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Friday, September 20

साहित्य

शरदोत्सव कवि सम्मेलन-मुशायरा रविवार को

शरदोत्सव कवि सम्मेलन-मुशायरा रविवार को

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अभिनव टाइम्स बीकानेर। जुबिली नागरी भंडार पाठक मंच द्वारा नागरी भंडार की छत पर हर साल की तरह इस साल भी 9 अक्टूबर 2022, रविवार को रात्रि 8 बजे शरद पूर्णिमा के अवसर पर कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन रखा गया है। जिसमें बीकानेर के हिंदी, उर्दू राजस्थानी के कवि एवं शायर अपनी रचनाएं प्रस्तुत करेंगे।नागरी भंडार के व्यवस्थापक श्री नंदकिशोर सोलंकी ने बताया कि सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल शरद उत्सव पर श्री जुबिली नागरी भण्डार की ऐतिहासिक छत पर तीन भाषाओं के कवि सम्मेलन एवं मुशायरे मेंनगर के तीन भाषा के तीन पीढ़ियों के कवियों एवं शायरों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है एवं खीर का प्रसाद भी रखा गया है। ...
गांधीजी और शास्त्रीजी के साथ आज भादानी जी को भी याद करें

गांधीजी और शास्त्रीजी के साथ आज भादानी जी को भी याद करें

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संजय आचार्य वरुण आज 2 अक्टूबर है। इस दिन को गांधी और शास्त्री जयंती के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है। आज के दिन का महत्व केवल इतना ही नहीं है, आज का दिन बीकानेर में जाये- जन्मे राजस्थान के जन- जन के प्रिय कवि हरीश भादानी की पुण्य तिथि भी है । हरीश जी के संघर्ष भी गांधीजी और शास्त्रीजी के संघर्षों से अलग नहीं थे, फर्क सिर्फ इतना था कि भादानीजी ने अपने संघर्षों में कविता को अपना हथियार बनाया था। कविता के जरिये किया गया आंदोलन भी अहिंसात्मक होता है, इसलिए भादानी जी गांधीजी से जुड़ते हैं, इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती । सवाल पार्टीगत विचारधारा का नहीं होता, सवाल होता है व्यक्ति के उद्देश्यों का। शास्त्रीजी ने अपने विभिन्न कार्यकालों में देश में रोटी का संकट देखा था, विदेशों से गेहूं आयात करने का घटनाक्रम उन्हें भीतर तक हिला गया था । रोटी जीवन की सबसे बड़ी जरूरत है, विकास के सारे दा...
ये किस मक़ाम पे सूझी तुम्हें बिछड़ने की<br>यादों में मौजूद कार्टूनिस्ट पद्मश्री सुधीर तैलंग

ये किस मक़ाम पे सूझी तुम्हें बिछड़ने की
यादों में मौजूद कार्टूनिस्ट पद्मश्री सुधीर तैलंग

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-अमित गोस्वामी उनकी आवाज़ की कशिश रात की गहराइयों की तरह भीतर तक उतर गई थी… बावजूद इस एहतियात के, कि आस पास गहरी नींद में सो रहे लोगों की नींद में ख़लल न पड़े। हमें जयपुर से बीकानेर आना था। रात की बस से आना तय हुआ। उन्होंने शर्त रख दी, कि तू रात को सोएगा नहीं। मैंने वजह पूछी तो बोले मैं रात भर गाऊँगा और तुझे मेरे गाने सुनने होंगे। हालाँकि मज़ाक़िया लहजे में कहा था उन्होंने, पर बेहद सधे हुए गले से उन्होने बहुत से गाने गाए…। टीवी चैनल्स पर कई कार्यक्रमों में, अंत्याक्षरी में ‘रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ’ और दूरदर्शन में ‘केसरिया बालम’ गाते हुए आप में से बहुत से लोग उन्हें सुन ही चुके हैं। उस रात भी सुधीर भाई अपने ही रंग में थे। मैं किसी पेशेवर गवैये की बात नहीं कर रहा हूँ। मैं बात कर रहा हूँ देश के प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट पद्मश्री सुधीर तैलंग की। सुधीर तैलंग दिल्ली की राजनैतिक और साहि...
बहुत दूर छूट गया है नेताजी की जिंदगी से जुड़े रहस्यों का सच

