Welcome to Abhinav Times   Click to listen highlighted text! Welcome to Abhinav Times
Thursday, September 19

‘सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं…’, 42 साल जिंदा रहे, लिखी लाइनें जिंदगी भर के लिए अमर हो गई

अभिनव न्यूज, नेटवर्क। 1 सितंबर 1933 को यूपी के बिजनौर में पैदा हुए दुष्यंत कुमार त्यागी ने बहुत ही कम समय में शायरी के लेखन में अपनी पहचान बनाई. वह सिर्फ 42 वर्ष तक जिंदा रहे, लेकिन उन्होंने हिंदी के जाने-माने कवि और शायर के तौर पर खुद को स्थापित किया. उनकी कविताओं और गजलों में क्रांति झलकती थी. तभी तो उन्होंने लिखा ‘सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए…पीर पर्वत सी हो गई है पिघलनी चाहिए …दुष्यंत कुमार की कविता ने क्रांति का ऐसा जोश भरा कि हर ओर सिर्फ उन्हीं की चर्चा होती थी.

सत्‍त्ता के गलियारों में गूंजता नाम
वे हिंदी साहित्य के ऐसे कवि थे, जिन्होंने न केवल सामाजिक मुद्दों पर लिखा बल्कि राजनीतिक मुद्दों पर भी अपने लेखन के माध्यम से अपनी बातों को बेबाकी से रखा. ‘भूख है तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ, आजकल दिल्ली में है, जेरे बहस ये मु्ददा, गिड़गिड़ाने का यहां कोई असर होता नहीं, पेट भरकर गालियां दो, आह भर कर बद्दुआ’, दुष्यंत कुमार की ये कविता गरीबी को रेखांकित करती है.

Click to listen highlighted text!