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Saturday, November 23

साहित्य

कबीर की कविता…सबसे दुःखी कौन है ?

कबीर की कविता…सबसे दुःखी कौन है ?

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थार में जल को तरसती रेतविवशताओं से उपजे डकैतरंगरभेद से लड़ते हुए अश्चेतया मुक्ति को तरसते हुए प्रेत ?मैं कहता हूँ कोई नहींहाँ कोई नहीं ।सबको आशा है एक दिन सब कुशल हो जाने कीऔर इसी आस से सदा रहेंगे वे सुखी ।सबसे सुखी कौन है ?पानी लिए हुए समंदरबंदीगृह लेकर दास अंदरअसुरों के घर तोड़ता पुरंदरया दुनिया जीतता हुआ सिकंदर ?मैं कहता हूँ कोई नहींहाँ कोई नहीं ।सबको भय है एक दिन सब आधा हो जाने काऔर इसी त्रास से सदा रहेंगे वे दुःखी ।यह बिल्कुल किसी ब्याहता से प्रेम करने जैसा हैवे लोग मारे हो जाएंगे जो हृदय और मस्तिष्क के समान ग्राही हैंउन्हें ले डूबेगाये द्वंद्वकिअनैतिक होकर सुख भोगेंया तार्किक होकर दुःख भोगें ?अंत में वे सुख और दुःख के ठीक मध्य में प्राण त्याग देंगेऔर छोड़ जाएंगे अपने पीछे एक अजर-अमर बहससबसे सुखी कौन है ?सबसे दुःखी कौन है ? ...
काव्य-रंग… सोने री सांकळां भागआळी बीनणी डॉ. मोनिका शर्मा

काव्य-रंग… सोने री सांकळां भागआळी बीनणी डॉ. मोनिका शर्मा

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1- सोने री सांकळां पीर कै आंगणै मांयचिड़कली सीचिंचाती लाडलीमांडा तलै आंवता'ईंटाबरपणों छोड दियोअर सात फेरा लेवतां'ईसुघड़ समजआळीबीनणी बणगीबणी-ठणीअर सिणगार करयोड़ीदरपण रै सामी बैठ्योड़ीजद घणा गौर सूँनिरख्योबा आपरा रूप नैं, तोअंतस मैं झाँकणै लागीफेर गिण-गिण'रबातां बिचारणै लागीतो बीनैं बीको'ईरूप फीको सो लाग्योअर बा सोच्योकै आं सोना री सांकळां मैंम्हारी मुळकती-ढुळकतीछिब कठे गुमगीसोवणा मंडाण आळागैणागांठी मैं बंधगोम्हारो डील अरआत्मा जाणैकिण पासैखिंडगी……… 2- भागआळी बीनणी सासरै री कांकड़ मांयपग धरतां'ईंनुंवीं बीनणी काभाग री बातां चालगीचोभींती हेली की साळां राओडालेड़ा कुवांडां रै ओलै बीबीका चोखा- बुरा पगफेरा रीघणी'ईं चरचा चालीआडै- बाडै सगळा बतळायाबिकी तगदीर कालिख्योड़ा लेखा नैबाँचबा को जतन घर-बार, गाँव-गुवाड़ कासगळा'ईं मिनख करयोपण बातां तो हुयी'ई कोनीबां गुण सिंस्कारां अर पोथी पानड़ा रीबीनणी री ...
मनमीत की डायरी…मैं कट्टी हूँ!

मनमीत की डायरी…मैं कट्टी हूँ!

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एक दिनऔर दिनों-साआयु का एक बरस ले चला गया। अज्ञेय आज मेरा जन्मदिन है। एक बरस कम हुआ। हुआ होगा। मैं तो मानता हूँ सब में बँट गया। यह कहने से क्या होता है? थोड़ी-बहुत घबराहट तो हो ही रही है कि उम्र कम हो रही है। थोड़ी-बहुत नहीं बहुत ज़्यादा। काळजा मुँह को आ रहा है। आसपास बाजे बज रहे हैं - रंग उड़ रहे हैं - बधाइयाँ मिल रही हैं - लेकिन किस लिए? ऐसा लग रहा है सती होने जा रहा हूँ। मुझे अफीम पिलाई जा रही है ताकि होश न रहे। लेकिन मुझे पूरा होश है। मुझे दिख रहा है मैं कम हो रहा हूँ। लिखता जा रहा हूँ कम होता जा रहा हूँ। पढ़ता जा रहा हूँ कम होता जा रहा हूँ। सोचता जा रहा हूँ कम होता जा रहा हूँ। कुछ न कुछ करता जा रहा हूँ कम होता जा रहा हूँ। मैं इस काल के पहिये को एक क्षण के लिए रोक देना चाहता हूँ। पूरा दम लगाना चाहता हूँ। बात यह नहीं दम लगा नहीं सकता। बात यह है कि कोई है जो दम लगाने नह...
रमेश बोहरा को अर्पित किया जाएगा इस वर्ष का निर्मोही नाट्य सम्मान

