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Friday, September 20

साहित्य

बालमन के लिए प्रहेलिका की पहेलियां

बालमन के लिए प्रहेलिका की पहेलियां

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दीनदयाल शर्मा मेरे एक मित्र की लडक़ी है। नाम है प्रहेलिका। दस वर्ष की उम्र और छठी कक्षा में पढ़ती है। स्वभाव से बातूनी इतनी कि किसी को बोलने का मौका ही नहीं देती। आप बस ‘हां’ ‘हूं’ करते रहें या फिर उसकी पहेलियों को सुलझाने में अपना दिमाग दौड़ाते रहे।प्रहेलिका पढऩे में भी बहुत होशियार है। अपनी कक्षा की मॉनिटर है और सबकी चहेती भी।एक दिन मैं अपने मित्र के घर गया। प्रहेलिका दरवाजे के बीच खड़ी थी। बोली, ‘अंकल, बहुत देर कर दी आपने। पापा आपका इंतजार करते करते ही गए हैं।’‘कहां ?’ मैंने पूछा।‘पान वाले की दुकान पर।’ उसने सहजता से उत्तर दिया। फिर वह बोली, ‘पापा आते हैं, तब तक अपने कुछ गपशप कर लेते हैं। क्यों अंकल ?’‘हां, यह ठीक रहेगा।’ मैंने बैठक में रखी कुर्सी पर बैठते हुए कहा।‘अंकल, मैं एक पहेली पूछूं ?’मैंने एक पत्रिका उठाते हुए कहा, ‘हां, पूछो।’वह मेरे हाथ से पत्रिका छीनते हुए बोली, ‘अंकल, पहल...
ज्योतिष के उपायों से बदले बच्चों का स्वभाव

ज्योतिष के उपायों से बदले बच्चों का स्वभाव

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पंडित गिरधारी सुरा ( पुरोहित ) बचपन से ही बच्चों में अच्छे संस्कार के साथ-साथ उनके शारीरिक, मानसिक विकास के लिए सभी अभिभावकों को कुछ विशेष बातों का अवश्य ध्यान रखना चहिए। जब बच्चे माता पिता की बात नहीं सुनते हैं, बात नहीं मानते, जिद करते हैं या पढ़ाई में रुचि नहीं लेते हैं तो माता-पिता को चिंता होना स्वाभाविक है। कहा जाता है कि बच्चे शैतानी नहीं करेंगे तो क्या बड़े करेंगे? मगर जब ये शैतानी सीमा पर करने लगती है और स्वयं को और दूसरों को नुकसान पहुंचाने लगती है तो माता-पिता का चिंतित होना स्वाभाविक है।हर समय उनको अपने बच्चों की फिक्र लगी रहती है। बच्चों के जन्म के समय जिस तरह की ग्रह स्थितियां होती है स्वभाव भी उसी के अनुरूप बनता है। मंगल को विशेष रूप से (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); गुस्से, जिद्दीपन , उठापटक वाला ग्रह बताया है। बच्‍चों में जिद क...
ऋतुप्रिया की राजस्थानी कविताएं

ऋतुप्रिया की राजस्थानी कविताएं

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मशीन चौका-पौचारोटी-पाणीअरगाभा धोवण रीजींवती-जागतीमशीन हुवै लुगायांकित्तो करै कामठाह नींकद जागैकद सोवैपणघर मेंसगळां रानूवां-नूवां ताना ढोवै। 2- इनाम माणसटाबरसासु-सुसरोदेवर-जेठनणद-नणदोईजेठूता-नाणदासगळां नैपरोटै बीनणीघर संभाळतीउळझती -भाजतीजावै ड्यूटी माथैदोलड़ै काम मेंबिताद्यै जिनगीकित्तो करै कामपणइण नैकुण द्यै इनाम। ...
हिंदुस्तानी संस्कृति के अलमबरदार उर्दू शायर : फ़िराक़ गोरखपुरी

हिंदुस्तानी संस्कृति के अलमबरदार उर्दू शायर : फ़िराक़ गोरखपुरी

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-डॉ. असित गोस्वामी अगर है हिन्द शनासी की आरज़ू तुझकोमेरा कलाम इसी सिम्त इक इशारा है फ़िराक़ गोरखपुरी का यह शेर उनकी शायरी की एक बानगी पेश करता है। यह शेर इस बात की शहादत है कि उनका पूरा कलाम हिन्दुस्तान और हिंदुस्तानियत के रंग में रंगा है. हुस्न-ओ-इश्क, हिज्र-ओ-विसाल दिल-ओ-जिगर जैसे उर्दू के रिवायती मौज़ूआत तो फ़िराक़ साहब की शायरी में मिलते ही हैं, पर उनकी शायरी में भारतीय साहित्य परम्परा का श्रृंगार रस भी इफ़रात से मिलता है। उनके पूरे कलाम में और ख़ास तौर से उनके संग्रह “रूप” की रुबाइयों में सुन्दरता के विशुद्ध भारतीय रूपक बड़ी मिकदार में मौजूद हैं। जैसे -कोमल पद-गामिनी की आहट तो सुनोगाते क़दमों की गुनगुनाहट तो सुनोसावन लहरा है मद में डूबा हुआ रूपरस की बूँदों की झमझमाहट तो सुनोयावो पेंग है रूप में कि बिजली लहराएवो रस आवाज़ में कि अमृत ललचाएरफ़्तार में वो लचक पवन रस बल खाएगेसू में वो लट...
यूं ही कोई मिल गया था…

