जिले में आशा सहयोगिनियों की कोई सुध नहीं ले रहा है। पिछले 4 माह से इन्हें वेतन नहीं मिला है। दो विभागों के तालमेल में कमी का खामियाजा आशा सहयोगिनी भुगत रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग और चिकित्सा विभाग दोनों में आशा सहयोगिनियों को लेकर तालमेल नहीं है। चिकित्सा विभाग का तर्क है कि अभी स्पष्ट नियम नहीं आए हैं, कैसे वेतन दिया जाएगा। अभी हाल ही में सभी आशा सहयोगिनियों को चिकित्सा विभाग में मर्ज कर दिया गया था। इसके बाद से उन्हें मानदेय नहीं मिला है।
नाममात्र का मानदेय तय होने के बावजूद चार माह से मानदेय की राह ताक रही है। हाल ही में सरकार ने आशा को स्वास्थ्य विभाग के अधीन कर दिया था। मानदेय नहीं मिलने से आशाओं को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है।
झुंझुनूं जिले में 1554 आशा सहयोगी (महिला कार्यकर्ता) हैं। आशा सहयोगिनी को मार्च, 2022 में अधिकृत रूप से सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के अधीन कर दिया था। मार्च तक का मानदेय महिला अधिकारिता एवं बाल विकास विभाग को करना था लेकिन आशाओं को फरवरी तक का मानदेय दिया गया है।
महिला एवं बाल विकास विभाग ने मार्च का वेतन अटका रखा है। मार्च के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से आशाओं को मानदेय भुगतान करना था, लेकिन आज तक मानदेय नहीं मिला है। सरकार ने यह भी आदेश दिए थे कि अब आशाओं को 30 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ मानदेय मिलेगा।
जिला आशा समन्वयक स्वास्थ्य विभाग संजीव महला ने बताया कि इन्सेंटिव का भुगतान स्वास्थ्य विभाग की ओर से दिया जा रहा है लेकिन स्थायी मानदेय के संबंध में निदेशालय से कोई आदेश व गाइडलाइन नहीं आने के कारण मानदेय का भुगतान नहीं हो रहा है। इस संदर्भ में मुख्यालय को अवगत कराया है।
यह है मानदेय व इन्सेंटिव
एक आशा सहयोगिनी को हर माह 2790 रुपए मानदेय देना तय है। इसके अलावा इन्हें विभिन्न कार्यक्रमों के तहत कार्य करने के लिए इंसेंटिव दिया जाता है। हर माह आशा को 1250 से 2200 रुपए तक इंसेंटिव मिल रहा है। इनके जिम्मे प्रसूता स्वास्थ्य कार्यक्रम, शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम, शिशु टीकाकरण, परिवार कल्याण कार्यक्रम, नेशनल प्रोग्राम टीबी, कैंसर, मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाना, एनसीबी सर्वे करना परिवारों का, जिसमें उम्र, बीमारी आदि की जानकारी लेनी होती है।