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Friday, September 20

अंजस- राजस्थानी कला संस्कृति को साकार करता महोत्सव, जोधपुर के गढ़ गोविन्द में 29-30 अक्टूबर को होगा आयोजन

अभिनव टाइम्स।
रेख़्ता फाउंडेशन हिन्दी और उर्दू साहित्य में काम करने के बाद राजस्थानी का पहला डिजिटल कोष तैयार कर रहा है, जिसका नाम है ‘अंजस।’ यह उपक्रम पूर्णतः वेबसाइट रूप में होगा। इस वेबसाइट पर पहली बार राजस्थानी साहित्य—जिसमें वाचिक, लिखित और अकादमिक साहित्य परंपरा और लोक जगत का चयनित कार्य एक जगह मिलेगा, अंजस इसमें राजस्थानी साहित्य के 350 से अधिक आधुनिक-प्राचीन कवि-लेखकों की 4000 से अधिक रचनाओं को शामिल कर रहा है। रेख़्ता फाउंडेशन के फाउंडर संजीव सर्राफ़ ने बताया कि राजस्थानी साहित्य का इतिहास बहुत प्राचीन और उज्जवल है, इसका पहली बार उल्लेख 8 वीं शताब्दी में मिलता है, प्राचीन काल से लगाकर आधुनिक काल तक गद्य और पद्य दोनों में राजस्थानी साहित्य हमें लिखित और वाचिक तौर पर मिलता है, इसी समृद्धि को देखते हुए संस्थान की योजना में शामिल वाचिक पंरपरा प्रोजेक्ट में राजस्थान के लोक, जीवन के विविध रंग और उनके कला पक्ष पर भी काम शुरू हो गया है।
अंजस के ई-डिजिटल रूप में श्री डूंगरगढ़ और सरदारशहर में स्केनिंग मशीनों द्वारा राजस्थानी की प्राचीन-आधुनिक पुस्तकों के डिजिटलीकरण का कार्य भी शुरू है तथा रेख़्ता फाउंडेशन लोक जगत की महत्वपूर्ण पंरपरा को डिजिटल तौर पर भी संरक्षित कर रहा है। यह कोष 29-30 अक्टूबर को, गढ़-गोविंद, जोधपुर में ‘अंजस महोत्सव’ में लॉन्च किया जाएगा।

-: अंजस महोत्सव
जोधपुर के गढ़-गोविंद में, 29-30 अक्टूबर को दो दिवसीय, ‘अंजस महोत्सव’ आयोजित होगा। उत्सव के इस पहले संस्करण में भिन्न-भिन्न साहित्यिक आयोजन, अकादमिक सत्र और सांस्कृतिक कार्यक्रम रहेंगे। इस महोत्सव में संगीत, कला के क्षेत्र से जुड़े सौ से अधिक स्पीकर शामिल होंगे जिनमें अर्जुन देव चारण, आईदान सिंह भाटी, रामस्वरूप किसान, नंद भारद्वाज, शारदा कृष्ण, ईला अरूण, रवि झांकल, शैलेश लोढ़ा, मामे खान, राहगीर, अनवर खान, मीर मुख्तियार अली, महेशाराम, बीना काक आदि शामिल हैं। इस महोत्सव में शामिल सत्रों में ‘मायड़ भासा रै पख में’, नूवी कविता री हेमाणी, ‘मोत्यां सूं मूंगी घणमीठी आ राजस्थानी भासा है’ तथा संगीत के क्षेत्र में ‘सूफी संगत’, ‘सुर-समंदर’, ‘अंजस-धमाल’ के साथ-साथ साहित्यिक विरासत को याद करने की कड़ी में ‘ओळूं बडेरां री’ भी शामिल है। राजस्थानी साहित्य में दलित और स्त्री लेखन के रूप में एक नयी चर्चा हों इस अर्थ में ‘आ सदी ऊजळी कै मिजळी’ नाम का सत्र भी रखा गया है। छंद-बिरखा सत्र में राजस्थान के नामचीन गीतकार-कवि जिनमें आईदान सिंह भाटी, दुर्गादान सिंह गौड़, अंबिकादत्त आदि शामिल रहेंगे तो समकालीन कविता के स्वर भी ‘कविता-कोटड़ी’ सत्र में सुनने को मिलेंगे। अंजस महोत्सव इस मायने में अन्य उत्सवों से अनूठा है कि इस उत्सव के आँगन में भाषा की केन्द्रीयता शामिल है। इस महोत्सव में राजस्थानी व्यंजनों, दस्तकारी जैसे बाजार देखने को मिलेंगे।

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