अभिनव न्यूज
जयपुर।राजस्थान सरकार दीपावाली के सीजन को देखते हुए मिलावट और नकली खाने-पीने की चीजों के खिलाफ बड़ा धरपकड़ अभियान चलाने जा रही है। मिलावटखोरों को कड़ी सजा दिलाने और उनके खिलाफ सख्त एक्शन के लिए राजस्थान सरकार ने गृह विभाग के तहत आईपीसी की धाराओं में संशोधन के लिए केंद्र सरकार सरकार को जरूरी प्रस्ताव भेज रखा है। जो लागू हुआ तो सख्ती से मिलावटखोरों से सरकार निपट सकेगी।
18 सितम्बर 2021 को राजस्थान विधानसभा से दी क्रिमिनल लॉज राजस्थान अमेंडमेंट बिल-2021 (दण्ड विधियां राजस्थान संशोधन विधेयक-2021) पास होने के बाद केंद्र को भेजा गया था। उसे जल्द पास करवाने के लिए राज्य सरकार केंद्र से फॉलो अप ले रही है। उम्मीद है जल्द यह संशोधन केंद्र से पास होगा, अमेंडमेंट केंद्र सरकार लागू करती है, तो यह मिलावटखोरी और नकली प्रोडक्ट्स बेचने वालों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रोविजन करेगा।
- बिल में सेंट्रल एक्ट नम्बर 45 और आईपीसी-1860 की धारा 272, 273, 274, 275, 276 में संशोधन कर केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया है।
- साथ ही कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर, 1973 के पहले शेड्यूल में सेंट्रल एक्ट नम्बर 2 के तहत आईपीसी के अंतर्गत अपराध हेडिंग में धारा 272 से 276 तक में संशोधन का प्रस्ताव भेजा गया है।
- इसमें फूड और ड्रिंक में एडल्ट्रेटिंग (मिलावट) करने, ऐसे उत्पाद बेचने, मानव जीवन के लिए हानिकारक प्रोडक्ट्स पर कड़ी सजा और जुर्माने का प्रोविजन है।
- दवाईयों या मेडिकल प्रीप्रेशन में ऐसी मिलावट कर बेचने पर कठोर सजा का प्रावधान है, जो क्षमता से कम प्रभावी हों या मिलावट से उनके काम करने का तरीका बदल गया हो।
- मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ड्रग्स को इसके दायरे में लाया गया है।
- डिस्पेंसरी से मानव जीवन के लिए नुकसानदेह मिलावटी कोई दवा या मेडिकल प्रीप्रेशन बेचने पर भी सजा बढ़ाई गई है।
- यह संशोधन किया गया है कि 6 महीने तक के कारावास और 1 हजार रुपए तक जुर्माना या दोनों की जगह कम से कम 1 साल और अधिकतम 7 साल तक के कारावास की सजा हो सकेगी। साथ ही कम से कम 10 हजार रुपए का जुर्माना लगेगा।
- अगर खाने-पीने की चीज में ऐसी मिलावट मानव जीवन के लिए हानिकारक या संकट पैदा करने वाली है, तो कम से कम 3 साल की कैद और अधिकतम उम्र कैद तक की सजा हो सकेगी। साथ ही 50 हजार रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकेगा।
- ड्रग्स (दवाईयों) और मेडिकल प्रीप्रेशन में मिलावट से मानव जीवन पर संकट होने पर कम से कम 3 साल और अधिकतम उम्र कैद की सजा का प्रोविजन किया गया है। साथ ही 50 हजार रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकेगा।
- सीआरपीसी (दण्ड प्रक्रिया संहिता) 1973 और सेंट्रल एक्ट 1974 की संख्या 2 के आर्टिकल-1 में संशोधन किया गया है। जिसमें भारतीय दंड संहिता के अधीन अपराध में धारा 272 से 276 को संज्ञेय अपराध (बिना वारंट पुलिस को गिरफ्तारी का अधिकार वाला क्राइम) की श्रेणी में लेने का संशोधन किया गया है।
क्यों पड़ी अमेंडमेंट (संशोधन की जरूरत) ?
