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Saturday, November 23

साहित्य

उर्दू रामायण आज भी प्रासंगिक : डॉ कल्ला

उर्दू रामायण आज भी प्रासंगिक : डॉ कल्ला

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अभिनव न्यूज बीकानेर।पर्यटन लेखक संघ-महफिले अदब के साप्ताहिक अदबी कार्यक्रम के अंतर्गत रविवार को होटल मरुधर हेरिटेज में 1935 में बीकानेर में लिखी 'उर्दू रामायण' का वाचन किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षा एवं कला-संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा कि बीकानेर में लिखी "उर्दू रामायण" शहर की सांझी संस्कृति की प्रतीक है। उन्होंने कहा कि राना लखनवी ने उर्दू रामायण लिख कर रामायण के सन्देश को जन साधारण तक पहुंचाने का कार्य किया है।मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए पूर्व महापौर हाजी मक़सूद अहमद ने कहा कि 87 वर्ष पूर्व लिखी उर्दू रामायण का महत्व आज भी बरकरार है। ये सरल और सहज भाषा में लिखी हुई है, इसलिए इसे आम आदमी भी समझ सकता है। उर्दू रामायण का वाचन वरिष्ठ शाइर ज़ाकिर अदीब, असद अली असद व डॉ नासिर जैदी ने किया। श्रोताओं ने इसके बहुत से शेरों पर खूब दाद दी।आयोजक संस्था के डॉ. ...
अभिनव रविवार: मनमीत की डायरी

अभिनव रविवार: मनमीत की डायरी

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मनमीत कल कोविद ने तीस रुपये माँगे। मैंने कहा क्या लाएगा। बोला पाँच बूमर एक मीनाक्षी ( मुरमुरे ) दो दस-दस वाले कुरकुरे। मैंने कहा पेंट की जेब में खुल्ले रुपये हैं ले जा। और अकेला मत खाना। मैं भी खाऊंगा और यामी भी। बोला ठीक है। पंद्रह मिनट बाद हाँफता हुआ आया। मैंने कहा क्या हुआ। बोला दस रुपये गिर गए। सॉरी। मैंने कहा कोई नहीं लेकिन गिरे कैसे? बोला बकरियों का रेवड़ जा रहा था। मैं बकरियों से खेलने लगा। पता नहीं कैसे छूट गया एक नोट। और यह कहकर उदास हो गया। मैंने कहा जो गिर गया सो गिर गया। अब सामान तो दे। उसने एक कुरकुरे का पैकेट मुझे दे दिया। मैं चाय बनाने चला गया।दस मिनट बाद वो फिर आया। इस बार चेहरा पूरी तरह उतरा हुआ। मैंने कहा अब क्या हुआ?बोला आप दुखी तो नहीं हो ना? आप उदास तो नहीं ना कि आपके रुपये गिर गए?मैं हैरान कि ग्यारह बरस की उम्र में इतनी सेंसेटिविटी कहाँ से आ गई इसमें? इतना अपराधबोध...
घर- पहली पाठशाला वहां श्रेष्ठता तो बच्चे बन सकते है सर्वश्रेष्ठ

घर- पहली पाठशाला वहां श्रेष्ठता तो बच्चे बन सकते है सर्वश्रेष्ठ

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लीला भोजक "हेरंब अब अवलंब देकर विघ्नहर कह लाइए, भगवान भारतवर्ष को फिर पुण्य भूमि बनाइए" कविश्रेष्ठ मैथिलीशरण गुप्त की यह पंक्तियां वर्तमान परिप्रेक्ष्य में एकदम सटीक बैठती है। आज भारत की प्रतिष्ठा को सोने की चिड़िया के रूप में पुनर्स्थापित करने की महत्ती आवश्यकता है और इस आवश्यकता को पूर्ण करने का एकमात्र साधन शिक्षा है। शिक्षा वह साधन है जिसके माध्यम से ज्ञान चक्षु खुलते हैं। हम अपने विवेक को जाग्रत कर उचित समय पर उचित निर्णय लेना सीख सकते हैं। 'सा विद्या या विमुक्तये' वास्तव में शिक्षा वही है जो ना केवल जीवन की विविध विषम परिस्थितियों से मुक्ति प्रदान करें अपितु मोक्ष भी प्रदान करें। मोक्ष से तात्पर्य केवल जीवनमुक्ति नहीं वरन् दुर्भावनाओं एवं दुविधाओं से मुक्ति है जो केवल शिक्षा के द्वारा ही संभव है।वर्तमान में शिक्षा का स्वरूप कुछ विकृत हो गया है इसमें अनेक त्रुटियां आ गई हैं- जैसे ...
अकादमी अध्यक्ष लक्ष्मण व्यास का अभिनंदन, संभाग स्तर पर मरु कैंप होगा आयोजित

