अभिनव न्यूज, नेटवर्क। देश के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश नहीं मिलने के बाद प्रति वर्ष हजारों स्टूडेंट चीन और रूस सहित विभिन्न देशों में जाकर एमबीबीएस करने के लिए वहां के मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेते हें। लेकिन रूस में यह पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को कोर्स पूरा करने के बाद इंटर्नशिप नियमों की जानकारी नहीं मिल पा रही है।
चीन के शिक्षा मंत्रालय की ओर से नियमों व गाइडलाइन की जानकारी भारतीय दूतावास और भारतीय विद्यार्थियों को दी जा चुकी है लेकिन रूस के किसी भी सरकारी विभाग ने 6 वर्ष के बाद की इंटर्नशिप के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई है।
प्रभावित विद्यार्थियों के अनुसार 6 वर्ष यानी 12 सेमेस्टर के दौरान इंटर्नशिप तकनीकी रूप से मान्य नहीं हो सकती। इंटर्नशिप से पहले मेडिकल की पूरी पढ़ाई हो जाना अनिवार्य होता है। इंटर्नशिप के दौरान स्टूडेंट वरिष्ठ चिकित्सक के मार्गदर्शन में अस्पताल में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं।
रूस की सरकार की ओर से इस तरह का कोई दस्तावेज भारत सरकार, नेशनल मेडिकल कमीशन या भारतीय दूतावास को नहीं दिया गया है, जिसमें यह लिखा हो कि 6 वर्ष के बाद वहां के विश्वविद्यालय भारतीय विद्यार्थियों को इंटर्नशिप कैसे करवाएंगे, इंटर्नशिप अवधि की फीस क्या होगी या इंटर्नशिप का पृथक सर्टिफिकेट किस तरह मिलेगा।
क्या फर्क पड़ेगा
रूस में इंटर्नशिप नहीं होगी तो डिग्री भारत में मान्य नहीं होगी क्योंकि भारत सरकार के अनुसार जिस देश से एमबीबीएस कर रहे हैं, उसी देश के उसी विश्वविद्यालय से 12 महीने की इंटर्नशिप करनी जरूरी है, जो कोर्स समाप्त होने के बाद होनी चाहिए। यह इंटर्नशिप पूरी नहीं होने के कारण स्टूडेंट्स फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम या नेशनल एक्जिट टेस्ट (नेक्सट) नहीं दे पाएंगे।