अभिनव न्यूज, बीकानेर। अजित फाउण्डेशन द्वारा आयोजित मासिक पुस्तक चर्चा कार्यक्रम के तहत इस माह साहित्कार सरोज भाटी की ‘‘शब्द सार सहस्त्र धार‘‘ पुस्तक पर चर्चा अजित फाउंडेशन सभागार में आयोजित की गई। इस पर अवसर पर मुख्य समीक्षक के रूप में पुस्तक की समीक्षा करते हुए कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि कालयात्रा की दृष्टि से छंद विधा सबसे पुरातन, सबसे अधिक लोकप्रिय और प्रासंगिक मानी गई है।
पुस्तक में विभिन्न विषयों पर 1111 दोहों का समावेश है जोकि बहुत ही उम्दा भाषा में लिखे गए है। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. नरसिंह बिनानी ने कहा कि पुस्तक ‘‘गागर में सागर’’ भरने जैसी है। इस पुस्तक में कम शब्दों में बहुत ज्यादा बात कही गई है जोकि समाज एवं वर्तमान परिवेश के लिए बहुत आवश्यक है। पुस्तक की लेखिका सरोज भाटी ने कहा कि हमारे लगभग सभी शास्त्र छंद विधा में लिखे गए है और मेरे द्वारा रचित ये दोहे भी छंद विधा से ही प्रेरित है। इस पुस्तक की नींव कोराना काल में रखी गई उस दौरान दौहा विधा में लिखने हेतु स्वयं द्वारा प्रेरित हुई। कार्यक्रम संयोजक व्यंग्यकार – संपादक प्रो. डॉ. अजय जोशी ने कहा कि दोहो में संप्रेषणीयता होना जरूरी है जिससे उनकी गेयता बढ़ती है जिससे वो जन-जन तक पहुंच पाते हैं।
संस्था समन्वयक संजय श्रीमाली ने संस्था द्वारा संचालित सभी गतिविधियों से सभी को अवगत करवाया। कार्यक्रम में जुगल किशोर पुरोहित, डॉ. कृष्णा आचार्य, बाबूलाल छंगाणी, यामिनी जोशी, डॉ. जगदीश बारहठ, डॉ. मोहम्मद फारूक चौहान, राजेन्द्र जोशी, डॉ. शंकरलाल स्वामी आदि ने सरोज भाटी की पुस्तक के विविध आयामों पर चर्चा की। साथ ही परशुराम भाटी, गिरीराज पारीक, चंद्रशेखरआचार्य, कासिम बीकानेरी, योगेन्द्र पुरोहित, बी.एल नवीन आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में बाबूलाल छंगाणी ने सभी आगन्तुकों का संस्था की तरफ से आभार ज्ञापित किया।