अकादमी अध्यक्ष लक्ष्मण व्यास का अभिनंदन, संभाग स्तर पर मरु कैंप होगा आयोजित

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अभिनव टाइम्स बीकानेर। राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष लक्ष्मण व्यास ने कहा कि अगले माह अकादमी की ओर से संभाग स्तर पर प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाएगा। जिसका उद्देश्य कला के क्षेत्र में अंतिम छोर तक के कलाकारों की प्रतिभाओं को निखारना है। व्यास ने शुक्रवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों से रूबरू होते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि पांच दिवसीय मरू कैंप के नाम से आयोजित होने वाले संभाग शिविरों में सभी विधाओं के कलाकारों के स्थानीय आर्ट और कल्चरों को आमंत्रित किया जाएगा। जिनसे संवाद कर उनकी समस्याओं व निराकरण पर मंथन किया जाएगा। साथ ही स्थानीय स्तर की लुप्त होती कला व संस्कृति को किस प्रकार बचाया जा सके इस पर भी चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसको लेकर वे कलाकारों के साथ बैठक कर उनके सुझाव भी लेंगे। इस अवसर पर अखिल भारतीय पुष्टिकर सेवा परिषद के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेश ...
ऐ मेरे बुजुर्ग मेरे सिर पर हाथ रख देना, डॉ. शंकरलाल स्वामी के जन्मदिवस पर त्रिभाषा काव्य समारोह

ऐ मेरे बुजुर्ग मेरे सिर पर हाथ रख देना, डॉ. शंकरलाल स्वामी के जन्मदिवस पर त्रिभाषा काव्य समारोह

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अभिनव टाइम्स बीकानेर। अरुण प्रकाशन एवं स्वयं प्रकाशन बीकानेर की ओर से हिंदी राजस्थानी के वरिष्ठ कवि गीतकार डॉ शंकर लाल स्वामी के जन्म दिवस के अवसर पर रविवार को मुरलीधर व्यास नगर रोड स्थित स्वयं प्रकाशन कार्यालय में त्रिभाषा काव्य समारोह का आयोजन किया गया । इस अवसर पर बीकानेर के वरिष्ठ कवि एवं कवयित्रियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की । कार्यक्रम में आयोजक संस्थाओं द्वारा डॉ शंकर लाल स्वामी का अभिनंदन किया गया । इस अवसर पर डॉ शंकर लाल स्वामी ने कहा कि बीकानेर एक ऐतिहासिक साहित्यिक परंपराओं वाला शहर है, हमें यहां के साहित्यिक सांस्कृतिक वातावरण को अपने सृजन के द्वारा बनाए रखना है। इस अवसर पर उन्होंने अपनी चुनिंदा रचनाओं का पाठ किया। इस अवसर पर कवयित्री मनीषा आर्य सोनी ने राजस्थानी गीत 'थूं बांध पसारियो निरभै आभौ, म्हैं तारां री ऊजळ रात, हिय हबोळौ नेह रौ सागर, ना कर साथी भोर री बात' प्रस...
शरदोत्सव कवि सम्मेलन-मुशायरा रविवार को

शरदोत्सव कवि सम्मेलन-मुशायरा रविवार को

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अभिनव टाइम्स बीकानेर। जुबिली नागरी भंडार पाठक मंच द्वारा नागरी भंडार की छत पर हर साल की तरह इस साल भी 9 अक्टूबर 2022, रविवार को रात्रि 8 बजे शरद पूर्णिमा के अवसर पर कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन रखा गया है। जिसमें बीकानेर के हिंदी, उर्दू राजस्थानी के कवि एवं शायर अपनी रचनाएं प्रस्तुत करेंगे।नागरी भंडार के व्यवस्थापक श्री नंदकिशोर सोलंकी ने बताया कि सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल शरद उत्सव पर श्री जुबिली नागरी भण्डार की ऐतिहासिक छत पर तीन भाषाओं के कवि सम्मेलन एवं मुशायरे मेंनगर के तीन भाषा के तीन पीढ़ियों के कवियों एवं शायरों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है एवं खीर का प्रसाद भी रखा गया है। ...
गांधीजी और शास्त्रीजी के साथ आज भादानी जी को भी याद करें

गांधीजी और शास्त्रीजी के साथ आज भादानी जी को भी याद करें

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संजय आचार्य वरुण आज 2 अक्टूबर है। इस दिन को गांधी और शास्त्री जयंती के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है। आज के दिन का महत्व केवल इतना ही नहीं है, आज का दिन बीकानेर में जाये- जन्मे राजस्थान के जन- जन के प्रिय कवि हरीश भादानी की पुण्य तिथि भी है । हरीश जी के संघर्ष भी गांधीजी और शास्त्रीजी के संघर्षों से अलग नहीं थे, फर्क सिर्फ इतना था कि भादानीजी ने अपने संघर्षों में कविता को अपना हथियार बनाया था। कविता के जरिये किया गया आंदोलन भी अहिंसात्मक होता है, इसलिए भादानी जी गांधीजी से जुड़ते हैं, इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती । सवाल पार्टीगत विचारधारा का नहीं होता, सवाल होता है व्यक्ति के उद्देश्यों का। शास्त्रीजी ने अपने विभिन्न कार्यकालों में देश में रोटी का संकट देखा था, विदेशों से गेहूं आयात करने का घटनाक्रम उन्हें भीतर तक हिला गया था । रोटी जीवन की सबसे बड़ी जरूरत है, विकास के सारे दा...
ये किस मक़ाम पे सूझी तुम्हें बिछड़ने की<br>यादों में मौजूद कार्टूनिस्ट पद्मश्री सुधीर तैलंग

