अभिनव न्यूज, नेटवर्क। भारत और कनाडा के बीच बढ़ते राजनयिक तनाव के बीच, कनाडा ने एक गंभीर आरोप लगाया है कि भारत के इशारे पर लॉरेंस बिश्नोई गैंग (Lawrence Bishnoi Gang ) ‘खालिस्तानी समर्थकों’ को निशाना बना रहा है। रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) की असिस्टेंट कमिश्नर ब्रिजेट गॉविन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारतीय सरकार के एजेंट संगठित अपराध समूहों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनमें से एक बिश्नोई गैंग प्रमुख रूप से शामिल है, ताकि वे कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों को निशाना बना सकें।
ध्यान रहे कि भारत और कनाडा के बीच तनाव (India-Canada Tensions )बढ़ता जा रहा है, जिसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे के कुछ राजनयिकों को निष्कासित किया है। रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) ने भारतीय सरकार के एजेंटों से जुड़े एक संगठित अपराध समूह, लॅारेंस बिश्नोई ग्रुप, के बारे में गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि यह समूह कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों (Khalistan Supporters) को निशाना बना रहा है। RCMP के अनुसार, भारतीय राजनयिक कनाडा में गुप्त गतिविधियों में शामिल हैं, जिसमें दक्षिण एशियाई समुदाय के बारे में जानकारी इकट्ठा करना शामिल है। यह जानकारी कभी-कभी जबरदस्ती जुटाई जाती है।
RCMP का बयान
“भारत दक्षिण एशियाई समुदाय को निशाना बना रहा है, लेकिन वे विशेष रूप से कनाडा में खालिस्तानी समर्थक तत्वों ( Khlistani Supporetrs) को लक्षित कर रहे हैं… हमारे द्वारा देखी गई जानकारी के अनुसार, उन्होंने संगठित अपराध तत्वों का उपयोग किया है। एक विशेष संगठित अपराध समूह – बिश्नोई ग्रुप – के बारे में यह सार्वजनिक रूप से कहा गया है… हम मानते हैं कि यह समूह भारत सरकार के एजेंटों से जुड़ा हुआ है।”
— ब्रिजिट गॉविन, सहायक आयुक्त, संघीय पुलिसिंग, राष्ट्रीय सुरक्षा, रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस।
जांच की जानकारी
जांच में पता चला है कि कनाडा में भारतीय राजनयिक और कांसुलर अधिकारी अपने पद का लाभ उठाकर गुप्त गतिविधियों में शामिल हैं, जैसे कि भारत सरकार के लिए जानकारी इकट्ठा करना, या तो सीधे या अपने एजेंटों और अन्य व्यक्तियों के माध्यम से जो स्वेच्छा से या दबाव में काम करते हैं। इसमें यह भी सामने आया है कि कनाडा में विभिन्न प्रकार की संस्थाएँ भारतीय सरकार के एजेंटों द्वारा जानकारी इकट्ठा करने के लिए उपयोग की गई हैं। इनमें से कुछ व्यक्तियों और व्यवसायों को काम करने के लिए मजबूर किया गया और धमकी दी गई। इस प्रकार की जानकारी भारत सरकार के सदस्यों को लक्षित करने के लिए उपयोग की जाती है। यह सबूत सीधे भारत सरकार के अधिकारियों को प्रस्तुत किया गया है ताकि वे हिंसा को रोकने के लिए सहयोग करें।
— माइक डुहेम, रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस के कमिश्नर।
‘ड्यूटी टू वॉर्न’ की कार्रवाई की
RCMP ने यह भी दावा किया कि हाल के वर्षों में, उन्होंने कई व्यक्तियों को हत्या, उगाही और हिंसक अपराधों में सीधे शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है. इसके अलावा, खालिस्तान समर्थक आंदोलन से जुड़े लोगों के खिलाफ कई विश्वसनीय और तात्कालिक जान की धमकियां भी मिली हैं, जिसके चलते कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने ‘ड्यूटी टू वॉर्न’ की कार्रवाई की है।
भारत पर जासूसी के आरोप
RCMP के बयान में यह भी कहा गया कि भारत सरकार के एजेंट कनाडा और विदेशों में विभिन्न संस्थाओं का उपयोग जानकारी इकट्ठा करने के लिए कर रहे हैं. कुछ व्यक्तियों और व्यापारों को धमकाकर या दबाव डालकर भारतीय सरकार के लिए काम करने के लिए मजबूर किया गया. यह जानकारी फिर दक्षिण एशियाई समुदाय के सदस्यों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल की जा रही है. RCMP ने कहा कि इस सबूत को भारतीय अधिकारियों के सामने प्रस्तुत किया गया है, और उनसे आग्रह किया गया है कि वे इस हिंसा को रोकने में सहयोग करें और इन मुद्दों को हल करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ काम करें।
भारत-कनाडा के बीच बढ़ता राजनयिक तनाव
यह आरोप उस समय सामने आए हैं जब भारत और कनाडा के बीच पहले से ही कूटनीतिक तनाव बढ़ता जा रहा है। कनाडा ने हाल ही में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया था। भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कनाडाई राजनयिक को तलब किया था। इसके बाद भारत ने अपने कुछ राजनयिकों को वापस बुला लिया और कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित कर दिया।
भारत और कनाडा के बीच इस विवाद ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान खींचा है। भारत ने कनाडा के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है, जबकि कनाडा ने अपने रुख को मजबूत करते हुए भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दोनों देशों के बीच यह कूटनीतिक संघर्ष आगे कैसे बढ़ेगा, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं।
इसके जवाब में, भारत ने छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित करने का निर्णय लिया है, जिसमें कार्यवाहक उच्चायुक्त भी शामिल हैं। भारत ने उन्हें 19 अक्टूबर, 2024 से पहले देश छोड़ने के लिए कहा है।