अभिनव टाइम्स ।गौवंश में फैल रही लंपी वायरस को राजस्थान सरकार महामारी घोषित कर सकती है। पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया और सचिव पीसी किशन ने कहा है कि महामारी एक्ट के नॉर्म्स दिखवाए जा रहे हैं। अगले एक-दो दिन में सरकार उचित फैसला लेगी। लंपी को महामारी एक्ट में लाने के लिए सरकार तेजी से काम कर रही है। इसकी वजह केंद्र सरकार का रवैया है। केन्द्र ने ‘लंपी’ को राष्ट्रीय आपदा मानने से इनकार कर दिया है। इसलिए राज्य सरकार अब अपने स्तर से एक्सरसाइज कर रही है।
इसलिए जरूरी है महामारी घोषित करना
प्रदेश के 33 में से 22 जिलों में यह बीमारी पशुओं में फैल चुकी है। राजस्थान में 2 लाख 51 हजार 458 गौवंश इंफेक्टेड हैं। 11 हजार 653 की मौत हो चुकी है। 2 लाख 13 हजार 674 का इलाज किया जा रहा है। 91 हजार 716 रिकवर हुए हैं। करीब 50 दिन पहले जैसलमेर में 6 गायों से लंबी के संक्रमण की शुरुआत हुई थी। अब यह जानलेवा बीमारी 22 जिलों में पैर पसार चुकी है। राजस्थान में 1.39 करोड़ गौवंश और 1.37 करोड़ भैंस हैं। इन्हें लंपी से बचाना जरूरी है। वरना पशुपालकों और किसानों को बहुत बड़ा नुकसान होगा। खेती के बाद पशुपालन गांवों की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
भावी खतरों को देखते हुए सरकार ले सकती है फैसला
गहलोत सरकार ने कोविड पीरियड के दौरान राजस्थान महामारी एक्ट-2020 लागू किया था। प्रोविजन है कि स्टेट अपने लेवल पर किसी बीमारी के तेजी से फैलने और भावी खतरों को देखते हुए उसे महामारी (Epidemic) घोषित कर सकता है। लंपी को महामारी घोषित किया, तो इससे सरकार को बीमारी की इफेक्टिव कंट्रोलिंग के लिए अधिकार मिलेंगे। पशुपालकों को पशुओं, गौवंश के इलाज, मेडिसिन और वैक्सीनेशन समेत कई तरह के सरकारी योजनाओं का फायदा मिल सकेगा।
हाल ही में जयपुर दौरे पर आए केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा था- देश में 5 राज्यों- पंजाब, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड और अंडमान निकोबार में ही लंपी डिजीज का ज्यादा असर है। गहलोत सरकार ने लंपी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और फंड जारी करने की मांग उठाई है। केन्द्र ने स्टेट फंड से ही तुरंत पैसा खर्च कर लंपी प्रभावित पशुओं और गायों का इलाज करने के लिए कहा है।