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Friday, September 20

बिसलपुर-जवाई बांध सूखे:बारिश नहीं हुई तो पीने को पानी नहीं मिलेगा, 10 साल में सबसे कम पानी

राजस्थान | में इस बार पानी को लेकर बड़ा संकट सामने आ सकता है। आशंका है कि बारिश नहीं हुई तो हालात बिगड़ भी सकते हैं। सारी उम्मीद मानसून पर है। यह खुलासा हुआ है, सेंट्रल वाटर कमिशन (CWC) की ताजा रिपोर्ट में। राजस्थान ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य पंजाब और हिमाचल प्रदेश में भी पानी को लेकर हालात बुरे हैं। CWC की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब और हिमाचल प्रदेश में भी पानी पिछले दस सालों की तुलना में कम है।

CWC की रिपोर्ट के मुताबिक नार्थ इंडिया में राजस्थान, पंजाब और हिमाचल प्रदेश हैं। इनमें राजस्थान में पिछले सालों की तुलना में 29 प्रतिशत पानी कम है। जबकि पंजाब के बांधों में 15 प्रतिशत पानी कम है। हिमाचल में भी 9 प्रतिशत पानी कम आया है। इन तीनों राज्यों में दस वाटर स्टोरेज बने हुए हैं, जहां पानी का स्टोरेज होता है। चिंता की बात है कि सभी दस वाटर स्टोरेज में पानी पिछले दस सालों की तुलना में कम है। राजस्थान में पांच वाटर स्टोरेज है और पांचों में पानी अपने न्यूनतम स्तर पर नहीं पहुंच सका है।

राजस्थान के हालात बुरे
हिमाचल प्रदेश, पंजाब व राजस्थान में 19.66 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी रह सकता है लेकिन फिलहाल यहां महज 5.03 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी ही हे। ये महज क्षमता का महज 26 पर्सेंट हैं। पिछले दस सालों का रिकार्ड देखें तो यहां तीस पर्सेंट क्षमता तक पानी भरा रहता है। इस बार तीन पर्सेंट पानी कम है।

राजस्थान के ये है हालात
नार्थ इंडिया में सबसे ज्यादा छह वाटर स्टोरेज पर वाटर कमिशन की नजर है। जबकि हिमाचल प्रदेश में तीन और पंजाब में महज एक वाटर स्टोरेज है। राजस्थान के छह वाटर स्टोरेज में पिछले दस सालों की तुलना में 4 प्रतिशत पानी कम है। यहां आमतौर पर 1.66 BCM पानी रहता है। लेकिन, अभी 1.19 BCM पानी है, जबकि पिछले साल ये 1.72 BCM था। ऐसे में न सिर्फ पिछले साल बल्कि दस सालों के औसत से भी कम पानी है। पड़ोसी राज्य पंजाब व हरियाणा में पिछले साल की तुलना में पानी ज्यादा है।

कहां कितना पानी?
राजस्थान के बिसलपुर बांध में सामान्य रूप से आने वाले पानी का 64 प्रतिशत पानी आया है। जबकि जवाई बांध में 33 प्रतिशत और राणा प्रताप सागर में 44 प्रतिशत पानी आया है। पश्चिमी और पूर्वी राजस्थान को अलग अलग करके देखें तो भी पानी का संकट साफ दिखाई दे रहा है। दरअसल, राज्य के पश्चिमी राजस्थान को पानी देने वाले गोविंद सागर बांध में 86 पानी कम चल रहा है। जबकि, पोंग डेम में 12 प्रतिशत और जवाई बांध में 5 प्रतिशत पानी कम चल रहा है। पूर्वी राजस्थान में सिर्फ गांधी सागर से मिल रहा पानी ही पिछले सालों की तुलना में न सिर्फ बेहतर बल्कि ज्यादा है। यहां दस सालों के औसत में 127 प्रतिशत पानी ज्यादा है। वहीं एमबी सागर बांध में दस वर्षों की तुलना में पानी कम है। बिसलपुर में जरूर 81 प्रतिशत पानी आ चुका है।

मानसून में आता है पर्याप्त पानी

राजस्थान के अधिकांश बांधों में मानसून में पर्याप्त पानी आ जाता है। इस बार प्री मानसून आ चुका है, जबकि मानसून भी समय पर आ जाएगा। जलदाय विभाग के पूर्व एक्सईएन बृजगोपाल व्यास का कहना है कि हर साल मानसून में राजस्थान व पंजाब के बांधों में इतना पानी आ जाता है कि पेयजल का संकट नहीं रहता।

पड़ोसी राज्यों में भी कम
राजस्थान को पंजाब, हिमाचल प्रदेश और मध्यप्रदेश से पानी मिलता रहा है। इस बार इन तीनों ही राज्यों में अब तक पानी की स्थिति ज्यादा बेहतर नहीं है। इन राज्यों में बने बांधों में इक्का दुक्का ही है, जहां पानी पिछले सालों की तुलना में बेहतर है, अलबत्ता नब्बे फीसदी बांधों में पानी कम है।

इन बांधों का असर राजस्थान पर

पश्चिमी राजस्थान के बारह जिलों को पानी रावी, ब्यास और सतलुज नदियों पर बने बांधों से मिलता है। इन बांधों पर भी अभी पिछले सालों की तुलना में पानी कम है। आमतौर पर यहां मानसून के बाद पानी भरता है। ऐसे में अच्छा मानसून होने पर ही यहां पानी आएगा, अन्यथा संकट हो सकता है।

मानसून पर नजर: अगर इस बार मानसून अच्छा रहता है तो पानी भी फटाफट भर जाएगा। अगर मानसून कमजोर रहा तो इन बांधों में पानी कम होगा, जिसका सबसे ज्यादा नुकसान किसान को होगा। नहरी पानी की उम्मीद लगाए बैठा किसान सिंचाई पानी से फिर वंचित हो सकता है।

नोतपा भी कमजोर ज्योतिषियों की मानें तो नोतपा के दौरान बारिश और बूंदाबांदी नहीं होनी चाहिए। इस बार नोतपा में प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में तेज हवाएं, अंधड़ और बूंदाबांदी हुई है। इसे नोतपा में गलन कहते हैं। इससे मानसून कमजोर होता है। ज्योतिषाचार्य हरिनारायण व्यास का कहना है कि नोतपा में जबर्दस्त तपन होनी चाहिए थी।

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