यूं ही कोई मिल गया था…

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संगीतकार गुलाम मोहम्मद की दास्तान यह भी अजीब संयोग ही है। जिस तरह संगीतकार आर. डी. बर्मन फिल्म 1942 : ए लव स्टरी के संगीत की सफलता देखने के लिए जीवित नहीं रहे, बिल्कुल ऐसी ही स्थिति संगीतकार गुलाम मोहम्मद की भी रही। वे भी अपनी बड़ी फिल्म पाकीजा की सफलता देखने के लिए जिंदा नहीं थे। गुलाम मोहम्मद ऐसे संगीतकार थे, जो रहे तो गुमनाम पर उनकी धुनें लोगों की जुबान पर सदियों से चढ़ी हुई हैं। उनकी धुनों की मिठास वर्षो के बाद भी कम नहीं हुई है और वे आज भी नए संगीतकारों के लिए आदर्श हैं। फिल्म पाकीजा जब बन रही थी, तब गुलाम मोहम्मद उसका संगीत तैयार कर चुके थे। कुछ काम अभी बाकी था कि तभी वे चल बसे। वे किस्मत के धनी नहीं थे। आर. डी. बर्मन ने तो कई बार सफलता का स्वाद चख लिया था अपने करियर में, लेकिन गुलाम मोहम्मद के नसीब में ऐसा नहीं लिखा था। वे गुमनाम रहे, और जब उनका काम दुनिया में ख्याति पाने वाला ह...
दुख का कारण नहीं बनेंगे- डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

दुख का कारण नहीं बनेंगे- डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

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डॉ. गजादान चारण "शक्तिसुत" जो हरदम आगे रहते हैं,आगे ही शोभा पाते हैं।वो एक कदम भी रुक जाएं,तो सब राही रुक जाते हैं।।मंजिल को पाना मुश्किल है,उसूल निभाना और कठिन।सुख के तो अनगिन साथी हैं,हैं असल परीक्षक दुख के दिन।।निज-परिताप द्रवे यह दुनियां,पर का परिताप न जान सके।मिथ्या आडम्बर चक्कर में,नहिं असल सत्य पहचान सके।।उसूल निभाना अच्छा हैपर वो भी कहीं यदि रूढ़ हुआ।जो कालबाह्य है उसे पकड़कर अड़ा रहा सो मूढ़ हुआ।।यह समय-सरित की धारा हैजो सुना रही सन्देश बड़ा।जो बहता है वह निर्मल हैजो रुका पड़ा सो पड़ा सड़ा।सबलों ने जग को सिखलायासंसार निबल का दुश्मन है।सामर्थ्यवान को दोष नहींबलहीन जनों हित बन्धन है।।जो सक्षम हैं सो बदल रहेसब रुग्ण रु रूढ़ रिवाजों को।जर्जर दीवारें ढहा ढहावे खोल रहे दरवाजों को।।लेकिन ये पीड़ा है मन मेंदिखते सब अपने कष्ट लिए।पर की पीड़ा महसूस करेंवो ज़िगर दिखाई नहीं दिए।।खुद पर बीती तो नियम त...
राष्ट्रीय एकता को पुष्ट करती है हिन्दी- डॉ. केवलिया

राष्ट्रीय एकता को पुष्ट करती है हिन्दी- डॉ. केवलिया

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अभिनव टाइम्स बीकानेर।वरिष्ठ साहित्यकार-शिक्षाविद् डॉ. मदन केवलिया ने कहा कि राष्ट्रीय एकता को हिन्दी पुष्ट करती है। स्वतंत्रता आन्दोलन में हिन्दी के साहित्यकारों-पत्रकारों का अमूल्य योगदान रहा है।डॉ. केवलिया बुधवार को राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय सभागार में हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित ‘राष्ट्रीय एकता और हिन्दी’ विषयक संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हिन्दी इस देश की मिट्टी की भाषा है, यह जनजीवन से जुड़ी भाषा है। हिन्दी कोमल, सरल, सहज और संस्कारी भाषा है। महात्मा गांधी ने भी राष्ट्रीय एकता के सशक्तीकरण में हिन्दी भाषा के महत्त्व को स्वीकारा था। हिन्दी आज पूरे देश की सम्पर्क भाषा बन गई है व हिन्दी पत्र-पत्रिकाएं, विज्ञापन, हिन्दी न्यूज़ चैनल भी इसमें उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। हिन्दी की कृतियों का देश-विदेश की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उन्होंने...
साहित्यकार रवि पुरोहित को प्रदान किया जाएगा पं. मधुकर गौड़ सार्थक साहित्य सम्मान<br>9 अक्टूबर को चूरू के नगरश्री में होगा आयोजन

