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Saturday, November 23

उन्होंने भी यही किया था….. संदर्भ : कांग्रेस

संजय आचार्य वरुण

कांग्रेस विगत एक दशक से भारतीय राजनीति में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है । जो पार्टी पांच दशक से भी अधिक समय तक सत्ता में रही, आजादी से लेकर वर्तमान तक देश के स्वरूप निर्माण में जिसका निर्विवाद रूप से महत्वपूर्ण योगदान रहा है, वह पार्टी आज दिशाहीन सी क्यों नज़र आ रही है ? विपक्ष में रहने पर भी एक बड़ी राष्ट्रीय पार्टी का महत्व और भूमिका कम नहीं हो जाती । विपक्ष लोकतंत्र का सबसे जरूरी हिस्सा है। यह सुखद है कि देश में बहुमत वाली एकल पार्टी सरकारों का दौर लौट आया है लेकिन विपक्ष कमजोर और निष्प्राण है, यह लोकतंत्र के लिए किसी भी सूरत में अच्छा संकेत नहीं है ।

कांग्रेस चिंतन शिविरों का आयोजन तो करती है किन्तु उनमें धरातल पर उतरकर आत्मचिंतन करने की बजाय सत्तापक्ष का अनावश्यक विरोध कर आमजन मानस में अपनी छवि को नकारात्मक बनाती जा रही है । आप किसी को बुरा बताकर कभी भी अच्छे साबित नहीं हो सकते । आपको अपना विजन, अपनी दृष्टि जनता के सामने रखनी चाहिए। कहा जाता है कि असफलता ही सफलता के रास्ते दिखाती है लेकिन कांग्रेस असफल होकर भी उन्हीं तरीकों और नीतियों पर विचार नहीं कर पा रही है, जो उसकी घोर असफलता के कारक हैं ।
कांग्रेस में अपना पूरा जीवन खपा देने वाले वरिष्ठ नेता एक -एक कर पार्टी की वर्तमान कार्यशैली से असहमतियां जता कर किनारा करते जा रहे हैं, लेकिन पार्टी नेतृत्व को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है । कांग्रेस स्वयं दिनोदिन टूटती जा रही है और राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं, आपका संगठन ही मजबूत और एकसूत्र में बंधा हुआ नहीं है और आप देश जोड़ने के लिए वही बैनर लेकर निकल पड़े हैं । यह एक हास्यास्पद स्थिति है ।

यह मेरा मत है कि क्षेत्रीय दल देश की एकता और अखंडता को कमजोर करते हैं और राष्ट्रीय पार्टियां लोकतांत्रिक व्यवस्था को ताकत प्रदान करते हैं । भाजपा ने एक जबरदस्त रणनीति के तहत कांग्रेस द्वारा स्थापित आदर्शों को अपने पाले में डाल लिया और कांग्रेस आज भी सिर्फ मोदी विरोध के आधार पर सत्ता में लौटना चाहती है । कांग्रेस को अपने अतीत का मोह भी छोड़ना होगा, क्योंकि आज 60 प्रतिशत युवा मतदाता को अपना आने वाला कल सुनहरा बनाना है, आप अगर उस युवा को अपने साथ लाना चाहते हैं तो अपनी योजनाएं उसे बताइए, विशेषज्ञों के साथ बैठकर अपना देश निर्माण का कार्यक्रम तैयार कीजिए, वरिष्ठों और युवाओं के साथ संवाद कीजिए, अच्छे सुझावों को क्रियान्वित कीजिए। लकीर को मिटाकर छोटा करने की कोशिश बचकानी है, उसके पास आप एक बड़ी लकीर खींच दीजिए, वो लकीर छोटी हो जाएगी, उन्होंने भी यही किया था ।

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