अभिनव टाइम्स । डूंगरपुर: जिले के सागवाड़ा राजस्व विभाग में बड़ा खेल सामाने आया है. विभाग के अधिकारियों ने मिलीभगत कर उप शासन सचिव के नाम से आए फर्जी आदेश से छुट्टी के दिन सागवाड़ा कस्बे में सिंचाई विभाग के अधीन माही-कडाना प्रोजेक्ट की करोड़ों की भूमि का नामांतरण खोल कर रजिस्ट्री कर डाली. जब इस मामले की जानकारी कलेक्टर को हुई तो वह भी हैरान रह गए.
कलेक्टर ने इस घोटाले में तहसीलदार, गोवाड़ी गिरदावर और पटवारी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए निलंबित कर दिया है. कलेक्टर इंद्रजीत यादव ने तहसीलदार मयूर शर्मा, गोवाड़ी गिरदावर मुकेश बाई और पटवारी राकेश मकवाना को कलेक्टर डॉ इंद्रजीत यादव ने सस्पेंड कर दिया है. वहीं, नामांतरण को भी निरस्त कर दिया है.
3 बीघा भूमि की कीमत है करीब 30 करोड़
फर्जी तरीके से नामांतरण खोलकर रजिस्ट्री की गई कडाना विभाग की ये जमीन 3 बीघा है. ये भूमि सागवाड़ा से गुजर रहे नेशनल हाईवे 927A पर डूंगरपुर सागवाड़ा मार्ग पर मुख्य डाकघर के पास स्थित है. ऐसे में इस भूमि का बाज़ार मूल्य करीब 30 करोड़ रुपये बताई जा रही है.
मामले के अनुसार, राजस्व विभाग शासन उप सचिव ग्रुप 6 का एक आदेश डूंगरपुर कलेक्टर के नाम से 16 जून को आता है, जिसमें सागवाड़ा स्थित कडाणा बांध की अवाप्त की गई 3 बीघा करीब 52 हजार स्क्वायर फीट जमीन मूल खातेदारों को लौटाने के निर्देश दिए गए थे. जिस पर कलेक्टर कार्यालय से इस पत्र को 22 जुलाई को एसडीएम सागवाड़ा को भेजा गया. एसडीएम सागवाड़ा ने इस पत्र को 27 जुलाई को सागवाड़ा तहसीलदार को भेज दिया. सागवाड़ा तहसीलदार मयूर शर्मा की ओर से 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस राजकीय अवकाश के दिन इस जमीन का नामांतरण खोल दिया गया.
कूटरचित दस्तावेज से नामांतरण व रजिस्ट्री का मामला करवाया दर्ज
वहीं, आनन फानन में अगले ही दिन 10 अगस्त को इसकी विक्रय रजिस्ट्री कर दी गई. इधर, 16 अगस्त को कलेक्टर ने राजस्व विभाग शासन उप सचिव ग्रुप 6 का आदेश फर्जी पाया और तहसीलदार सागवाड़ा की ओर से कूटरचित दस्तावेज से नामांतरण व रजिस्ट्री करवाने का मामला थाने में दर्ज करने का आदेश जारी किया. सीआई शैलेन्द्रसिंह ने बताया की तहसीलदार मयूर शर्मा ने मामला दर्ज करवाया है. जिसमें बताया गया है कि 9 अगस्त को सागवाड़ा निवासी नजमा पुत्री उमर खां घाची व फातेमा पुत्री उमर खां घाची के नाम कर दी. 10 अगस्त को उस आधार पर आसपुर तहसील के रामा निवासी हरिसिंह पुत्र रामसिंह चौहान के पक्ष में रजिस्ट्री कर दी.
कडाना विभाग के अधिकारी ने लिखा था पत्र
सागवाड़ा में बेशकीमती भूमि के नामांतरण को लेकर निकले आदेश की जानकारी जब कडाणा विभाग को मिली. तो विभाग के अधिकारियों ने 8 अगस्त को कलेक्टर व एसडीएम को एक पत्र लिखा था. जिसमें उप शासन सचिव की ओर से दिए गए निर्देश पर पुनर्विचार करने का निवेदन किया था. इस पत्र में यह भूमि कडाणा विभाग की है उसकी तथ्यात्मक टिप्पणी की गई थी. इसके बाद भी 9 अगस्त को ही गोवाडी पटवारी राकेश मकवाना और गिरदावर मुकेश भोई ने करोड़ो की सरकारी भूमि का नामांतरण निजी व्यक्ति के नाम खोल दिया. 10 अगस्त को तहसीलदार द्वारा बेचान रजिस्ट्री कर दी गई.
नामांतरण खोलने और रजिस्ट्री करने में की गई जल्दबाजी
भूमि के नामांतरण खोलने व रजिस्ट्री करने में गोवाड़ी गिरदावर मुकेश भोई, पटवारी राकेश मकवाना और सागवाड़ा तहसीलदार मयूर शर्मा की ओर से जल्दबाजी की गई. राज्य सरकार की ओर से कडाना की भूमि पहले ही सागवाड़ा नगरपालिका को सौंपने की घोषणा की गई है. तहसीलदार मयूर शर्मा के निर्देशन में एक-एक इंच भूमि का सर्वे करवाया गया था. उक्त भूमि की समस्त जानकारी तहसीलदार को होने के बाद भी इस भूमि की रजिस्ट्री कर दिया गया.