Welcome to Abhinav Times   Click to listen highlighted text! Welcome to Abhinav Times
Sunday, April 20

फडणवीस सरकार का बड़ा फैसला, भारी विरोध के बीच कक्षा 5 तक हिंदी अनिवार्य…

अभिनव न्यूज, नेटवर्क। महाराष्ट्र में मराठी भाषा विवाद के बीच देवेंद्र फडणवीस सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। जिसके बाद अब राज्य में कक्षा पांच तक के छात्रों के लिए हिंदी तीसरी अनिवार्य भाषा बन गई है। महाराष्ट्र सरकार ने शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की घोषणा की है। इसके तहत राज्य के मराठी और इंग्लिश मीडियम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा।

नई नीति के तहत शिक्षा का पूरा ढांचा बदलने जा रहा है। अब तक लागू 10+2+3 प्रणाली की जगह पर 5+3+3+4 की नई संरचना को अपनाया जाएगा, जिसमें शिक्षा को चार प्रमुख चरणों में बांटा गया है, जिमसें प्रारंभिक, तैयारी, मध्य और माध्यमिक शामिल है। यह बदलाव 2025-26 से कक्षा 1 में शुरू होकर 2028-29 तक सभी कक्षाओं में क्रमशः लागू किया जाएगा। नई शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत राज्य स्तर पर पाठ्यक्रम तैयार करने की जिम्मेदारी SCERT और बालभारती की होगी, ताकि स्थानीय जरूरतों और भाषाई विविधता को ध्यान में रखते हुए छात्रों को आधारभूत से लेकर उच्चतर स्तर तक की शिक्षा दी जा सके।

सरकार का मानना है कि हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले से बहुभाषिकता को बढ़ावा मिलेगा और छात्रों की भाषा दक्षता में सुधार होगा। इस बदलाव को सुचारु रूप से लागू करने के लिए शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक राज्य के 80 प्रतिशत शिक्षक नई शिक्षण पद्धतियों और डिजिटल उपकरणों में प्रशिक्षित हो जाएं।

राज्य शिक्षा विभाग के उप-सचिव तुषार महाजन के मुताबिक, नई नीति न केवल शैक्षणिक ढांचे में बदलाव लाएगी, बल्कि इसे सुलभता, समानता, गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही जैसे पांच मूलभूत स्तंभों पर आधारित किया गया है। यह नीति भारत के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) 2030 के अनुरूप तैयार की गई है, जिससे शिक्षा का स्तर अंतरराष्ट्रीय मानकों तक पहुँच सके।

नीति के क्रियान्वयन को चरणबद्ध तरीके से सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने कई समितियां भी गठित की हैं। इनमें सबसे अहम कमेटी की अध्यक्षता महाराष्ट्र के स्कूल शिक्षा मंत्री कर रहे हैं। इन समितियों का कार्य नीति के सभी पहलुओं की निगरानी और समन्वय करना होगा।

मनसे ने किया था आंदोलन

पिछले महीने महाराष्ट्र में राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) द्वारा मराठी भाषा को लेकर आंदोलन शुरू किया गया था। इस आंदोलन के दौरान मराठी न बोल पाने पर हिंदी भाषी लोगों के साथ बदसलूकी और मारपीट भी की गई थी। मराठी नहीं आने पर राज्य से बाहर करने की धमकी दी। हालांकि राज्य सरकार की चेतावनी के बाद मनसे ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया था। इस बीच, मनसे पार्टी का पंजीकरण रद्द करने का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी है।

याचिका को लेकर मनसे के प्रवक्ता संदीप देशपांडे ने सोशल मीडिया पर उत्तर भारतीयों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी। मुंबई इकाई के अध्यक्ष देशपांडे ने कहा था, “हमारी पार्टी की मान्यता बनी रहे या नहीं, ये कोई भैय्या तय करेगा क्या? अगर ये भैय्ये हमारी पार्टी को खत्म करना चाहते हैं, तो हमें भी सोचना पड़ेगा कि मुंबई और महाराष्ट्र में उन्हें रहने दिया जाए या नहीं।”

Click to listen highlighted text!