अभिनव टाइम्स बीकानेर।
ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अनन्तश्रीविभूषित स्वामी स्वरूपानप्द सरस्वती जी महाराज का महाप्रयाण आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तदनुसार 11 सितम्बर दिन रविवार को परमहंसी में 3 बज कर 21 मिनट को हुआ था। यह समाचार प्राप्त होते ही सनातन हिन्दू जगत् स्तब्ध एवं अत्यन्त दुःखी हो गया। पूरे देश एवं विश्वमें शोक की लहर छा गई। शंकराचार्य परम्परा, अखाड़ा, रामानन्दाचार्य परम्परा एवं सभी प्रमाणित साधु सन्तों के द्वारा श्रद्धांजली दी गयी। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रेल मंत्री पीयूष गोयल सहित लगभग सभी केंद्रीय मंत्री एवं राज्यो के मुख्यमंत्रियों छत्तीसगढ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, केबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे जी, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ , पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस, आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत, विश्व हिन्दू परिषद्, शिव सेना, समाजवादी पार्टी, गांधी परिवार, उद्धव ठाकरे सहित लगभग देश के सभी राजनेताओं द्वारा ब्रम्हलीन परम पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य जी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। पूज्य महाराज श्री की शोभा यात्रा निकाली गयी तथा मंच में शिष्यों, श्रद्धालुओं, भक्तजनों और अनुयाइयों के दर्शन के लिए मंच में विराजमान किया गया। जहाॅ पूरे देश के कौन कौन से पधारे हुए भक्तों ने दर्शन कर पुष्पांजलि अर्पित की। पूज्य महाराज जी के पास निरंतर अखंड भगवन्नाम संकीर्तन चलता रहा। पूज्य महाराजश्री का वैदिक मंत्रों के साथ अभिषेक कराकर पूजन किया गया। उनके शिष्य प्रतिनिधि पूज्य दंडी स्वामी सदानंद जी महाराज व पूज्य दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज, सचिव ब्रम्हचारी सुबुद्धानंद , आचार्य महामंडलेश्वर रामकृष्ण अनन्द सहित उनके सभी ब्रम्हचारी गण सहित पूरे देश से पधारे हुए विभिन्न समुदायों के साधु संत विराजमान थे।
दोनों उत्तराधिकारी शिष्यों का हुआ पट्टाभिषेक
अश्विन कृष्ण द्वितीया तदनुसार सोमवार को विधिविधान के साथ गुरुजी के पार्थिव देह पूजन के बाद शंकराचार्य परम्परा के सुस्थापित परम्परा के अनुसार तत्कालीक रूप से उत्तराधिकारी का शंकराचार्य पद पर प्रसंगानुरूप पट्टाभिषेक किया जाता है। उसके बाद ही ब्रम्हलीन शंकराचार्य जी को समाधि दी जाती है। इसी सुस्थापित परम्परा का निर्वहन करते हुए ब्रम्हलीन शंकराचार्य के सचिव ब्रम्हचारी सुबुद्धानंद जी के द्वारा ब्रम्हलीन शंकराचार्य के वसीयत के अनुसार उन्होंने घोषणा की। द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य के रूप में उनके शिष्य प्रतिनिधि पूज्य दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज एवं उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्य दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज हुए। उनके वसीयत का पालन करते ब्रम्हचारी सुबुद्धानंद जी के द्वारा समस्त तीर्थो के जल से एवं विशिष्ट वस्त्रों से शंकराचार्य पद पर पट्टाभिषेक किया गया। दक्षिणाम्पाय श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य परम पूज्य स्वामी भारती तीर्थ महाराज के प्रतिनिधि श्री वी आर गौरीशंकर जी ने भी पट्टाभिषेक किया, पूरी पीठ के शिष्य धर्मालंकार डॉक्टर पवन मिश्र जी ने अभिषेक किया और कांची पीठाधीश्वर के प्रतिनिधि सुब्रमण्यम मणि जी ने भी अभिषेक किया। देश भर से पधारे साधु संतों और उनके शिष्यों के मध्य पट्टाभिषेक किया गया। फिर ब्रह्मलीन शंकराचार्य जी की शोभायात्रा निकाली गई। माता राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी जी के मंदिर का दर्शन पूजन और गुरु जी की विशेष पूजा की गई। फिर उनकी भावना के अनुसार उनकी तपःस्थली में बगिया में काशी से पधारे आचार्य श्री अवधराम जी, श्री वीरेश्वर दातार जी, ब्रम्हचारी दिव्य स्वरूप जी आदि विद्वानों के द्वारा भू समाधि के समस्त शास्त्रीय विधान का पालन करते हुए भू समाधि दी गई जिसमें पूरे देश के कोने कोने से आये लाखों भक्तों ने दर्शन लाभ किया। उसके पूर्व पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल के द्वारा पुष्प चक्र अर्पित किया गया और उन्हे तिरंगे झण्डे सहित गॉड ऑफ ऑनर दिया गया और बन्दूकों से सलामी भी दी गई ।