अभिनव न्यूज, नेटवर्क। इस बार त्योहारी सीज़न महंगा रहेगा क्योंकि खाने के तेल की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे लोगों को महंगाई का जोरदार झटका लगने वाला है। सिर्फ एक सप्ताह में रिफाइंड तेल की कीमत में 40 रुपए प्रति किलो की बढ़ोतरी हो गई है, जो अब तक की सबसे ऊंची कीमत पर पहुँच चुकी है। रिफाइंड तेल की कीमतें अब पांच साल पहले की कीमतों की ओर लौट रही हैं, जब एक टिन रिफाइंड तेल की कीमत 2000 रुपये तक पहुँच गई थी और लोगों में हाहाकार मच गया था।
एक सप्ताह पहले रिफाइंड तेल 1600 रुपये से लेकर 1650 रुपये प्रति टिन बिक रहा था। लेकिन जैसे ही व्यापारिक क्षेत्रों में यह चर्चा होने लगी कि इस बार कपास की फसल को कुछ नुकसान हुआ है, रिफाइंड तेल की कीमतें बढ़ने लगीं। हालांकि, कपास की फसल को होने वाले नुकसान का बड़ा असर नहीं था, फिर भी कीमतें तेजी से बढ़ने लगीं। इसके अलावा विदेशों से आयातित तेल पर 20% ड्यूटी लगने के कारण रिफाइंड तेल और भी महंगा हो गया है। अब रिफाइंड तेल की थोक कीमत 2050 रुपये प्रति टिन हो गई है।
त्योहारी सीज़न के दौरान विशेषकर करवा चौथ जैसे त्योहारों के कारण बाजार में मिठाइयों और पकवानों की बिक्री बढ़ जाती है। इसलिए आटे और मैदे के बाद रिफाइंड तेल की कीमतों में भी तेजी आई है। पहले थोक बाजार में रिफाइंड तेल का एक पैकेट 100 रुपये में बिकता था, जबकि खुदरा बाजार में यह पैकेट 110 रुपये का बिकता था। अब इसकी कीमत बढ़कर 135 रुपये हो गई है।
रिफाइंड तेल की महंगाई का सबसे बड़ा असर मिठाइयों और पकवानों की कीमतों पर पड़ा है। त्योहारी सीज़न की बढ़ती कीमतों ने सिर्फ रिफाइंड तेल की कीमतों को ही नहीं बढ़ाया, बल्कि अन्य वस्तुओं की कीमतों में भी तेजी देखी गई है। सरसों के तेल की 115 रुपये वाली बोतल अब 160 रुपए तक पहुँच गई है। तीन दिन पहले थोक बाजार में बादाम की गिरी की कीमत 540 रुपये प्रति किलो थी, जो अब 740 रुपये प्रति किलो हो गई है। देसी घी की कीमत में भी 50 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी देखी गई है।
सरकारी टेंडर द्वारा कणक (गेंहू) की बिक्री नहीं होने के कारण आटे और मैदे की कीमतों में तेजी थमने का नाम नहीं ले रही है। वर्तमान में कणक की कीमत 2750 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुँच गई है।