अभिनव न्यूज, नेटवर्क। अजमेर में 10 साल पुराने एसपी मंथली वसूली प्रकरण में भ्रष्टाचार निरोधक की डेजिग्नेटेड कोर्ट ने मंगलवार को अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अजमेर के बहुचर्चित थानेदारों से मंथली प्रकरण मामले में तत्कालीन एसपी राजेश मीणा, एएसपी लोकेश सोनवाल, 9 सीआई, 2 एसआई सहित 2 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया. अभियोजन पक्ष की ओर से 90 गवाह और 330 दस्तावेज पेश किए गए.
एडवोकेट उमरदान लखावत ने बताया कि प्रकरण में 2 जनवरी 2013 को जयपुर एसीबी की टीम ने मुखबीर की सूचना पर मंथली प्रकरण में कार्यवाही करते हुए अजमेर के तत्कालीन एसपी राजेश मीणा और जोधपुर के दलाल रामदेव ठठेरा को दो लाख पांच हजार रुपए सहित गिरफ्तार किया था.
ये अधिकारी थे शामिल
मामले में एसीबी ने तत्कालीन सीआई खान मोहम्मद, प्रमोद स्वामी, अशोक विश्नोई, संजय शर्मा, रविन्द्र यादव, हनुमान सिंह राठौड़, जयपाल सिंह, सुनील विश्नोई, खुशाल चौरड़िया, गोपाल लाल, बंशी लाल और कारोबारी हेमंत जैन को भी आरोपी बनाया गया था. सभी को गिरफ्तार करने के बाद वे जमानत पर चल रहे थे. बचाव पक्ष की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने फैसला मंगलवार के लिए सुरक्षित रखा था. वहीं मंगलवार को कोर्ट ने निर्णय सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी करने के आदेश दिए. निर्णय से पहले सभी आरोपी कोर्ट परिसर में मौजूद रहे.
पहले से तैयार किया था क्राइम सीन
आरोपियों के वकील उमरदान लखावत ने बताया कि टाडा एसीबी कोर्ट ने आदेश देते हुए सभी आरोपियों को दोष मुक्त किया है. उन्होंने कहा कि अदालत में एसीबी ने जो बनावटी दस्तावेज व गवाह पेश किए वो न्यायालय में किसी भी रूप में विधिक रूप नहीं ले सके. पुख्ता सबूत नहीं होने की वजह से एसीबी आरोप सिद्ध नहीं कर पाई. एसीबी ने गलत तथ्यों के आधार पर कार्यवाही की थी. कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. आरोपियों के वकीलों का कहना था कि पहले से तैयार किया क्राइम सीन था.
राजेश मीणा बोले- न्यायालय पर पूरा भरोसा था
अजमेर के तत्कालीन एसपी राजेश मीणा ने अदालत के फैसले से खुशी जाहिर करते हुए कहा कि लंबे समय से केस चल रहा था. मीणा ने कहा कि उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा था, उन्हें न्याय मिलेगा. मीणा ने कहा कि गलत तथ्य के आधार पर बनावटी, मिथ्या और साक्ष्य विहीन केस दर्ज किया था. उन्होंने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं.