अभिनव न्यूज
बीकानेर। नहरबंदी के साइड इफेक्ट अब नजर आने लगे हैं। शहरी क्षेत्र में पानी का संकट धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। साथ ही लोगों का स्वास्थ्य भी प्रभावित होने लगा है। नतीजे में इन दिनों पीबीएम अस्पताल में उल्टी-दस्त से पीडि़त मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है।
आलम यह है कि मरीजों को बेड की कमी होने के कारण भर्ती तो कर लिया जा रहा है, लेकिन मजबूरी में फर्श पर ही बिस्तर लगा कर उनका इलाज किया जा रहा है। गौरतलब है कि जिले में 11 मई से पूर्ण नहरबंदी हो गई है। इसके बाद एक दिन छाेड़ कर पानी की आपूर्ति की जा रही है। कुछ लोग बूस्टर लगाकर पानी खींच रहे हैं। इससे दूषित पानी लोगों के घरों तक पहुंच रहा है। यह पानी पीने से लोगों को उदर संबंधी विकार हो रहे हैं और उल्टी-दस्त के रोगी सामने आ रहे हैं।
काबिलेगौर है कि इस समय बीछवाल तथा शोभासर जलाशयों में पानी की आवक बंद होने के कारण पानी स्थिर पड़ा है। यही पानी लोगों के घरों तक पहुंचाया जा रहा है। जलाशयों से लेकर टंकियों तक पानी की आपूर्ति की जाती है। यहां से लाइनों के माध्यम से लोगों तक पानी पहुंचाया जाता है। कई स्थानों पर लाइनें क्षतिग्रस्त होने की वजह से बूस्टर के माध्यम से पानी खींचने से दूषित पानी भी आ रहा है। नहरबंदी से पहले उल्टी-दस्त के मरीजों की संख्या बेहद सीमित थी।
अस्पताल के मेडिसिन आउटडोर में इस समय करीब पांच सौ रोगियों का पंजीकरण हो रहा है। इसमें से लगभग एक चौथाई यानी सौ-सवा सौ के करीब मरीज उल्टी-दस्त की शिकायत लेकर आ रहे हैं। इसमें लगभग 25 फीसदी मरीजों को भर्ती करने की नौबत आती है। अन्य बीमारियों के मरीज भी आ रहे हैं। इस कारण मेडिसिन के वार्डों में मरीजों को भर्ती करने के लिए पलंग नहीं मिल रहे हैं। उन्हें जमीन पर ही भर्ती किया जा रहा है।