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Saturday, November 23

साहित्य

राजस्थानी साहित्यकार परिचय कोश हेतु 10 अगस्त तक भेजें बायोडाटा

राजस्थानी साहित्यकार परिचय कोश हेतु 10 अगस्त तक भेजें बायोडाटा

rajasthan, मुख्य पृष्ठ, साहित्य
अभिनव न्यूज बीकानेर। राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की ओर से राजस्थानी साहित्यकार परिचय कोश प्रकाशित किया जाएगा। इसके लिए राजस्थानी के साहित्यकारों को 10 अगस्त तक अपना बायोडाटा निर्धारित प्रारूप में भेजना होगा।संभागीय आयुक्त व अकादमी अध्यक्ष डॉ. नीरज कुमार पवन ने बताया कि इस परिचय कोश के लिए वर्तमान में राजस्थानी साहित्य-लेखन कर रहे राजस्थान के निवासी व प्रवासी साहित्यकारों का परिचय व डाटाबेस तैयार किया जाएगा। परिचय कोश के माध्यम से राजस्थानी के साहित्यकारों का परिचय एक स्थान पर उपलब्ध हो सकेगा। इससे पहले अकादमी द्वारा चालीस वर्ष पूर्व राजस्थानी साहित्यकार परिचय कोश प्रकाशित किया गया था।अकादमी सचिव शरद केवलिया ने बताया कि परिचय कोश का संपादन वरिष्ठ साहित्यकार रवि पुरोहित कर रहे हैं। परिचय कोश में राजस्थानी के वर्तमान में साहित्य-लेखन कर रहे उन साहित्यकारों को सम्मिलित किया...
तिरछा तीर- चकरमजी का अवतरण दिवस

तिरछा तीर- चकरमजी का अवतरण दिवस

bikaner, home, साहित्य
हम सुबह - सुबह जैसे ही स्नान आदि से निवृत होकर नाश्ते के लिए डायनिंग टेबल पर उपस्थित हुए कि हमारे एकतरफा घनिष्ठ मित्र चकरमजी अनायास ही हमारे घर आ धमके। उनका ये आगमन लगभग वैसा ही था जैसे किसी सरकारी दफ्तर में टेबल पर सिर रखे ऊंघ रहे कर्मचारी के सामने कोई आला अफसर अथवा मंत्री बिना किसी पूर्व सूचना के कार्यालय निरीक्षण हेतु आ धमके। बहरहाल, चकरम जी ने बिना किसी औपचारिकता के हमेशा की तरह हमारे घर को अपना ही घर समझते हुए कुर्सी पर बैठते हुए हमारी धर्मपत्नी को दो गर्मागर्म परांठों और एक कप कड़क चाय का ऑर्डर दे डाला। वे चाहते थे कि हमें भी उनके साथ चाय पीने का दुर्लभ अवसर मिले, सो हमारी सहमति से चाय के दो कपों की मांग किचन तक पहुंचा दी गई।चाय और नाश्ते की प्रक्रिया के दौरान हमारी जिज्ञासा को शान्त करते हुए चकरमजी ने अपने आने का महान मंतव्य प्रकट किया। उन्होंने निवेदन के पैकेट में लिपटा हुआ यह ...
अकादमी की ओर से ‘महाराणा प्रताप- व्यक्तित्व व कृतित्व’ विषयक संगोष्ठी आयोजित..

अकादमी की ओर से ‘महाराणा प्रताप- व्यक्तित्व व कृतित्व’ विषयक संगोष्ठी आयोजित..

bikaner, Literature, साहित्य
महाराणा प्रताप त्याग, स्वाभिमान, मातृभूमि प्रेम, सत्य, साहस की प्रतिमूर्ति थे अभिनव टाइम्स | महाराणा प्रताप त्याग, स्वाभिमान, मातृभूमि प्रेम, सत्य, संघर्ष, साहस की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने कला-साहित्य-संस्कृति को संरक्षण दिया। हम उनके जीवन-दर्शन से प्रेरणा लेकर देशहित में कार्य करें, यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।ये विचार साहित्यकारों ने बुधवार को महाराणा प्रताप जयंती की पूर्व संध्या पर राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की ओर से आजादी के अमृत महोत्सव के तहत अकादमी सभागार में आयोजित ‘महाराणा प्रताप- व्यक्तित्व व कृतित्व’ विषयक राजस्थानी संगोष्ठी में व्यक्त किये।इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शंकरलाल स्वामी ने कहा कि महाराणा प्रताप के शौर्य व जन्मभूमि के प्रति निष्ठा की पूरे विश्व में सराहना की जाती है। डॉ. स्वामी ने वीर रस की कविता के माध्यम से प्रताप को श...
आमजन से जुड़ाव रखने वाले रचनाकार थे सुदामा..

