अभिनव न्यूज, बीकानेर। काल भैरवाष्टमी को लेकर इन दिनों मंदिरों को विशेष रूप से सजाया व संवारा जा रहा है। कई मंदिरों में तीन से पांच दिसम्बर तक काल भैरवाष्टमी महोत्सव मनाया जाएगा। इसको लेकर बीकानेर समेत कोडमदेसर, सियाणा, सीसा भैरुंजी मंदिरों में इन दिनों तैयारियां धूमधाम के साथ चल रही है। हिंदू पंचांग में वैशाख माह के अष्टमी तिथि के दिन भगवान शिव के अंश कालभैरव की उत्पत्ति हुई थी।
इसलिए अष्टमी तिथि को कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति पूरे विधि-विधान के साथ कालभैरव की पूजा करता है, उसके घर परिवार से नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है। अगर आपके ऊपर किसी ने तंत्र-मंत्र किया हो, तो वह भी विफल हो जाता है। कालभैरव की सवारी कुत्ता है। इस दिन कुत्ते को दूध पिलाने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
दूसरी ओर नत्थूसर गेट गोकूल सर्किल स्थित सूरदासाणी पंचायत बगेची में कोडाणा सियाणा मंदिर के पुजारी पंडित अमित पुरोहित ने बताया कि काल भैरवाष्टमी महोत्सव सूरदासानी बगेची एवं कोडमदेसर में पांच दिसम्बर को रात्रिकाल में मनाया जाएगा । इस दिन भैंरू जी मंदिर को रंग बिरंगी रोषनी एवं चौकी को फूल मलाओं से सजाया जाएगा । सूरदासानी बगेची में त्रिदिवसीय 03 दिसंबर से 5 दिसंबर तक भैरावाष्टमी महोत्सव का कार्यक्रम होगा। जिसमें भैंरू जी का अलग अलग श्रृंगार किया जाएगा । सूरदासानी पंचायत बगेची संस्था के अध्यक्ष शंकर पुरोहित ने बताया कि कार्यक्रम के तहत भैंरू जी के एकादष सहस़्त्र पाठात्मक महायज्ञ होगा साथ ही हरियाली एवं फलों का श्रृंगार एवं लाइंिटंग सजावट का आयोजन किया जाएगा भैरवाष्टमी के दिन वैदिक मंत्रोचार के साथ पंचगव्य से महाअभिषेक, विषेष श्रृंगार, छप्पन भोग आदि का आयोजन किया जाएगा।