रमेश बोहरा को अर्पित किया जाएगा इस वर्ष का निर्मोही नाट्य सम्मान

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अभिनव टाइम्स बीकानेर। अनुराग कला केंद्र द्वारा प्रतिवर्ष दिया जाने वाला निर्मोही नाट्य सम्मान इस बार प्रदेश के वरिष्ठ रंगकर्मी रमेश बोहरा को अर्पित किया जाएगा।अनुराग कला केंद्र के सचिव कमल अनुरागी ने बताया कि बोहरा को सम्मान स्वरूप इक्कीस हजार रुपए नकद एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व यह सम्मान नई दिल्ली के राजेश तैलंग, बीकानेर के लक्ष्मी नारायण सोनी, एस. डी. चौहान और कैलाश भारद्वाज, जयपुर के जयरूप जीवन, भीलवाड़ा के गोपाल आचार्य और गोवा के विजय नाइक, को अर्पित किया जा चुका है।उन्होंने बताया कि इस संबंध में शनिवार को अनुराग कला केंद्र के कार्यालय में रंगकर्मी विजय सिंह राठौड़ की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई। इसमें रंगकर्मी किशन रंगा, सुनील जोशी, हिमांशु व्यास, राज शेखर शर्मा, अशोक व्यास, गौरव सोनी, जितेंद्र पुरोहित, अमित सोनी और शिव सुथार आदि मौजूद रहे।उल्...
क़ासिम का सम्मान गौरव की बात : कमल रंगा

क़ासिम का सम्मान गौरव की बात : कमल रंगा

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शबनम साहित्य परिषद ने किया क़ासिम बीकानेरी को जमीला खातून स्मृति सम्मान से सम्मानित अभिनव टाइम्स बीकानेर। मेहंदी नगरी सोजत की शबनम साहित्य परिषद संस्था की संस्थापिका जमीला ख़ातून की स्मृति में आयोजित राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान समारोह में साहित्य नगरी बीकानेर के ख्यातनाम शायर, कवि, कहानीकार क़ासिम बीकानेरी को उनकी बेहतरीन साहित्यिक सेवाओं के लिए जमीला ख़ातून स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पेंशनर समाज अध्यक्ष लालचंद मोयल ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सोजत के वरिष्ठ साहित्यकार वीरेंद्र लखावत थे। नगर के वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा ने मेहंदी नगर सोजत में क़ासिम बीकानेरी के सम्मानित होने पर ख़ुशी का इज़हार करते हुए उन्हें अपनी बधाइयां प्रेषित करते हुए कहा कि क़ासिम बीकानेरी का मेहंदी नगरी सोजत में सम्मानित होना न सिर्फ बीकानेर बल्कि पूरे राजस्थान के लिए ...
बालमन के लिए प्रहेलिका की पहेलियां

बालमन के लिए प्रहेलिका की पहेलियां

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दीनदयाल शर्मा मेरे एक मित्र की लडक़ी है। नाम है प्रहेलिका। दस वर्ष की उम्र और छठी कक्षा में पढ़ती है। स्वभाव से बातूनी इतनी कि किसी को बोलने का मौका ही नहीं देती। आप बस ‘हां’ ‘हूं’ करते रहें या फिर उसकी पहेलियों को सुलझाने में अपना दिमाग दौड़ाते रहे।प्रहेलिका पढऩे में भी बहुत होशियार है। अपनी कक्षा की मॉनिटर है और सबकी चहेती भी।एक दिन मैं अपने मित्र के घर गया। प्रहेलिका दरवाजे के बीच खड़ी थी। बोली, ‘अंकल, बहुत देर कर दी आपने। पापा आपका इंतजार करते करते ही गए हैं।’‘कहां ?’ मैंने पूछा।‘पान वाले की दुकान पर।’ उसने सहजता से उत्तर दिया। फिर वह बोली, ‘पापा आते हैं, तब तक अपने कुछ गपशप कर लेते हैं। क्यों अंकल ?’‘हां, यह ठीक रहेगा।’ मैंने बैठक में रखी कुर्सी पर बैठते हुए कहा।‘अंकल, मैं एक पहेली पूछूं ?’मैंने एक पत्रिका उठाते हुए कहा, ‘हां, पूछो।’वह मेरे हाथ से पत्रिका छीनते हुए बोली, ‘अंकल, पहल...
ज्योतिष के उपायों से बदले बच्चों का स्वभाव