साहित्यकार रवि पुरोहित को प्रदान किया जाएगा पं. मधुकर गौड़ सार्थक साहित्य सम्मान
9 अक्टूबर को चूरू के नगरश्री में होगा आयोजन

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अभिनव टाइम्स बीकानेर।सार्थक साहित्य संस्थान, मुंबई द्वारा वर्ष 2022 के ‘मधुकर गौड़ सार्थक साहित्य सम्मान की घोषणा कर दी गई है। इस वर्ष यह प्रतिष्ठित सम्मान बीकानेर के साहित्यकार रवि पुरोहित को उनके राजस्थानी साहित्यिक अवदान के लिए अर्पित किया जाएगा। इस आशय की जानकारी देते हुए संस्थान प्रतिनिधि पाना देवी गौड़ और कमलेश गौड़ ने बताया कि कवि-कथाकार-समालोचक-संपादक-अनुवादक रवि पुरोहित की बीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है और साहित्य अकादमी, दिल्ली, राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर, राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर, राजस्थान सरकार, अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन, कोलकाता, राजस्थान रत्नाकर, दिल्ली सहित सौ अधिक संस्थाओं से पुरस्कृत-समादृत पुरोहित को 9 अक्टूबर को नगरश्री सभागार, चूरू में आयोज्य भव्य समारोह में यह सम्मान अर्पित किया जाएगा।हिन्दी व राजस्थानी के चूरू में जन्में मुंबई...
11 सितम्बर जन्म जयंती मरुधरा के महाकवि कन्हैया लाल सेठिया

11 सितम्बर जन्म जयंती मरुधरा के महाकवि कन्हैया लाल सेठिया

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"आ तो सुरगाँ नैं सरमावै,ईं पर देव रमण नैं आवै,ईं रो जस नर नारी गावै, धरती धोराँ री" जैसा सुप्रसिध्द राजस्थानी गीत लिखने वाले महाकवि स्व.कन्हैया लाल सेठिया का यह जन्म शताब्दी वर्ष के बाद दूसरा वर्ष है। महाकवि सेठिया का जन्म एक सौ दो वर्ष पूर्व 11 सितम्बर 1919 को सुजानगढ़ (चुरू) में हुआ। उनके पिता का नाम छगन मल सेठिया और माता का नाम मनोहरी देवी था। कन्हैया लाल सेठिया को जन्म के समय से ही अपनी मातृभूमि राजस्थान से बहुत लगाव था क्योंकि उस समय राजस्थान को अन्य प्रदेशों की तुलना में पिछड़ा हुआ माना जाता था इसलिये यहाँ की गौरवपूर्ण संस्कृति और शौर्य गाथाओं से पूरे देश को परिचित कराने और राजस्थान के सुसुप्त जन-जीवन को पुनर्जागृत करने हेतु उन्होंने साहित्य का मार्ग चुना।एक प्रकार से राजस्थान का "राज्य-गीत" बन चुके "धरती धोराँ री" गीत में जिस प्रकार महाकवि सेठिया ने यहाँ के विभिन्न जिला-क्षेत्रों क...
इतियास पुरुष इण महाराणा री याद घणैरी आवै है

इतियास पुरुष इण महाराणा री याद घणैरी आवै है

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छैलू चारण "छैल" इतियास पुरुष इण महाराणा री याद घणैरी आवै हैउण पूत सपूता मायड़ रां री याद घणैरी आवै हैजिण बगत देस में मुगलां रै आतंक रा रोळा चालै हाहुकुम बिना तुरकां रै जद पत्ता तक कोनी हालै हामरजादा रो मान मरण में कसर रत्ति भर कोनी हीसगळा राजन री रसनावां जद अकबर आगे मोनी हीउण बगत शूरमो एक अटल आजादी रा गुण गावै हैउण जयवंता रै जायोड़ै री याद घणैरी आवै है।।आजादी री साख बचावण शूर सदा ही आगे होडूबतड़ै सूरज में बो परभात किरण सी लागै होमेवाड़ धरा रो मान राण नित रो ही ऊंच रखायो होएकलिंग रो मुकुट मनोहर निज तेजस सूं चमकायो होराजमहल रमणै री बैळ्यां तरवारां सूं खैले होबचपण सूं कीको वीर रहयो साथ्यां में सबसूं पैले होयाद करां उणनै जद भी छाती चोड़ी व्है ज्यावै हैउण जयवंता रै जायोड़ै री याद घणैरी आवै है।अकबरिये हर बार झुकावण दूत घणैरा भेज्या हामहाराणा हर बार उणानै बात सांचली कहग्या हाजद तक रजपूती खून रगां आ...
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