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Saturday, November 23

साहित्य

दुख का कारण नहीं बनेंगे- डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

दुख का कारण नहीं बनेंगे- डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

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डॉ. गजादान चारण "शक्तिसुत" जो हरदम आगे रहते हैं,आगे ही शोभा पाते हैं।वो एक कदम भी रुक जाएं,तो सब राही रुक जाते हैं।।मंजिल को पाना मुश्किल है,उसूल निभाना और कठिन।सुख के तो अनगिन साथी हैं,हैं असल परीक्षक दुख के दिन।।निज-परिताप द्रवे यह दुनियां,पर का परिताप न जान सके।मिथ्या आडम्बर चक्कर में,नहिं असल सत्य पहचान सके।।उसूल निभाना अच्छा हैपर वो भी कहीं यदि रूढ़ हुआ।जो कालबाह्य है उसे पकड़कर अड़ा रहा सो मूढ़ हुआ।।यह समय-सरित की धारा हैजो सुना रही सन्देश बड़ा।जो बहता है वह निर्मल हैजो रुका पड़ा सो पड़ा सड़ा।सबलों ने जग को सिखलायासंसार निबल का दुश्मन है।सामर्थ्यवान को दोष नहींबलहीन जनों हित बन्धन है।।जो सक्षम हैं सो बदल रहेसब रुग्ण रु रूढ़ रिवाजों को।जर्जर दीवारें ढहा ढहावे खोल रहे दरवाजों को।।लेकिन ये पीड़ा है मन मेंदिखते सब अपने कष्ट लिए।पर की पीड़ा महसूस करेंवो ज़िगर दिखाई नहीं दिए।।खुद पर बीती तो नियम त...
राष्ट्रीय एकता को पुष्ट करती है हिन्दी- डॉ. केवलिया

राष्ट्रीय एकता को पुष्ट करती है हिन्दी- डॉ. केवलिया

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अभिनव टाइम्स बीकानेर।वरिष्ठ साहित्यकार-शिक्षाविद् डॉ. मदन केवलिया ने कहा कि राष्ट्रीय एकता को हिन्दी पुष्ट करती है। स्वतंत्रता आन्दोलन में हिन्दी के साहित्यकारों-पत्रकारों का अमूल्य योगदान रहा है।डॉ. केवलिया बुधवार को राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय सभागार में हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित ‘राष्ट्रीय एकता और हिन्दी’ विषयक संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हिन्दी इस देश की मिट्टी की भाषा है, यह जनजीवन से जुड़ी भाषा है। हिन्दी कोमल, सरल, सहज और संस्कारी भाषा है। महात्मा गांधी ने भी राष्ट्रीय एकता के सशक्तीकरण में हिन्दी भाषा के महत्त्व को स्वीकारा था। हिन्दी आज पूरे देश की सम्पर्क भाषा बन गई है व हिन्दी पत्र-पत्रिकाएं, विज्ञापन, हिन्दी न्यूज़ चैनल भी इसमें उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। हिन्दी की कृतियों का देश-विदेश की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उन्होंने...
साहित्यकार रवि पुरोहित को प्रदान किया जाएगा पं. मधुकर गौड़ सार्थक साहित्य सम्मान<br>9 अक्टूबर को चूरू के नगरश्री में होगा आयोजन

साहित्यकार रवि पुरोहित को प्रदान किया जाएगा पं. मधुकर गौड़ सार्थक साहित्य सम्मान
9 अक्टूबर को चूरू के नगरश्री में होगा आयोजन

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अभिनव टाइम्स बीकानेर।सार्थक साहित्य संस्थान, मुंबई द्वारा वर्ष 2022 के ‘मधुकर गौड़ सार्थक साहित्य सम्मान की घोषणा कर दी गई है। इस वर्ष यह प्रतिष्ठित सम्मान बीकानेर के साहित्यकार रवि पुरोहित को उनके राजस्थानी साहित्यिक अवदान के लिए अर्पित किया जाएगा। इस आशय की जानकारी देते हुए संस्थान प्रतिनिधि पाना देवी गौड़ और कमलेश गौड़ ने बताया कि कवि-कथाकार-समालोचक-संपादक-अनुवादक रवि पुरोहित की बीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है और साहित्य अकादमी, दिल्ली, राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर, राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर, राजस्थान सरकार, अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन, कोलकाता, राजस्थान रत्नाकर, दिल्ली सहित सौ अधिक संस्थाओं से पुरस्कृत-समादृत पुरोहित को 9 अक्टूबर को नगरश्री सभागार, चूरू में आयोज्य भव्य समारोह में यह सम्मान अर्पित किया जाएगा।हिन्दी व राजस्थानी के चूरू में जन्में मुंबई...
11 सितम्बर जन्म जयंती मरुधरा के महाकवि कन्हैया लाल सेठिया