बहुत दूर छूट गया है नेताजी की जिंदगी से जुड़े रहस्यों का सच

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- कुमार अजय तीस साल से भी अधिक हुए, जब ननिहाल गुढ़ा-कालोद में मामाजी की सिलाई की दुकान पर बजते टेपरिकॉर्डर में कोई हरियाणवी रागनी सुनी थी, जिसमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस अपनी भाभी से कोई संवाद करते हैं। इस संवाद के जरिए नेताजी की संघर्ष की दास्तान को एक भावनात्मक पुट देकर रागनी प्रस्तुत की गई थी। बाद में जब भी याद आया, हरियाणा के अपने परिचितों और रिश्तेदारों से उस रागनी के बारे में पूछा पर वह बहुत स्थानीय किस्म की कोई रचना थी, जिसे मेरेे जैसी किसी व्यक्ति की स्मृतियों के अलावा कहीं खोज पाना मुश्किल ही था। तथ्य तो उसमें क्या ही रहे होंगे, लेकिन भावनाएँ तो थी हीं। रागनी में तो खैर तथ्यों की ज़रूरत भी न थी लेकिन जहाँ ज़रूरत थी, वहाँ भी सियासी राग-अनुराग और विराग में तथ्य खोते गए या व्यवस्थाओं के अनुकूल होते गए। खैर, तथ्य कितने ही दबाए जाएँ, छुपाए जाएँ या आधे-अधूरे ढंग से बताए जाएँ, नेताजी सुभ...
एक खत…प्रिय स्त्री, तुम ही हो रचयिता तुम ही हो निर्णायक

एक खत…प्रिय स्त्री, तुम ही हो रचयिता तुम ही हो निर्णायक

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ममता चौधरी प्रिय स्त्री!स्वयं ही संबल बन सकती हो तुम, अपने हिस्से की लड़ाइयां खुद ही लड़नी होगी तुम्हें। देह को सिर्फ खूबसूरत नहीं मजबूत बनाना होगा तुम्हें तराशकर, कहीं भी महफूज़ नहीं हो तुम अगर जरा भी कमजोर पड़ती हो। पब्लिक प्लेस जानकर जहां तुम खुद को सुरक्षित समझती हो, वहां भी कोई आगे नहीं आएगा तुम्हारे लिए। क्यूंकि पब्लिक सिर्फ तमाशा देखना जानती है, सो अपने कंधो को बनाओ इतना दृढ़ कि वे तुम्हारा सब भार वहन कर सके। कोई तुम्हारे पुकारने पर भी नहीं आएगा स्वयं ही योद्धा हो तुम अपने युद्ध की, एक अघोषित युद्ध जो छेड़ा है तुम्हारी अस्मिता के विरुद्ध हर जगह भेड़ियों, गिद्धों, लकडबग्घों ने..कोई कुरीति हो या तुम्हारे कैरियर को लेकर निर्णय, सब कुछ खुद ही तय करना होगा, चाहे पर्दे में रहने को इनकार करने की बात हो या देर रात की शिफ्ट में काम से लौटकर सुरक्षित घर तक पहुंचना, इतने पर भी समाज से अपने...
कबीर की कविता…सबसे दुःखी कौन है ?

कबीर की कविता…सबसे दुःखी कौन है ?

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थार में जल को तरसती रेतविवशताओं से उपजे डकैतरंगरभेद से लड़ते हुए अश्चेतया मुक्ति को तरसते हुए प्रेत ?मैं कहता हूँ कोई नहींहाँ कोई नहीं ।सबको आशा है एक दिन सब कुशल हो जाने कीऔर इसी आस से सदा रहेंगे वे सुखी ।सबसे सुखी कौन है ?पानी लिए हुए समंदरबंदीगृह लेकर दास अंदरअसुरों के घर तोड़ता पुरंदरया दुनिया जीतता हुआ सिकंदर ?मैं कहता हूँ कोई नहींहाँ कोई नहीं ।सबको भय है एक दिन सब आधा हो जाने काऔर इसी त्रास से सदा रहेंगे वे दुःखी ।यह बिल्कुल किसी ब्याहता से प्रेम करने जैसा हैवे लोग मारे हो जाएंगे जो हृदय और मस्तिष्क के समान ग्राही हैंउन्हें ले डूबेगाये द्वंद्वकिअनैतिक होकर सुख भोगेंया तार्किक होकर दुःख भोगें ?अंत में वे सुख और दुःख के ठीक मध्य में प्राण त्याग देंगेऔर छोड़ जाएंगे अपने पीछे एक अजर-अमर बहससबसे सुखी कौन है ?सबसे दुःखी कौन है ? ...
काव्य-रंग… सोने री सांकळां भागआळी बीनणी डॉ. मोनिका शर्मा

काव्य-रंग… सोने री सांकळां भागआळी बीनणी डॉ. मोनिका शर्मा

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1- सोने री सांकळां पीर कै आंगणै मांयचिड़कली सीचिंचाती लाडलीमांडा तलै आंवता'ईंटाबरपणों छोड दियोअर सात फेरा लेवतां'ईसुघड़ समजआळीबीनणी बणगीबणी-ठणीअर सिणगार करयोड़ीदरपण रै सामी बैठ्योड़ीजद घणा गौर सूँनिरख्योबा आपरा रूप नैं, तोअंतस मैं झाँकणै लागीफेर गिण-गिण'रबातां बिचारणै लागीतो बीनैं बीको'ईरूप फीको सो लाग्योअर बा सोच्योकै आं सोना री सांकळां मैंम्हारी मुळकती-ढुळकतीछिब कठे गुमगीसोवणा मंडाण आळागैणागांठी मैं बंधगोम्हारो डील अरआत्मा जाणैकिण पासैखिंडगी……… 2- भागआळी बीनणी सासरै री कांकड़ मांयपग धरतां'ईंनुंवीं बीनणी काभाग री बातां चालगीचोभींती हेली की साळां राओडालेड़ा कुवांडां रै ओलै बीबीका चोखा- बुरा पगफेरा रीघणी'ईं चरचा चालीआडै- बाडै सगळा बतळायाबिकी तगदीर कालिख्योड़ा लेखा नैबाँचबा को जतन घर-बार, गाँव-गुवाड़ कासगळा'ईं मिनख करयोपण बातां तो हुयी'ई कोनीबां गुण सिंस्कारां अर पोथी पानड़ा रीबीनणी री ...
मनमीत की डायरी…मैं कट्टी हूँ!

