अभिनव टाइम्स । लंपी से निपटने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बिना टेंडर दवाइयां खरीदने की छूट कलेक्टर्स को दे दी है। उन्होंने कहा युद्ध स्तर पर इस बीमारी से निपटने के लिए काम करना है। रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रिव्यू बैठक में बोल रहे थे। गहलोत ने 15 अगस्त को दोपहर 2 बजे फिर से बैठक बुलाई है। इसमें सभी सांसद, विधायक, जिला प्रमुख, प्रधान, कलेक्टर्स, सम्भागीय आयुक्त, सरपंच, पंच, वार्ड पंच, गौशाला संचालक, प्रबंधक, कलेक्टर, सीईओ, जिलापरिषद, पंचायत राज अधिकारी, नगर निगम के मेयर, पालिका चेयरमैन, निकायों के अधिकारी, पशुपालन, कृषि, गोपालन जैसे सम्बंधित विभागों के मंत्री और अधिकारी जुड़ेंगे। र
गहलोत ने कहा- प्रदेश के तमाम जिला कलेक्टर इस वीसी की तैयारी के लिए अपने विभागों को निर्देश दे दें। मंत्री प्रभारी जिलों में कलेक्टर से कॉन्टेक्ट करें। लंपी प्रभावित जिलों को लेकर बैठक में चर्चा होगी। जिन जिलों में अभी तक लंपी नहीं फैला है, हमारी कमजोरी या लापरवाही से वो जिले प्रभावित हो जाएं, तो हमें दुख होगा। गहलोत ने कहा लंपी डिजीज को हमें गम्भीरता से लेना पड़ेगा। क्योंकि कोरोना में तो पूरी दुनिया और देश इनवॉल्व था। व्यवस्थाएं उसी ढंग से हो गईं। राजस्थान को इस बीमारी से निपटने के लिए फैसले लेने होंगे।
इस बीमारी से गाय तड़प-तड़पकर मरती है
गहलोत ने कहा- मंत्री प्रमोद जैन भाया ने बताया इस बीमारी से गाय तड़प- तड़पकर मरती है। गाय से सबकी भावना जुड़ी है। 20 राज्यों मे यह बीमारी फैल चुकी है। राजस्थान इससे निपटने में पीछे नहीं रहे। गहलोत ने 16 जिलों को लंपी से प्रभावित बताया। उन्होंने कहा राजस्थान के गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, नागौर, पाली, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, सिरोही, जालोर जोधपुर जिले मुख्य रूप से लंपी से प्रभावित हैं। कुछ और पशु बाकी जिलों में बीमार मिले हैं।
इनमें जयपुर, अजमेर, सीकर, झुंझुनूं, डूंगरपुर, राजसमंद हैं। राजसमंद का जुड़ना चिन्ता की बात होनी चाहिए। आइसोलेशन सेंटर, क्वारंटाइन, वैक्सीनेशन की व्यवस्था की जाए। अगर दवाईयों की कमी है तो पर्सनल अफोर्ट करें। अधिकारियों से बात करें। साधन की कमी नहीं आएगी। गहलोत ने कहा जितना महत्व कोरोना महामारी में सरकार ने मनुष्यों को बचाने में दिया, वही महत्व पशुओं को बचाने के लिए सरकार का रहेगा। किसी भी पशु की बीमारी से जान क्यों जाए ? इस बीमारी को फैलने में रोकने में सबकी भूमिका है। जो भी फैसले करने है,करेंगे। बिना टेंडर दवाइयां खरीद सकते हैं। इसकी छूट दी जाती है। अखिल अरोड़ा जल्द सर्कुलर निकाल देंगे। वार फुटिंग पर कैसे काम कर सकते हैं। यह देखना है।
बीकानेर जिला कलेक्टर को पशुपालन मंत्री की फटकार
सीएम की लाइव रिव्यू बैठक में बीकानेर जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल को पशुपालन मंत्री लालचन्द कटारिया ने फटकार लगा दी। मंत्री गोविंदराम मेघवाल ने जब मुख्यमंत्री को बताया कि बीकानेर में फील्ड फायरिंग रेंज में दिक्कत है। फायरिंग रेंज में पशु ज्यादा जाते हैं। वहां ज्यादा पशु मरे हैं। मिलिट्री वालों से मिलकर अस्पताल से भी अनुरोध है कि मरे हुए पशुओं दफाना दिए जाएं, तो बाकी पशु बीमारी से कम प्रभावित होंगे। लेकिन पूगल, खाजूवाला, छतरगढ़ क्षेत्र में स्टाफ की कमी हैं। आज भी मैं पूगल में हूं। स्टाफ की कमी पूरी करवाएं और टीमें बढ़ाने की जरूरत है। छतरगढ़ के गांव के लोग कह रहे थे कि टीम अभी तक वहां पहुंची ही नहीं है। कलेक्टर और पशुपालन अधिकारी टीम भेजें। 1300-1400 पशु बीकानेर जिले में मर गए हैं।
बीकानेर फील्ड फायरिंग रेंज में लंपी से मरे 261 पशु
इस पर बीकानेर कलेक्टर ने बताया फील्ड फायरिंग रेंज लूणकरणसर में है। वहां अभी तक 261 पशुओं की मौत हुई है। नागौर, गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू 4 जिलों से वहां गाय चरने के लिए पशुपालक छोड़ते हैं। बड़ा एरिया है। मरे पशुओं के डिस्पोजल के लिए वीडीओ को डेढ मीटर गड्ढा खोदकर चूना-नमक डालकर डिस्पोजल को कहा है। नई मरी गायें और पुरानी सड़क किनारे पड़ी मृत गायों का डिस्पोजल कर रहे हैं। 6 मोबाइल टीम काम कर रही है। स्टाफ का इश्यु है। एडिशनल डायरेक्टर ऑफिस में 10 LSA (पशुधन सहायक) बैठे हैं। कल फ्री करवाकर वहां दे देंगे।
मैंने परसो मीटिंग में कहा था,तो रिलीव करके क्यों नहीं भेजा ?
मंत्री लालचंद कटारिया ने कलेक्टर को फटकारते हुए कहा- मैंने परसो मीटिंग में कहा था कि जो 10 LSA (पशुधन सहायक) ऑफिस में बैठे हैं। उसी दिन रिलीव करके उन्हें फील्ड में भेजो। इस पर कलेक्टर ने कहा-एडिशनल डायरेक्टर ने अभी रिपोर्ट नहीं किया है। तो मंत्री ने कहा- फील्ड में स्टाफ की कमी है, तो तुरंत भेजना चाहिए था, बात हो गई थी। कलेक्टर ने फिर सफाई देते हुए कहा वहां एडिशनल डायरेक्टर हैं। अभी तक रिपोर्ट नहीं किया है। कल तक रिपोर्ट कर देंगे। मंत्री कटारिया ने कहा- जिन एडिशनल डायरेक्टर ने यह काम नहीं किया है, उन पर कार्रवाई करो। जब परसो जब कह दिया था, तो यह काम उसी टाइम हो जाना चाहिए था। वो ऑफिस में बैठे-बैठे क्या कर रहे हैं। उन्हें रवाना करो। इस पर कलेक्टर की बोलती बंद हो गई।