फूड और ड्रिंक्स के साथ ही दवाइयों में मिलावट आईपीसी की धारा 272 से लेकर 276 तक अपराध घोषित हैं। ऐसे प्रोडक्ट्स को बनाना और बेचना दण्डनीय अपराध है, जो मानव की सेहत के लिए हानिकारक हैं। ऐसे अपराध पर 6 महीने तक की कैद की सजा और एक हजार रुपए जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। केवल धारा 274 में ड्रग्स को छोड़कर बाकी की धाराओं में यह अपराध असंज्ञेय यानी नॉन कॉग्निजेबल कैटेगरी में हैं। जिसमें पुलिस को बिना वारंट गिरफ्तार करने का अधिकार तक नहीं है। धारा 272, 273, 275 और 276 जमानती हैं। इसमें आसानी से जमानत मिल जाती है। इसलिए राजस्थान सरकार ने इन धाराओं में सजा और जुर्माने का प्रावधान बढ़ाने और इन्हें संज्ञेय (बिना वारंट गिरफ्तारी का अधिकार) और गैर जमानती बनाने के लिए ये अमेंडमेंट किया है।
मिलावटखोरी की सूचना देने पर 51 हजार का ईनाम
मिलावटखोरी या नकली सामान की सूचना देने वाले को 51 हजार रुपए का ईनाम भी सरकार देगी। खाद्य पदार्थों में मिलावट करने और ऐसे प्रोडक्शन करने वालों के खिलाफ इफेक्टिव कार्रवाई होगी। सूचना देने वाले को अनसेफ फूड पाए जाने पर 51 हजार रुपए और सब-स्टैंडर्ड फूड होने पर 5000 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।सीएम अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री निवास पर ‘शुद्ध के लिए युद्ध’ अभियान के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक को सम्बोधित करते हुए अफसरों को कहा कि चालान के वक्त ही प्रोत्साहन राशि का आधा पैसा सूचना देने वाले व्यक्ति को दे दिया जाए।
FSSAI के सर्टिफिकेट्स का कॉमर्शियल संस्थानों में डिस्प्ले सुनिश्चित करने के लिए भी गहलोत ने निर्देश दिए। गहलोत ने खाद्य और आपूर्ति विभाग, मेडिकल एंड हेल्थ डिपार्टमेंट, फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट को बेहतर कॉर्डिनेशन से काम करते हुए लोगों को शुद्ध प्रोडक्ट्स की उपलब्धता सुनिश्चित कराने की बात कही। सीएम ने कहा कोई भी व्यक्ति मिलावट की सूचना हेल्पलाइन नम्बर 181 पर दे सकता है। जिला कलेक्टर और संबंधित अधिकारियों को भी सूचना दी जा सकती है। उसकी पहचान सीक्रेट रखी जाएगी।
इन प्रोडक्ट्स की जांच को प्राथमिकता दें
मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेष अभियान के दौरान दूध, मावा, पनीर, मिठाइयों, दूध से बने अन्य उत्पादों, आटा, बेसन, खाद्य तेल, घी, ड्राय फ्रूट्स, मसाले, अन्य खाद्य पदार्थों, बाट और माप की जांच को प्राथमिकता दी जाए। खाद्य पदार्थों में मिलावट कर प्रदेशवासियों की सेहत से खिलवाड़ करने वाले उत्पादकों, थोक विक्रेताओं और बड़े खुदरा विक्रेताओं के खिलाफ मौके पर ही सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने अधिकारियों को जांच के लिए सैम्पल लेने, उनकी टेस्टिंग रिपोर्ट, मौके पर नष्ट की गई सामग्री, दर्ज की गई एफआईआर की कार्यवाही का रिव्यू करने के लिए भी निर्देश दिए। गहलोत ने कहा प्रदेश में सैम्पल टेस्टिंग की 7 नई लैब लगाई जा रही हैं।