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Friday, November 22

सीएम के OSD की नहीं होगी गिरफ्तारी:फोन टैपिंग पर 9 नवम्बर को आएगा फैसला, दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकेश को दी राहत बरकरार रखी

अभिनव टाइम्स । राजस्थान में दो साल पहले कांग्रेस में बगावत से हुए सियासी संकट के समय फोन टैपिंग से जुड़े केस में अब 9 नवंबर को फैसला आएगा। तब तक सीएम के OSD लोकेश शर्मा को गिरफ्तारी से राहत बरकरार रखी गई है। हाईकोर्ट में आज करीब दो घंटे तक बहस चली।

लोकेश शर्मा की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी की। राज्य सरकार ने भी इस केस में पक्ष रखने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता को भेजा था। लोकेश शर्मा की तरफ से बहस पूरी कर ली गई है। गजेंद्र सिंह शेखावत और दिल्ली पुलिस की तरफ से अब आगे बहस और होनी है। गत 14 जुलाई को सुनवाई आज के लिए टल गई थी।

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की शिकायत के बाद दिल्ली क्राइम ब्रांच ने 21 मार्च 2021 को लोकेश शर्मा और अज्ञात पुलिस अफसरों के खिलाफ केस दर्ज किया था। दिल्ली क्राइम ब्रांच में दर्ज इस केस को खारिज करने की मांग करते हुए लोकेश शर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद लोकेश शर्मा को गिरफ्तारी से छूट मिली हुई है। दिल्ली क्राइम ब्रांच ने 13 मई को लोकेश शर्मा को बुलाकर पूछताछ की थी, इससे पहले मार्च में भी पूछताछ के लिए पेश हुए थे।

पायलट खेमे की बगावत के समय से शुरू हुआ था विवाद
जुलाई 2020 में सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय विधायकों की खरीद-फरोख्त का दावा करते हुए गहलोत खेमे की तरफ से कुछ ऑडियो जारी किए गए थे। उन ऑडियो में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा से सरकार गिराने के संबंध में बातचीत का दावा किया गया था। एक दूसरा ऑडियो पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह का एक कारोबारी से बातचीत का भी था। ये ऑडियो सीएम के ओएसडी ने मीडिया को भेजे थे। BJP ने उस समय सरकार पर विधायकों के फोन टैप करवाने के आरोप लगाए थे। 34 दिन की बाड़ेबंदी के बाद पायलट खेमे से सुलह हो गई। यह मामला एकबार ठंडा पड़ गया था।

सराफ के सवाल के जवाब में सरकार के कबूलनामे से विवाद फिर उठा था
BJP विधायक कालीचरण सराफ के विधानसभा सवाल का लिखित जवाब आने के बाद मार्च 2021 में फोन टैपिंग विवाद फिर उठ खड़ा हुआ। गृह विभाग ने सवाल के जवाब में लिखा था- लोगों की सुरक्षा या कानून व्यवस्था को खतरा होने पर सक्षम अधिकारी की अनुमति लेकर फोन सर्विलांस पर टैप किए जाते हैं। भारतीय तार अधिनियम 1885 की धारा 5-2 और आईटी एक्ट की धारा-69 में दिए प्रावधानों के अनुसार फोन टैप किए जाते हैं। राजस्थान पुलिस ने इन प्रावधानों के तहत ही सक्षम अधिकारी से मंजूरी लेकर फोन टैप किए हैं।

धारीवाल का बयान बना सीएम के ओएसडी पर केस का आधार
विधानसभा में सवाल के जवाब में फोन टैपिंग पर सरकार के कबूलनामे पर BJP ने साल 2021 के बजट सत्र में जमकर हंगामा किया था। पांच दिन तक इस मुद्दे पर लगातार हंगामा हुआ। विधानसभा में ससंदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा के पास बातचीत का ऑडियो सोशल मीडिया से आया था। उसमें सरकार गिराने पर बातचीत हो रही थी। इस तरह के ऑडियो को वह आगे वायरल क्यों नहीं करेगा।

लोकसभा-राज्यसभा में भी उठा था मुद्दा
धारीवाल ने विधानसभा में यह माना था कि सीएम के ओएसडी ने ही ऑडियो मीडिया में भेजा था। BJP ने ऑडियो के सॉर्स पर सवाल उठाते हुए सरकार पर फोन टैप करवाने के आरोप लगाए थे। ​लोकसभा और राज्यसभा में भी फोन टैपिंग का मुद्दा उठा था। विधानसभा में शांति धारीवाल के बयान को आधार बनाकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिल्ली पुलिस को 23 मार्च 2021 को शिकायत दी। इसमें फोन टैपिंग के साथ छवि खराब करने के आरोप लगाए। इसमें सीएम के ओएसडी और पुलिस अफसरों को आरोपी बनाया गया। इस शिकायत के आधार पर दिल्ली क्राइम ब्रांच ने 26 मार्च को केस दर्ज कर जांच शुरू की।

लोकेश शर्मा ने केस खारिज करने की याचिका लगाई
दिल्ली क्राइम ब्रांच में दर्ज केस के क्षेत्राधिकार पर सवाल उठाते हुए लोकेश शर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस याचिका में तर्क दिया कि विधायक खरीद-फरोख्त मामले की राजस्थान एटीएस और एसीबी जांच कर रही है। इस याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट से लोकेश शर्मा को गिरफ्तारी से राहत मिल गई, तब से कई बार सुनवाई हो चुकी है। लोकेश शर्मा को दिल्ली क्राइम ब्रांच ने छह बार पूछताछ के लिए​ नोटिस देकर तलब किया। दो बार लोकेश शर्मा से पूछताछ हो चुकी है। दिल्ली क्राइम ब्रांच ने लोकेश शर्मा से ऑडियो के सोर्स के बारे में पूछा था। अभी तक गैजेट्स की बरामदगी और बाकी अफसरों से पूछताछ नहीं हुई है।

ऑडियो क्या फोन टैप करके मिला, इस पर टिकी है जांच
विधायकों की खरीद-फरोख्त के दावे वाले ऑडियो के सोर्स को लेकर ही BJP सरकार पर फोन टैप के आरोप लगाती रही है। दिल्ली क्राइम ब्रांच भी अब ऑडियो के सॉर्स की ही जांच कर रही है। क्या सियासी संकट के समय जारी ऑडियो फोन टेप से आए थे, जांच इसी पर टिकी है।

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