अभिनव न्यूज, बीकानेर। पुष्करणा दिवस की पूर्व संध्या पर लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि-कथाकार कथाकार कमल रंगा ने कहा की पुष्करणा समाज एक ऐतिहासिक समाज है जिसकी नींव राजा दाहिर के शासन काल से है। अपनी बात रखते हुए रंगा कहा कि समाज की ऐतिहासिक और पौराणिकता का भान समाज को होना चाहिए।
इसके साथ ही कमल रंगा ने अपनी कविता ‘सगला भाई बैन आर लेवा समाज उत्थान रो संकल्प आ ही है पुष्करणा दिवस री सार्थकता’ का भी वाचन किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि साहित्यकार पार्षद सुधा आचार्य ने संस्था को इस बेहतरीन आयोजन के लिए साधुवाद दिया, उन्होंने प्रकृति को बचाने के लिए पुष्करणा समाज को आगे बढ़ने के लिए कहा। इसके साथ ही उन्होंने अपनी कविता ‘कमल की भांति पल्लवित होता है मेरा पुष्करणा समाज’ का पाठ किया । कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि द पुष्करणाज फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक गोपीनाथ छंगाणी ने कहा कि समाज को एक साथ एकत्रित हो कर इस तरीके के कला, संस्कृति से जुड़े कार्यक्रम आयोजित करते रहने चाहिए।
स्वागत उद्बोधन देते हुवे ज्योतिषी जुगल छंगाणी ने पुष्करणा दिवस की शुभकामनाए देते हुए समाज के निरंतर उत्थान हेतु युवाओं को आगे आने के लिए आवाह्न किया। कार्यक्रम में युवा गीतकार आनंद मस्ताना ने ‘यही आगे बढ़ने का प्रथम दस्तूर है’ रचना का पाठ किया। गीतकार जुगल किशोर पुरोहित ने पुष्करणा समाज मंगलम अपनी नवीन रचना का वाचन किया। कार्यक्रम में राजस्थानी के गीतकार, कवि विप्लव व्यास ने ‘केड़ो करे विकास नी आवे समाज’, कवयित्री डॉ.कृष्णा आचार्य ने ‘नादान परिंदा भटक गया’, हास्य कवि बाबूलाल छंगाणी ने ‘दुनिया में लोग मुस्कुराते कम है किसी को थोड़ा किसी को ज्यादा गम है’, संजय आचार्य वरुण ने अपनी कविता ‘गांव पुराना पनघट वाला, कहां मिलेगा बतलाओ’ सुना कर राजस्थान में गुम होती परंपराओं की ओर सभी का ध्यान आकर्षित किया। इसके साथ ही रंगा राजस्थानी ने ‘चांदी का चम्मच ये क्या जाने जिनको सहज सब मिल गया वो संघर्षों को क्या जाने’ कविता का पाठ किया । कार्यक्रम का संचालन युवा कवि योगेश राजस्थानी ने किया सभी कवियों और अतिथियों का आभार संस्था अध्यक्ष राजेश रंगा ने किया। कार्यक्रम की आगामी भूमिका कृष्णचंद्र पुरोहित ने बताई। कार्यक्रम में भवानी सिंह, कार्तिक ओझा अशोक शर्मा, मोहित पुरोहित आदित्य पुरोहित, योगेंद्र पुरोहित, घनश्याम ओझा आदि लोग उपस्थित थे