अभिनव न्यूज
जोधपुर। गर्मी की छुट्टियां चल रही हैं। साल भर बच्चे इन छुटि्टयों का इंतजार करते हैं ताकि भरपूर खेल सकें, घूम-फिर सकें। कोटा के डिगोह गांव का 15 साल का अर्जुन (बदला हुआ नाम) भी गर्मी की छुटि्टयों पसंदीदा जगह घूम-फिर पर बिताना चाहता था।
लेकिन ऐसा नहीं हो सका। जब उसे पता चला कि दोस्त समर वैकेशन में घूमने जा रहे हैं तो अर्जुन माता-पिता को बिना बताए सोमवार को घर से 100 रुपए लेकर जैसलमेर-जोधपुर घूमने निकल गया।
कोटा से उसने जोधपुर का टिकट खरीदा और ट्रेन में बैठ गया। पैसे टिकट में खर्च हो गए। इसलिए कुछ खा-पी भी नहीं सका। भूखा प्यासा अर्जुन अपने घर से 380 किलोमीटर दूर जोधपुर शहर के रेलवे प्लेटफार्म पर बैठा मिला। अनजान शहर, जेब में पैसे नहीं, भूख से परेशान वह चुपचाप एक बेंच पर उदास बैठा था।
जोधपुर जीआरपी के हेड कॉन्स्टेबल जस्साराम की नजर बच्चे पर पड़ी तो शक हुआ। वे उसके पास गए। अर्जुन से बात की, विश्वास में लिया। पहले तो अर्जुन कुछ बोलने को तैयार नहीं हुआ। लेकिन दिलासा दी तब अर्जुन ने बताया- समर वेकेशन पर सभी दोस्त बाहर घूमने गए हैं। मैं घर पर ही था। मेरा मन भी घूमने को किया, माता-पिता से कहा कि घूमने चलो, तो उन्होंने प्लान नहीं बनाया।
इसके बाद मैं बिना बताएं घर से निकल गया। जस्साराम ने बच्चे की तकलीफ महसूस की। जस्साराम के साथ कॉन्स्टेबल नारायण राम भी थे। दोनों अर्जुन को जीआरपी स्टाफ में लेकर गए और सबसे पहले उसे खाना खिलाया।
एसएचओ जीआरपी महेश श्रीमाली ने बताया कि 15 साल का यह बच्चा स्टेशन पर गुमसुम बैठा था। हेड कॉन्स्टेबल जस्साराम ने उससे घर का पता व कॉन्टैक्ट नंबर लिए। अर्जुन के घर पर उसके पिता को इसके जोधपुर में होने की सूचना दी। आज परिजन आकर बच्चे को ले गए हैं।
स्टेशन पर हेड कॉन्स्टेबल जस्साराम व नारायण राम गश्त कर रहे थे। इस दौरान अर्जुन मिला था। उससे नाम पूछा तो उसने अपना नाम बता दिया। बच्चा कोटा के डिगोह इलाके का है। वह घर से सिर्फ 100 रुपए लेकर चला था। इस पैसे से वह जैसलमेर-जोधपुर घूमना चाहता था। कोटा से जोधपुर के बीच ही 100 रुपए खर्च हो गए तो जोधपुर स्टेशन पर उतर गया।
अर्जुन ने अपनी गलती मानी और कहा कि अब उसे डर लग रहा है कि घर से बिना बताए वह इतनी दूर आ गया।
फिलहाल अर्जुन सकुशल अपने घर कोटा पहुंच गया है।