सबलों ने जग को सिखलायासंसार निबल का दुश्मन है।सामर्थ्यवान को दोष नहींबलहीन जनों हित बन्धन है।।जो सक्षम हैं सो बदल रहेसब रुग्ण रु रूढ़ रिवाजों को।जर्जर दीवारें ढहा ढहावे खोल रहे दरवाजों को।।लेकिन ये पीड़ा है मन मेंदिखते सब अपने कष्ट लिए।पर की पीड़ा महसूस करेंवो ज़िगर दिखाई नहीं दिए।।खुद पर बीती तो नियम त...