अभिनव न्यूज, बीकानेर। प्रज्ञालय संस्थान द्वारा आज अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस के अवसर पर प्रातः ‘लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन’ में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए अनुवाद के राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस की सार्थकता महत्वपूर्ण है, क्योंकि अनुवाद के माध्यम से वैश्विक स्तर पर और भारतीय संदर्भ में अनुवाद ज्ञान का प्रसार एवं संस्कृति का संवाहक है तथा राष्ट्रों के मध्य परस्पर अवगमन और सद्भाव की वृद्धि में योगदान करता है। अपने विचार रखते हुए भवानी सिंह ने कहा कि 30 सितम्बर, 2024 अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस मनाने के पीछे भाषायी स्तर पर साहित्य को समझने और समृद्ध करने हेतु संकल्प लेने का अवसर है।
इसी क्रम में युवा कवि, नाटककार पुनीत रंगा ने कहा कि वैसे तो प्राचीन मिस्त्र में पन्द्रहवीं शताब्दी में अनुवाद के लिखित प्रमाण मिलते है और उसके बाद में विश्व स्तरीय पर अनुवाद का कार्य साहित्य व अन्य विषयों की पहुंच विश्व स्तरीय पर पहुचाने में अनुवाद कला बहुत उपयोगी रही है। गिरिराज पारीक ने कहा कि अनुवाद एक कला ही नहीं अपितु विज्ञान भी है, जो दो भाषाओं के बीच एक सेतु का काम करती है। शिक्षाविद् राजेश रंगा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि भाषाएं केवल संवाद का साधन नहीं है, अपितु वे अनुवाद के माध्यम से विचारों का आदान-प्रदान भी करती है। इस अवसर पर करुणा क्लब के हरिनारायण आचार्य ने कहा कि 30 सितम्बर का मनाए जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस अनुवादको के योगदान को मान्यता देने के लिए समर्पित है। इस अवसर पर अनेक अध्ययनशील बालक-बालिकाओं ने अनुवाद के महत्व को लेकर अपनी जिज्ञासाएं रखी। कार्यक्रम का संचालन इंजी. आशिष रंगा ने किया।