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Friday, September 20

रामसापीर के दर तक पहुंचने में भूले हर पीर: जख्म, छाले और बहता खून, फिर भी नहीं थमे पांव, 1 पैर से साइकिल चलाता दिव्यांग

अभिनव टाइम्स। जोधपुर से रामदेवरा तक करीब 200 किमी तक टूटी-फूटी सड़क और कंकड़ से भरे पाथ-वे की कठिन डगर और ऐसे में पांवों में पड़े छाले, आसमां से बरस रही बारिश भी बाबा के जातरुओं के हौसलों को पस्त नहीं कर पा रही है। कोई मन में संतान की उम्मीद लिए तो कोई बीमारी से मुक्ति पाने पर दंडवत करते हुए बाबा के दरबार में दस्तक देने पहुंच रहा है। तो कोई सरकारी नौकरी की आस तो कोई निस्वार्थ भाव से बाबा की एक झलक पाने के लिए कोसों दूर की यात्रा कर रामदेवरा पहुंच रहे हैं।

12 साल से दिव्यांग सुरेश 500 किमी 1 पैर से साइकिल चला आता है रामदेवरा
बांसवाड़ा निवासी सुरेश एक पैर से पोलियाे ग्रसित है। सुरेश पिछले 12 साल से निस्वार्थ भाव से एक पैर से 500 किमी तक साइकिल चलाकर रामदेवरा आ रहा है। शुरू में वह अकेला आता था, लेकिन अब उसके साथ उसके दोस्त नाथूलाल, मंगलू, कालू, शंकर भी साइकिल पर आते हैं। इनका उत्साह हर बार यात्रा में बढ़ता जा रहा है।

मुस्लिम परिवार संतान की चाह में 377 किमी से व्हीलचेयर पर आया
ब्यावर के सरमालिया गांव निवासी दोनों पैरों से दिव्यांग मुस्लिम श्रद्धालु मुन्ना किराणा की दुकान चलाते हैं। उसके पुत्र नहीं हैं और उसने रामापीर से मन्नत मांगी है कि वह पुत्र प्राप्ति के लिए व्हीलचेयर पर दर्शन को आएगा। उउसके रिश्तेदार साहिल, सद्दीक और रफीक भी साथ हैं, जो 17 अगस्त को सरमालिया से रवाना हुए और बुधवार रात को रामदेवरा पहुंचे।

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