अलवर के बहरोड़ के नैनसुख मोहल्ले के 48 परिवारों के करीब 125 लोग गुरुवार को कलक्टर के पास पहुंचे। उनके हाथों में बड़ा बैनर था, जिस पर लिखा था- कलेक्टर साहब न्याय दो। यहां आए लोगों ने बताया कि इंदिरा आवास योजना के तहत 45 साल पहले उन्हें जमीन आवंटित की गई थी। अब तक पट्टा नहीं मिला है। अब कुछ लोग जमीन के पुराने कागज लगा कर फर्जकारी करने में लगे हैं। जिसके कारण उनके पट्टे अटक गए हैं।
सरकार ने आवंटित की थी जमीन
नैनसुख मोहल्ला निवासी रमेश ने बताया कि सरकार ने 1977 में करीब डेढ़ बीघा जमीन 48 परिवारों को आवंटित की थी। उस समय जमीन का खसरा नंबर बदलवाने का काम किया गया था। बाद में लोगों ने मकान बना लिए। अब पट्टे लेने की बारी आई तो पुराने खसरा नंबर के आधार पर काश्तकार ने जमीन पर स्टे ले लिया। गलत रिकॉर्ड पेश करने से इन परिवारों की परेशानी बढ़ गई है। जमीन का पट्टा नहीं दिया जा रहा है।
इन खसरा नबंर का मामला
यहां के लोगों ने बताया कि 1977 में खसरा नंबर 335 में एक बीघा 15 बिस्वा जमीन 48 परिवारों को आवंटित की थी। बाद में लोगों ने इस जमीन के बदले में खसरा नंबर 454 व 455 नंबर की जमीन ले ली। जमीन का रिकॉर्ड भी चेंज कराया था। उसी समय लोगों ने मकान बना लिए। अब पट्टे लेने की बारी आई तो पुराने काश्तकार ने जमीन के बदले जमीन ले ली थी। खुद के नाम करा ली। लेकिन, 48 परिवारों को जो जमीन दी गई उसमें से कुछ जमीन का हिस्से के पुराना रिकॉर्ड लगाकर कोर्ट से स्टे लिया है। यह सब पट्टे के आवेदन करने के बाद पता लगा। इस कारण काश्तकार के परिजनों ने गलत स्टे लिया है। इस मामले में कलेक्टर से मिलने आए हैं। ताकि पुराना रिकॉर्ड जांच कर मामले को दुरुस्त कराया जा सके और यहां रह रहे परिवारों को पट्टे मिल सकें।