अभिनव टाइम्स बीकानेर | बुनियाद साहित्य एवं कला संस्थान और स्वयं प्रकाशन बीकानेर की ओर से आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में गुरुवार को स्वयं प्रकाशन कार्यालय में एक काव्य संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. नृसिंह बिन्नानी ने कहा कि साहित्यकार अपनी
रचनाओं के माध्यम से नई पीढ़ी को आजादी के लिए किए गए संघर्षों के बारे में बता सकते हैं। हिन्दी – राजस्थानी के वरिष्ठ कवि- गीतकार डॉ. शंकरलाल स्वामी ने ‘वंदे वतन’ कविता के साथ ही गजल ‘अपनी पीड़ कहूँ मैं कैसे, दिल का दर्द सहूं मैं कैसे ‘ सुनाकर उपस्थित श्रोताओं से सराहना प्राप्त की। कार्यक्रम में कवि- पत्रकार रमेश भोजक समीर ने कविता ‘जो हिस्सा होते हैं भीड़ का, वो सोचते नहीं, और जो सोचते हैं , वो नहीं बनते हिस्सा भीड़ का’ प्रस्तुत की। कवि- पत्रकार संजय आचार्य ‘वरुण’ ने ‘मेरे भारत की भूमि मुझको जन्नत से भी प्यारी है, मैं जीवन का हर इक पल इस धरा के नाम करता हूँ’ सहित राष्ट्र भावना से ओतप्रोत अनेक मुक्तक सुनाए। कवि- कथाकार सुनील गज्जाणी ने ‘ कितना मखमल सा आदमी है, शायद कांटों में खिला आदमी है’ रचना प्रस्तुत कर वाहवाही ली । डॉ. कृष्णा आचार्य ने राजस्थान की वीरांगना हीरा दे के बलिदान पर आधारित कविता प्रस्तुत की । जुगलकिशोर पुरोहित ने माता- पिता के कृतज्ञता प्रकट करता गीत सस्वर प्रस्तुत किया । हास्य कवि बाबूलाल छंगाणी ने ‘ मां पर केंद्रित कविता पढ़ी । वहीं कवि कैलाश टाक ने अपनी काव्य रचना प्रस्तुत की। इस मौके पर डा.कृष्ण लाल विश्नोई ने शहीदों को समर्पित रचना आजादी री जोत जगी, आ कद जगी आ कठे जगी का रचना पाठ किया। आयोजन के दौरान राष्ट्रीय कवि संगम की ओर से डा.कृष्णा आचार्य व अन्य आगंतुकों ने कवि गीतकार डा शंकरलाल स्वामी का माल्यार्पण कर शाल औढाकर सम्मान किया गया। समापन पर सुनीता स्वामी ने आभार व्यक्त किया। काव्य सःध्या में अनेक गणमान्यजन मौजूद रहे।