आमजन से जुड़ाव रखने वाले रचनाकार थे सुदामा..

साहित्य
बीकानर । हिंदी विश्व भारती अनुसंधान परिषद नागरी भंडार द्वारा राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य विद्वान स्वर्गीय अन्नाराम सुदामा की 99वीं जयंती के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन स्थानीय महारानी सुदर्शन आर्ट गैलरी नागरी भंडार में रखा गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दार्शनिक एवं चिंतक प्रोफ़ेसर घनश्याम आत्रेय ने कहा कि उनकी रचनाएं दिल को छूने वाली थीं और उनकी कविताओं में अध्यात्मिकता के दर्शन होते हैं । संगोष्ठी के मुख्य अतिथि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर डॉ भंवर भादानी ने कहा कि स्वर्गीय अन्नाराम सुदामा का शताब्दी वर्ष शुरू हो चुका है, हमें उनकी स्मृति में लगातार पूरे वर्ष तक कार्यक्रम आयोजित करवाते रहना चाहिए। जिसमें उनकी साहित्यिक यात्रा के विभिन्न पक्षों पर विस्तार से चर्चा की जानी चाहिए। विशिष्ट अतिथि साहित्यकार संजय पुरोहित ने कहा कि आधुनिक राजस...
पुस्तक -‘राजस्थान के मौजूदा उर्दू शाइर’ : सम्पादक – प्रो० प्रेमशंकर श्रीवास्तव ‘शंकर’ (उर्दू लिपि में) का लोकार्पण :-

पुस्तक -‘राजस्थान के मौजूदा उर्दू शाइर’ : सम्पादक – प्रो० प्रेमशंकर श्रीवास्तव ‘शंकर’ (उर्दू लिपि में) का लोकार्पण :-

Literature, मुख्य पृष्ठ, साहित्य
स्कॉलर्स एवं उर्दू अदीबों के लिए उपयोगी एवं सराहनीय पुस्तक :  क़ासिम बीकानेरी बीकानेर 21 मई 2022नगर के शाइर,अनुवादक एवं कहानीकार क़ासिम बीकानेरी ने विशिष्ट अतिथि के तौर पर जोधपुर की होटल चंद्रा इन मेंप्रोफ़ेसर प्रेम शंकर श्रीवास्तव 'शंकर' की किताब राजस्थान के मौजूदा उर्दू शाइर, डॉ अज़ीज़ुल्लाह शिरानी द्वारा उर्दू लिप्तयांरण पुस्तक के लोकार्पण समारोह में बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत की।  'ख़ुशदिलान-ए-जोधपुर' व 'सर्जनात्मक सन्तुष्टि संस्थान' के संयुक्त तत्वावधान में होटल चन्द्रा झ्न के सभागार में राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयुपर द्वारा 56 वर्ष पूर्व देवनागरी लिपि में प्रकशित प्रेम शंकर श्रीवास्तव 'शंकर' द्वारा सम्पादित उपरोक्त उर्दू भाषा के वृहद ग्रंथ के उर्दू लिपि में पुनर्प्रकाशित नयी पुस्तक के प्रथम संस्करण का मंचासीन विभूतियों द्वारा लोकार्पण किया गया।       &...
अज़ीज़ आज़ाद साहब को याद करते हुए

अज़ीज़ आज़ाद साहब को याद करते हुए

Literature, साहित्य
संजय आचार्य वरुण तुम हो खंज़र भी तो सीने में समा लेंगे तुम्हेंपर ज़रा प्यार से बाहों में तो भरकर देखो।मेरा दावा है सब जहर उतर जाएगादो दिन मेरे शहर में ठहर कर तो देखो। साहित्य की दुनिया से ज़रा सा भी वास्ता रखने वाला कोई भी शख़्स बीकानेर के मशहूर कवि- शाइर ज़नाब अज़ीज़ आज़ाद के नाम से अपरिचित नहीं होगा। बीकानेर के कौमी सद्भाव को पूरे देश में पहुंचाने वाले अज़ीज़ साहब जन जन के कवि और शाइर थे। वे केवल शाइरी में ही आदर्शों की बातें नहीं करते थे बल्कि उनके दिल में समाज के पिछड़े वर्गों के लिए हक़ीक़त में हमदर्दी थी। उन्होंने आजीवन इंसान को इंसान बने रहने के लिए प्रेरित किया। उनकी कविताएं, गीत और ग़ज़लें किताबी अनुभवों पर आधारित नहीं थी, बल्कि वे जो कुछ भी लिखते थे, अपने माहौल और परिवेश से प्रेरित होकर लिखते थे। बीकानेर गर्व कर सकता है इस बात पर कि आलेख के आरंभ लिखी हुई पंक्तियों को भारत के तत्कालीन प्र...
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