ज्योतिष के उपायों से बदले बच्चों का स्वभाव

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पंडित गिरधारी सुरा ( पुरोहित ) बचपन से ही बच्चों में अच्छे संस्कार के साथ-साथ उनके शारीरिक, मानसिक विकास के लिए सभी अभिभावकों को कुछ विशेष बातों का अवश्य ध्यान रखना चहिए। जब बच्चे माता पिता की बात नहीं सुनते हैं, बात नहीं मानते, जिद करते हैं या पढ़ाई में रुचि नहीं लेते हैं तो माता-पिता को चिंता होना स्वाभाविक है। कहा जाता है कि बच्चे शैतानी नहीं करेंगे तो क्या बड़े करेंगे? मगर जब ये शैतानी सीमा पर करने लगती है और स्वयं को और दूसरों को नुकसान पहुंचाने लगती है तो माता-पिता का चिंतित होना स्वाभाविक है।हर समय उनको अपने बच्चों की फिक्र लगी रहती है। बच्चों के जन्म के समय जिस तरह की ग्रह स्थितियां होती है स्वभाव भी उसी के अनुरूप बनता है। मंगल को विशेष रूप से (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); गुस्से, जिद्दीपन , उठापटक वाला ग्रह बताया है। बच्‍चों में जिद क...
ऋतुप्रिया की राजस्थानी कविताएं

ऋतुप्रिया की राजस्थानी कविताएं

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मशीन चौका-पौचारोटी-पाणीअरगाभा धोवण रीजींवती-जागतीमशीन हुवै लुगायांकित्तो करै कामठाह नींकद जागैकद सोवैपणघर मेंसगळां रानूवां-नूवां ताना ढोवै। 2- इनाम माणसटाबरसासु-सुसरोदेवर-जेठनणद-नणदोईजेठूता-नाणदासगळां नैपरोटै बीनणीघर संभाळतीउळझती -भाजतीजावै ड्यूटी माथैदोलड़ै काम मेंबिताद्यै जिनगीकित्तो करै कामपणइण नैकुण द्यै इनाम। ...
हिंदुस्तानी संस्कृति के अलमबरदार उर्दू शायर : फ़िराक़ गोरखपुरी

हिंदुस्तानी संस्कृति के अलमबरदार उर्दू शायर : फ़िराक़ गोरखपुरी

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-डॉ. असित गोस्वामी अगर है हिन्द शनासी की आरज़ू तुझकोमेरा कलाम इसी सिम्त इक इशारा है फ़िराक़ गोरखपुरी का यह शेर उनकी शायरी की एक बानगी पेश करता है। यह शेर इस बात की शहादत है कि उनका पूरा कलाम हिन्दुस्तान और हिंदुस्तानियत के रंग में रंगा है. हुस्न-ओ-इश्क, हिज्र-ओ-विसाल दिल-ओ-जिगर जैसे उर्दू के रिवायती मौज़ूआत तो फ़िराक़ साहब की शायरी में मिलते ही हैं, पर उनकी शायरी में भारतीय साहित्य परम्परा का श्रृंगार रस भी इफ़रात से मिलता है। उनके पूरे कलाम में और ख़ास तौर से उनके संग्रह “रूप” की रुबाइयों में सुन्दरता के विशुद्ध भारतीय रूपक बड़ी मिकदार में मौजूद हैं। जैसे -कोमल पद-गामिनी की आहट तो सुनोगाते क़दमों की गुनगुनाहट तो सुनोसावन लहरा है मद में डूबा हुआ रूपरस की बूँदों की झमझमाहट तो सुनोयावो पेंग है रूप में कि बिजली लहराएवो रस आवाज़ में कि अमृत ललचाएरफ़्तार में वो लचक पवन रस बल खाएगेसू में वो लट...
यूं ही कोई मिल गया था…

यूं ही कोई मिल गया था…

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संगीतकार गुलाम मोहम्मद की दास्तान यह भी अजीब संयोग ही है। जिस तरह संगीतकार आर. डी. बर्मन फिल्म 1942 : ए लव स्टरी के संगीत की सफलता देखने के लिए जीवित नहीं रहे, बिल्कुल ऐसी ही स्थिति संगीतकार गुलाम मोहम्मद की भी रही। वे भी अपनी बड़ी फिल्म पाकीजा की सफलता देखने के लिए जिंदा नहीं थे। गुलाम मोहम्मद ऐसे संगीतकार थे, जो रहे तो गुमनाम पर उनकी धुनें लोगों की जुबान पर सदियों से चढ़ी हुई हैं। उनकी धुनों की मिठास वर्षो के बाद भी कम नहीं हुई है और वे आज भी नए संगीतकारों के लिए आदर्श हैं। फिल्म पाकीजा जब बन रही थी, तब गुलाम मोहम्मद उसका संगीत तैयार कर चुके थे। कुछ काम अभी बाकी था कि तभी वे चल बसे। वे किस्मत के धनी नहीं थे। आर. डी. बर्मन ने तो कई बार सफलता का स्वाद चख लिया था अपने करियर में, लेकिन गुलाम मोहम्मद के नसीब में ऐसा नहीं लिखा था। वे गुमनाम रहे, और जब उनका काम दुनिया में ख्याति पाने वाला ह...
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