मनमीत की डायरी…मैं कट्टी हूँ!

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एक दिनऔर दिनों-साआयु का एक बरस ले चला गया। अज्ञेय आज मेरा जन्मदिन है। एक बरस कम हुआ। हुआ होगा। मैं तो मानता हूँ सब में बँट गया। यह कहने से क्या होता है? थोड़ी-बहुत घबराहट तो हो ही रही है कि उम्र कम हो रही है। थोड़ी-बहुत नहीं बहुत ज़्यादा। काळजा मुँह को आ रहा है। आसपास बाजे बज रहे हैं - रंग उड़ रहे हैं - बधाइयाँ मिल रही हैं - लेकिन किस लिए? ऐसा लग रहा है सती होने जा रहा हूँ। मुझे अफीम पिलाई जा रही है ताकि होश न रहे। लेकिन मुझे पूरा होश है। मुझे दिख रहा है मैं कम हो रहा हूँ। लिखता जा रहा हूँ कम होता जा रहा हूँ। पढ़ता जा रहा हूँ कम होता जा रहा हूँ। सोचता जा रहा हूँ कम होता जा रहा हूँ। कुछ न कुछ करता जा रहा हूँ कम होता जा रहा हूँ। मैं इस काल के पहिये को एक क्षण के लिए रोक देना चाहता हूँ। पूरा दम लगाना चाहता हूँ। बात यह नहीं दम लगा नहीं सकता। बात यह है कि कोई है जो दम लगाने नह...
रमेश बोहरा को अर्पित किया जाएगा इस वर्ष का निर्मोही नाट्य सम्मान

रमेश बोहरा को अर्पित किया जाएगा इस वर्ष का निर्मोही नाट्य सम्मान

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अभिनव टाइम्स बीकानेर। अनुराग कला केंद्र द्वारा प्रतिवर्ष दिया जाने वाला निर्मोही नाट्य सम्मान इस बार प्रदेश के वरिष्ठ रंगकर्मी रमेश बोहरा को अर्पित किया जाएगा।अनुराग कला केंद्र के सचिव कमल अनुरागी ने बताया कि बोहरा को सम्मान स्वरूप इक्कीस हजार रुपए नकद एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व यह सम्मान नई दिल्ली के राजेश तैलंग, बीकानेर के लक्ष्मी नारायण सोनी, एस. डी. चौहान और कैलाश भारद्वाज, जयपुर के जयरूप जीवन, भीलवाड़ा के गोपाल आचार्य और गोवा के विजय नाइक, को अर्पित किया जा चुका है।उन्होंने बताया कि इस संबंध में शनिवार को अनुराग कला केंद्र के कार्यालय में रंगकर्मी विजय सिंह राठौड़ की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई। इसमें रंगकर्मी किशन रंगा, सुनील जोशी, हिमांशु व्यास, राज शेखर शर्मा, अशोक व्यास, गौरव सोनी, जितेंद्र पुरोहित, अमित सोनी और शिव सुथार आदि मौजूद रहे।उल्...
क़ासिम का सम्मान गौरव की बात : कमल रंगा

क़ासिम का सम्मान गौरव की बात : कमल रंगा

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शबनम साहित्य परिषद ने किया क़ासिम बीकानेरी को जमीला खातून स्मृति सम्मान से सम्मानित अभिनव टाइम्स बीकानेर। मेहंदी नगरी सोजत की शबनम साहित्य परिषद संस्था की संस्थापिका जमीला ख़ातून की स्मृति में आयोजित राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान समारोह में साहित्य नगरी बीकानेर के ख्यातनाम शायर, कवि, कहानीकार क़ासिम बीकानेरी को उनकी बेहतरीन साहित्यिक सेवाओं के लिए जमीला ख़ातून स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पेंशनर समाज अध्यक्ष लालचंद मोयल ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सोजत के वरिष्ठ साहित्यकार वीरेंद्र लखावत थे। नगर के वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा ने मेहंदी नगर सोजत में क़ासिम बीकानेरी के सम्मानित होने पर ख़ुशी का इज़हार करते हुए उन्हें अपनी बधाइयां प्रेषित करते हुए कहा कि क़ासिम बीकानेरी का मेहंदी नगरी सोजत में सम्मानित होना न सिर्फ बीकानेर बल्कि पूरे राजस्थान के लिए ...
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