संजय आचार्य ‘वरुण’
अभिनव टाइम्स । आज मन आह्लादित है, आनंदित है, शरीर के रोम- रोम में एक रोमांच भरा हुआ है। हम कितने भाग्यशाली हैं कि आज का सूर्य देख रहे हैं, जिन लोगों ने विश्व भूमंडल के सबसे महान राष्ट्र भारतवर्ष की स्वाधीनता के लिए संघर्ष किया, सुखों का त्याग किया, स्वयं को पूरी तरह से न्यौछावर कर दिया, वे जो आज की सुबह देखने के सबसे बड़े अधिकारी थे, लेकिन उन्हीं के पुण्य प्रताप से आज की सुबह, आज का सूर्य देखने का सौभाग्य हमें मिल रहा है । 15 अगस्त 1947 को जिन बच्चों का जन्म हुआ, आज वह 75 साल के हैं । उन्होंने अपनी तरुणाई के साथ आजाद भारत की तरुणाई भी देखी है । उन्होंने देखा है कि किस तरह से, पूरी तरह से मिट जाने के बाद एक देश फिर से जन्म लेता है । घुटनों पर चलता है, अपने पैरों पर खड़ा होता है, और एक दिन अंगद की तरह मजबूती से खम ठोक कर खड़ा हो जाता है ।
संसार के नक्शे में अगर भारत को ढूंढा जाए तो एक बहुत ही खूबसूरत सी छोटी सी आकृति भारत के रूप में नजर आती है , लेकिन धरती का यह एक छोटा सा हिस्सा पूरे विश्व की सबसे पुरानी तहजीब है । भौगोलिक दृष्टि से भले ही भारत एक बहुत ही छोटे से राष्ट्र का नाम है । परंतु सच्चाई यह है कि इस दुनिया में इससे बड़ा राष्ट्र और इससे बड़ी संस्कृति कोई दूसरी नहीं है । इस सच्चाई को न केवल हम कहते हैं बल्कि समूचा संसार मानता है ।
हम 135 करोड़ भारतवासी दुनिया के अरबों लोगों से इसलिए भाग्यशाली हैं क्योंकि हमें भारत की भूमि पर जन्म मिला है । हम में से बहुत सारे लोगों को अपने भाग्य पर गर्व होगा तो बहुत सारे लोगों को शायद अभी तक यह अनुभूति भी नहीं हुई है कि उन्होंने कितनी महान धरती पर जन्म लिया है ।
आज भारत की आजादी का अमृत महोत्सव मनाते समय हमें सबसे ज्यादा यही अनुभव करने की आवश्यकता है कि हम भारतीय हैं । भारतीय होने और भारतीय दिखने में बहुत अंतर है । आज के दिन हमें अपने हृदय से इस अंतर को मिटाने का संकल्प लेना है । हम तिरंगा लेकर घूमें, जन गण मन गाएं, मंचों पर देशभक्ति के ओजस्वी भाषण देवें, राष्ट्रभक्ति की सुंदर कविताएं लिखें , देश भावना जगाने वाली फिल्में बनाएं, चित्र बनाएं चाहें राष्ट्रभक्ति के गीत गाएं लेकिन इन सभी कार्यों से हम भारतीय दिख सकते हैं, वास्तव में भारतीय होने के लिए हमें मन से भारतीय होना होगा । हमें समझना होगा कि भारतीयता किसी अमेरिकन,आस्ट्रेलियन या ब्रिटिश की तरह केवल एक देश की नागरिकता का नाम नहीं है । भारतीयता एक सम्पूर्ण मानव होने का मापदण्ड है। भारतीयता महान वैज्ञानिक जीवन शैली का नाम है। भारतीयता संसार की सबसे प्राचीन सभ्यता का नाम है । सभ्यता का आरम्भ वहां से माना जाता है, जहां से मानव पशुवत् जीवन त्याग कर ज्ञान और आत्मोन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ा था । इसलिए आज हमें ये देखना है कि हम वास्तव में भारतीय हैं या नहीं ?
आज हमें भारतीय होने की जिम्मेदारियों को समझना जरूरी है । जिस दिन हम सच्चे भारतीय हो जाएंगे, उस दिन देश की तस्वीर बदल जाएगी, उसके बाद वर्ष का प्रत्येक दिन 15 अगस्त और 26 जनवरी की तरह प्रतीत होगा । तब सरकारों को करोड़ों – अरबों रुपये खर्च करके देशभक्ति के अभियान नहीं चलाने पड़ेंगे ।जिस दिन भारत का एक – एक नागरिक हृदय से भारतीय हो जाएगा, उस दिन पूरे देश में एक भी एफ आई आर दर्ज नहीं होगी, उस दिन के बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को समाप्त करना पड़ जाएगा । कारण ये है कि भारतीयता का अर्थ है – मानवीय मूल्य, भारतीयता का अर्थ है – सच्चाई, प्रत्येक स्त्री में मातृभाव , मर्यादित और गरिमामय जीवन। भारतीयता का अर्थ है- सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए ही नहीं अपितु सम्पूर्ण पृथ्वी के लिए परिवार जैसी भावना। ये बातें अभी अतिश्योक्ति लग सकती हैं लेकिन अतिश्योक्ति हैं नहीं । राष्ट्र का ऐसा वातावरण हम रामानंद सागर जी द्वारा निर्मित ‘रामायण’ धारावाहिक में देख चुके हैं तथा हजारों महान भारतीय ग्रन्थों में पढ़ चुके हैं ।
इस विषय पर हजारों पृष्ठ लिखे जा सकते हैं, सैकड़ों दृष्टांत दिए जा सकते हैं लेकिन इसकी कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि सच्चाई यह है कि मन में हर भारतीय जानता है कि वास्तविक भारतीयता क्या होती है ।
आजादी के 75 वर्ष का अमृत महोत्सव मनाते हुए जो सबसे पहला और जरूरी कार्य हमें करना चाहिए, वो यही है कि हमें अपने भीतर की भारतीयता को जीवन और आचरण में उतारने का संकल्प लेना चाहिए ।