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Thursday, September 19

साहित्य

अज़ीज़ आज़ाद साहब को याद करते हुए

अज़ीज़ आज़ाद साहब को याद करते हुए

Literature, साहित्य
संजय आचार्य वरुण तुम हो खंज़र भी तो सीने में समा लेंगे तुम्हेंपर ज़रा प्यार से बाहों में तो भरकर देखो।मेरा दावा है सब जहर उतर जाएगादो दिन मेरे शहर में ठहर कर तो देखो। साहित्य की दुनिया से ज़रा सा भी वास्ता रखने वाला कोई भी शख़्स बीकानेर के मशहूर कवि- शाइर ज़नाब अज़ीज़ आज़ाद के नाम से अपरिचित नहीं होगा। बीकानेर के कौमी सद्भाव को पूरे देश में पहुंचाने वाले अज़ीज़ साहब जन जन के कवि और शाइर थे। वे केवल शाइरी में ही आदर्शों की बातें नहीं करते थे बल्कि उनके दिल में समाज के पिछड़े वर्गों के लिए हक़ीक़त में हमदर्दी थी। उन्होंने आजीवन इंसान को इंसान बने रहने के लिए प्रेरित किया। उनकी कविताएं, गीत और ग़ज़लें किताबी अनुभवों पर आधारित नहीं थी, बल्कि वे जो कुछ भी लिखते थे, अपने माहौल और परिवेश से प्रेरित होकर लिखते थे। बीकानेर गर्व कर सकता है इस बात पर कि आलेख के आरंभ लिखी हुई पंक्तियों को भारत के तत्कालीन प्र...
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