11 सितम्बर जन्म जयंती मरुधरा के महाकवि कन्हैया लाल सेठिया

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"आ तो सुरगाँ नैं सरमावै,ईं पर देव रमण नैं आवै,ईं रो जस नर नारी गावै, धरती धोराँ री" जैसा सुप्रसिध्द राजस्थानी गीत लिखने वाले महाकवि स्व.कन्हैया लाल सेठिया का यह जन्म शताब्दी वर्ष के बाद दूसरा वर्ष है। महाकवि सेठिया का जन्म एक सौ दो वर्ष पूर्व 11 सितम्बर 1919 को सुजानगढ़ (चुरू) में हुआ। उनके पिता का नाम छगन मल सेठिया और माता का नाम मनोहरी देवी था। कन्हैया लाल सेठिया को जन्म के समय से ही अपनी मातृभूमि राजस्थान से बहुत लगाव था क्योंकि उस समय राजस्थान को अन्य प्रदेशों की तुलना में पिछड़ा हुआ माना जाता था इसलिये यहाँ की गौरवपूर्ण संस्कृति और शौर्य गाथाओं से पूरे देश को परिचित कराने और राजस्थान के सुसुप्त जन-जीवन को पुनर्जागृत करने हेतु उन्होंने साहित्य का मार्ग चुना।एक प्रकार से राजस्थान का "राज्य-गीत" बन चुके "धरती धोराँ री" गीत में जिस प्रकार महाकवि सेठिया ने यहाँ के विभिन्न जिला-क्षेत्रों क...
इतियास पुरुष इण महाराणा री याद घणैरी आवै है

इतियास पुरुष इण महाराणा री याद घणैरी आवै है

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छैलू चारण "छैल" इतियास पुरुष इण महाराणा री याद घणैरी आवै हैउण पूत सपूता मायड़ रां री याद घणैरी आवै हैजिण बगत देस में मुगलां रै आतंक रा रोळा चालै हाहुकुम बिना तुरकां रै जद पत्ता तक कोनी हालै हामरजादा रो मान मरण में कसर रत्ति भर कोनी हीसगळा राजन री रसनावां जद अकबर आगे मोनी हीउण बगत शूरमो एक अटल आजादी रा गुण गावै हैउण जयवंता रै जायोड़ै री याद घणैरी आवै है।।आजादी री साख बचावण शूर सदा ही आगे होडूबतड़ै सूरज में बो परभात किरण सी लागै होमेवाड़ धरा रो मान राण नित रो ही ऊंच रखायो होएकलिंग रो मुकुट मनोहर निज तेजस सूं चमकायो होराजमहल रमणै री बैळ्यां तरवारां सूं खैले होबचपण सूं कीको वीर रहयो साथ्यां में सबसूं पैले होयाद करां उणनै जद भी छाती चोड़ी व्है ज्यावै हैउण जयवंता रै जायोड़ै री याद घणैरी आवै है।अकबरिये हर बार झुकावण दूत घणैरा भेज्या हामहाराणा हर बार उणानै बात सांचली कहग्या हाजद तक रजपूती खून रगां आ...
बीकानेर के कुओं की कहानी: जळ थळ उजला, नारी नवले बेस…

बीकानेर के कुओं की कहानी: जळ थळ उजला, नारी नवले बेस…

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संजय श्रीमाली मरूक्षेत्र में बीकानेर एक ऐसा जिला है जिसमें कोई भी जल का प्राकृतिक संसाधन नहीं है। यहां न तो नदी है, न कोई प्राकृतिक झील-झरना और ना ही सागर तट। इस क्षेत्र में केवल मानव द्वारा निर्मित जल संसाधनों में मुख्यतः कुएं, कुण्ड, बावड़ियां एवं तालाब आदि ही है। बीकानेर में जल की स्थिति हेतु यह कहावत बहुत प्रसिद्ध - जळ उंड़ा थळ उजला, नारी नवले बेस….. इस उक्ति में बीकानेर में जल के माप को बखूबी बताया है कि यहा जल स्तर बहुत नीचे है और थल पर बालू रेत का अपार समन्दर दिखाई देता है, और यहां की नारियों की वेशभुषा बहुत ही निराली है। इस क्षेत्र में जल का मोल घी से भी ज्यादा माना गया है, यहां के लोगों से सुना जाता है कि ‘‘घी ढूळे तो कांई नहीं, पाणी ढूळे तो म्हारो जी बळे’’ अर्थात घी व्यर्थ में बह जाए तो कुछ नहीं लेकिन जल व्यर्थ में नहीं बहना चाहिए। ऐसे सूखे प्रदेश में उस काल में कुएं और तालाब प...
आचार्य महाश्रमण: युग को श्रेष्ठ बनाने वाले संत