ये किस मक़ाम पे सूझी तुम्हें बिछड़ने की
यादों में मौजूद कार्टूनिस्ट पद्मश्री सुधीर तैलंग

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-अमित गोस्वामी उनकी आवाज़ की कशिश रात की गहराइयों की तरह भीतर तक उतर गई थी… बावजूद इस एहतियात के, कि आस पास गहरी नींद में सो रहे लोगों की नींद में ख़लल न पड़े। हमें जयपुर से बीकानेर आना था। रात की बस से आना तय हुआ। उन्होंने शर्त रख दी, कि तू रात को सोएगा नहीं। मैंने वजह पूछी तो बोले मैं रात भर गाऊँगा और तुझे मेरे गाने सुनने होंगे। हालाँकि मज़ाक़िया लहजे में कहा था उन्होंने, पर बेहद सधे हुए गले से उन्होने बहुत से गाने गाए…। टीवी चैनल्स पर कई कार्यक्रमों में, अंत्याक्षरी में ‘रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ’ और दूरदर्शन में ‘केसरिया बालम’ गाते हुए आप में से बहुत से लोग उन्हें सुन ही चुके हैं। उस रात भी सुधीर भाई अपने ही रंग में थे। मैं किसी पेशेवर गवैये की बात नहीं कर रहा हूँ। मैं बात कर रहा हूँ देश के प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट पद्मश्री सुधीर तैलंग की। सुधीर तैलंग दिल्ली की राजनैतिक और साहि...
बहुत दूर छूट गया है नेताजी की जिंदगी से जुड़े रहस्यों का सच

बहुत दूर छूट गया है नेताजी की जिंदगी से जुड़े रहस्यों का सच

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- कुमार अजय तीस साल से भी अधिक हुए, जब ननिहाल गुढ़ा-कालोद में मामाजी की सिलाई की दुकान पर बजते टेपरिकॉर्डर में कोई हरियाणवी रागनी सुनी थी, जिसमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस अपनी भाभी से कोई संवाद करते हैं। इस संवाद के जरिए नेताजी की संघर्ष की दास्तान को एक भावनात्मक पुट देकर रागनी प्रस्तुत की गई थी। बाद में जब भी याद आया, हरियाणा के अपने परिचितों और रिश्तेदारों से उस रागनी के बारे में पूछा पर वह बहुत स्थानीय किस्म की कोई रचना थी, जिसे मेरेे जैसी किसी व्यक्ति की स्मृतियों के अलावा कहीं खोज पाना मुश्किल ही था। तथ्य तो उसमें क्या ही रहे होंगे, लेकिन भावनाएँ तो थी हीं। रागनी में तो खैर तथ्यों की ज़रूरत भी न थी लेकिन जहाँ ज़रूरत थी, वहाँ भी सियासी राग-अनुराग और विराग में तथ्य खोते गए या व्यवस्थाओं के अनुकूल होते गए। खैर, तथ्य कितने ही दबाए जाएँ, छुपाए जाएँ या आधे-अधूरे ढंग से बताए जाएँ, नेताजी सुभ...
एक खत…प्रिय स्त्री, तुम ही हो रचयिता तुम ही हो निर्णायक

एक खत…प्रिय स्त्री, तुम ही हो रचयिता तुम ही हो निर्णायक

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ममता चौधरी प्रिय स्त्री!स्वयं ही संबल बन सकती हो तुम, अपने हिस्से की लड़ाइयां खुद ही लड़नी होगी तुम्हें। देह को सिर्फ खूबसूरत नहीं मजबूत बनाना होगा तुम्हें तराशकर, कहीं भी महफूज़ नहीं हो तुम अगर जरा भी कमजोर पड़ती हो। पब्लिक प्लेस जानकर जहां तुम खुद को सुरक्षित समझती हो, वहां भी कोई आगे नहीं आएगा तुम्हारे लिए। क्यूंकि पब्लिक सिर्फ तमाशा देखना जानती है, सो अपने कंधो को बनाओ इतना दृढ़ कि वे तुम्हारा सब भार वहन कर सके। कोई तुम्हारे पुकारने पर भी नहीं आएगा स्वयं ही योद्धा हो तुम अपने युद्ध की, एक अघोषित युद्ध जो छेड़ा है तुम्हारी अस्मिता के विरुद्ध हर जगह भेड़ियों, गिद्धों, लकडबग्घों ने..कोई कुरीति हो या तुम्हारे कैरियर को लेकर निर्णय, सब कुछ खुद ही तय करना होगा, चाहे पर्दे में रहने को इनकार करने की बात हो या देर रात की शिफ्ट में काम से लौटकर सुरक्षित घर तक पहुंचना, इतने पर भी समाज से अपने...
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