~ संजय आचार्य वरुण
10 अक्टूबर 2024 की रात को बारह बजे बीकानेर के अंदरूनी क्षेत्र में जब लोग दिन भर की थकान से चूर होकर सोने की तैयारी कर रहे थे, उसी समय लगभग सवा बारह बजे बिजली चली गई। लोग इंतजार करने लगे कि अभी पांच- दस मिनट में आ जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बिजली आई रात को सवा दो बजे । तब तक लोगों ने अपनी खजूर की पंखियां निकाली, जो आजकल संभालकर ही रखनी पड़ती हैं, उनसे हवा करते हुए समय बिताने लगे। ऐसा पहली बार नहीं हुआ। इन दिनों अक्सर होता है।
पहले नहीं होता था, पिछले सात- आठ महीनों से हर दो- चार दिन के बाद होता है। रात को लोगों के सोने के समय बिजली जाने का वास्तविक कारण क्या है, यह तो बिजली कम्पनी ही बता सकती है। जब बिजली कम्पनी से इस बारे में पूछा जाता है तो कम्पनी के लोग यही कहते हैं कि कहीं फॉल्ट होगा तो बिजली जाएगी ही, हम जानबूझकर बन्द नहीं करते हैं। अब जनता का सवाल ये है कि ये फॉल्ट हमेशा रात को लगभग एक ही समय पर क्यों होता है ? क्या बिजली की लाइनों को समझाया हुआ है कि तुम्हारे खराब होने का समय ये रहेगा।
ऐसे तर्क वहां काम नहीं आते जहां कोई बीमार बिजली जाने के बाद घण्टों तक गर्मी में तड़पता हुआ पड़ा रहता है। स्वस्थ व्यक्ति या युवा तो उठकर खुले स्थान पर या छत आदि पर जा सकते हैं लेकिन बीमार और बुजुर्ग क्या करेंगे, उनको कितनी पीड़ा सहनी पड़ती है, कभी कम्पनी लाभ हानि के गणित से बाहर निकल कर इन बातों पर विचार करे। छोटे- छोटे नवजात बच्चे आधी रात को पसीने से पूरी तरह भीग जाते हैं। माताएं- बहनें दिन भर घर और बाहर के काम करती रहती हैं, क्या उन्हें सुकून से तीन- चार घण्टे सोने का भी अधिकार नहीं है।
बीकानेर की जनता तो बहुत सहनशील है। वह परिस्थितियों को समझती है, उसने कम्पनी, विभागीय कर्मचारियों और प्रशासन के प्रति सदैव सहयोग का भाव रखा है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उनकी सहनशीलता का इम्तिहान लिया जाएगा। यही वो आम जनता है जिसे बिल भरने के एक- दो महीने ऊपर चढ़ते ही कनेक्शन कटने का छपा- छपाया नोटिस भेज दिया जाता है। ये याद रखा जाना चाहिए कि जो जनता नोटिस लेती है वो नोटिस देना भी जानती है। जन प्रतिनिधि इस समस्या से अपने आप को अलग नहीं रख सकते, उनका दायित्व है कि वे जनता की मूल आवश्यकताओं की आपूर्ति के प्रति सजग रहें।
जिला प्रशासन और सरकार को इस मसले पर स्वयं संज्ञान लेते हुए उचित हस्तक्षेप करना चाहिए। इन्वर्टर लगे हुए आलीशान घरों में रहने वाले नेता और अधिकारीगण इस बात को समझें कि इस शहर के हजारों घरों में आज भी इन्वर्टर नहीं है, उन घरों के लोगों को अगली सुबह जल्दी उठकर मजूरी के लिए भागना पड़ता है।