अभिनव न्यूज, बीकानेर। साहित्य चेतना मंच, सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) द्वारा 30 जून 2023, साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि जी के 73 वें जन्मदिवस के अवसर पर “ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान समारोह- 2023” का आयोजन किया गया। जिसमें भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में फेलो प्रो० राजेंद्र बड़गूजर ने वेबीनार को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित किया।
ओमप्रकाश वाल्मीकि जी के समग्र साहित्य पर अपनी बात रखते हुए राजेंद्र बड़गूजर कहते हैं कि -“ओमप्रकाश वाल्मीकि का साहित्य दलित समाज को एक उचित दिशा दिखाने का कार्य कर रहा है। इसके अलावा वे हरियाणा के लोक कवि दयाचंद मायना की रागनियों से ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविताओं की तुलना करते हुए कहते हैं कि जो ओज, धार, पैनापन, आग और तीव्रता हमें दयाचंद मायना की रागनियों में दिखाई देती है, वही हमें ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविताओं में भी देखने को मिलता है।’ इस मौके पर वेबिनार के दौरान दस दलित साहित्यकारों को ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मान की घोषणा संस्था उपाध्यक्ष डॉ. दीपक मेवाती ने की।
इस समारोह में उन दस बुद्धिजीवियों को सम्मानित किया गया है, जो ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य एवं दलित साहित्य की जानकारी रखते हैं और उस जानकारी को अपनी रचनाओं द्वारा समाज के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। इस वर्ष साचेम द्वारा ऐसे ही इन दस रचनाकारों के कार्यों को सलाम करते हुए सम्मानित किया। इस बार उत्तर प्रदेश से डॉ. एन. सिंह, सोहन लाल ‘सुबुद्ध’ और सुरेश सौरभ, राजस्थान से जयप्रकाश वाल्मीकि, झारखंड से अजय यतीश, दिल्ली से प्रो. लालचन्द राम और डॉ. प्रेम कुमार, तेलंगाना से डॉ. जगदीश चन्द्र सितारा और बिहार से बिभाश कुमार और पंजाब से डॉ. नविला सत्यादास को सम्मानित किया गया।
विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए साहित्यकार डॉ. चैनसिंह मीना ओमप्रकाश वाल्मीकि के कवि कर्म पर आलोचकीय दृष्टि से अपनी बात रखते हुए कहते हैं कि- “ओमप्रकाश वाल्मीकि को केवल कवि के नजरिए से देखना और उनके सम्पूर्ण साहित्य पर कोई बात न करना सही नहीं है। वे जितने अच्छे दलित कवि हैं उतने ही अच्छे आलोचक भी हैं, उनके कहानी संग्रह की एक-एक कहानी पर घंटो-घंटो बहस की जा सकती हैं।”
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो. जय कौशल ने बताया कि-” उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति को बड़ी ही तन्मयता से सुना। सभी वक्ताओं ने ओमप्रकाश वाल्मीकि जी के साहित्य को बारीकी से पढ़ा है और उस पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। विशेष रुप से ओमप्रकाश वाल्मीकि का कहानी संग्रह- ‘छतरी’। वे बताते हैं कि इस कहानी संग्रह में न केवल दलित-विमर्श है अपितु इसमें स्त्री-विमर्श, पर्यावरण-विमर्श और मनोविज्ञान के साहित्यिक अंश भी देखे जा सकते हैं।
इसके अलावा उन्होंने IIAS शिमला से प्रकाशित ओमप्रकाश वाल्मीकि जी की शोधपरक पुस्तक ‘हिंदी दलित कविता और मराठी दलित कविता का तुलनात्मक अध्ययन दलित आंदोलन पर उनका प्रभाव’ का जिक्र करते हुए बताया कि वह हिंदी दलित कविता पर शोध करने वाले शोधार्थियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पुस्तक है।”
कार्यक्रम में सम्मानित साहित्यकारों में डॉ. एन. सिंह, सोहन लाल ‘सुबुद्ध’, जयप्रकाश वाल्मीकि, अजय यतीश, प्रो. लालचन्द राम और डॉ. नविला सत्यादास ने अपनी बात संक्षेप में रखी। इनके अतिरिक्त लव कुमार ‘लव’, डॉ. राजेश पाल आदि ने अपनी बात रखी और ओमप्रकाश वाल्मीकि जी को श्रद्धांजलि दी। साहित्य चेतना मंच के सचिव रमन टाकिया ने इस कार्यक्रम में शामिल हुए सभी व्यक्तियों का हृदयतल की गहराइयों से धन्यवाद किया। संस्था के महासचिव श्याम निर्मोही ने मंच संचालन किया।