आचार्य महाश्रमण: युग को श्रेष्ठ बनाने वाले संत

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विजय सिंह नाहटा महाश्रमण भारतीय ॠषि परम्परा के जाज्ज्वल्यमान नक्षत्र हैं। आत्म कल्याण के लिए उनकी अहर्निश साधना पर कल्याण की दिशा में भी प्रवहमान है। तेरापंथ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य प्रवर अनूठी मेधा , प्रत्युत्पन्न मतित्व , सहज सरल और सौम्य व्यक्तित्व , समत्व और ब्रहमतेज से विभूषित, समता करूणा के पर्याय , दूरदृष्टा और विलक्षण प्रशासकीय कौशल से अलंकृत आध्यात्म जगत की विरल विभूति हैं। आपका हर पल आत्म रमण में गतिमान है। आपने विनय विवेक और निरभिमानिता के गुण से दो प्रभावक आचार्यों -- गणाधिपति तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ का दिल जीतकर आपश्री जैसे उन दोनों महान आत्माओं के परम प्रिय शिष्य और मानस कृति में रूपाकार हो गये। यह भरत क्षेत्र आपके अवतरण से आह्लादित और धन्य है। तीर्थंकर के प्रतिनिधि के रूप में आप कठोर श्रम और पावन चारित्र साधना से लाखों लाख जन को प्रेरणा पाथेय प्रदान कर युग को कुशल न...
पिता का सवाल

पिता का सवाल

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ओम नागर, कोटा पिता ने कभी नहीं पूछाकिस विषय में कितने नंबर लायाकौनसी क़िताब कठिन हैकौनसी सरल से भी सरलपिता को पढ़ना नहीं आतालेकिन पास होने पर खुश होना आता थाइतना खुशकि खेत से साँझ डूबते लौटते घरसुबह का सूरज मेड़ पर खिलतानहीं पूछाकिसी मास्टर जी का नाम पतादाखिले के वक़्तइतना भर कहा थामाटसाब"माँस-माँस थांकौहाड-हाड म्हाका "पिता ने माँ से भी पूछा नहीं कभीकि यह छोरा पढ़ता कब है ? देखा नहींकांख में रेडियो दबायें फिरता हैं बसपिता के सब सवालों के उत्तर जैसेमाँ के पास घड़ी कपड़ों की तहों में रखें होंकहती- थां घरां रहै तोल तो पड़ै, थांकौ दिन तोहमेस खेत की मेर आंथे-उगै छै…पिता के पासमुझ से पूछे जा सकने वाले सवालों से भी बड़ेबहुत बड़े सवाल और भी थेपेट का सवालरोटी का सवालखाद,बीज, पाणी के सवाल तो थे हीं जस के तसखेत अपना हो जितना-सा भी, फिर निपट परायाउससे भी बड़ा सवाल बोहरा जी की जूनी बही सेसूद-मूल को ...
चोंच डाउन हड़ताल

चोंच डाउन हड़ताल

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इंजी. आशा शर्मा “क्या हुआ दोस्त… आज चुप क्यों हो… कल तक तो बहुत कू-कू कर रही थी…” फिरकू कौवे ने सलोनी कोयल से पूछा.“क्या तुम्हें मेंढकों का टर्राना सुनाई नहीं दे रहा? बारिश का मौसम शुरू हो चुका है… अब दादुर वक्ता भये… हमको पूछत कौन?” सलोनी ने ठंडी साँस भरते हुए कहा.“तुम क्यों उदास होती हो सलोनी, तुम्हारी मीठी तान तो सदा ही सुहानी लगती है… वो तो हम ही कर्कश हैं जो हमेशा दुत्कार कर उड़ा दिए जाते हैं.” फिरकू ने कहा.“लेकिन तुम्हें भी तो श्राद्पक्ष में कितना सम्मान मिलता है.” सलोनी ने उसे कहा.“आहा… श्राद्पक्ष में पूरे सोलह दिन मनुहार के साथ पकवानों का भोज मिलेगा…” सलोनी की बात सुनते ही उसके मन में लड्डू फूटने लगे.“लेकिन सिर्फ सोलह दिन ही क्यों? क्यों न पूरे साल ही पकवान उड़ाए जायें…” सोचकर दो दिन बाद फिरकू ने कौवों की सभा बुलाई. “भाइयों! मनुष्य यूँ तो हमें मुंडेर तक पर बैठने नहीं देता लेकि...
बाफना स्कूल में “साहित्य से नई पीढ़ी का जुड़ाव-शिक्षकों की भूमिका” संवाद कार्यक्रम का आयोजन।

बाफना स्कूल में “साहित्य से नई पीढ़ी का जुड़ाव-शिक्षकों की भूमिका” संवाद कार्यक्रम का आयोजन।

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राजस्थान साहित्य अकादमी का पहला कार्यक्रम बाफना स्कूल में आयोजित। अभिनव टाइम्स बीकानेर।बाफना स्कूल में शुक्रवार को "साहित्य से नई पीढ़ी का जुड़ाव - शिक्षकों की भूमिका" विषय पर संवाद का कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण थे। कार्यक्रम में डॉ. दुलाराम सहारण ने शिक्षक-शिक्षिकाओं को संबोधित करते हुए कहा कि विद्यार्थियों को साहित्य से जोड़ने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। आप विद्यार्थियों को लेखन से जुड़ने के लिए प्रेरित कीजिए और राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर उनको लेखन के क्षेत्र में उत्कृष्ट करने के लिए सहयोग करेगी। कार्यक्रम में उन्होंने अकादमी की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। अपने जीवन के कुछ प्रेरणादाई संस्मरण को भी बताया। स्कूल के सीईओ डॉ. पीएस वोहरा ने बताया कि स्कूल अपने विद्यार्थियों के ...
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