अमृतकाल का सुनहरा बजट
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का यह पहला बजट भारत की अर्थव्यवस्था के लिहाज़ से ‘अमृतकाल’ का सुनहरा दस्तावेज हैकर्मचारियों की दृष्टि से निराशाजनक बजट। इसमें विकसित भारत 2047 को केंद्र में रखकर राष्ट्र के सर्वांगीण विकास की परिकल्पना को आकार दिया गया है। युवा वर्ग व किसान वर्ग के लिए इसमें जनहितैषी बिंदुओं को शामिल किया गया है। देश के विभिन्न वर्गों के लिए इस बजट में महत्वपूर्ण पहलुओं पर गंभीर विचार- विमर्श के पश्चात आर्थिक नीतियों का निर्धारण किया गया है।
कोरोना की विभीषिका के पश्चात बिगड़ी हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में देश की आर्थिक नीतियों में विकास की समग्र सरंचना खड़ी की गई जिसके फलस्वरूप आज भारत विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओ में शुमार है। वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में समावेशी सामाजिक विकास, श्रम सुधार, भूमि सुधार के माध्यम से नवाचार अनुसंधान व विकास को दृढ़ता प्रदान की गई है।सतत बढ़ते विकास सूचकांक, प्रति व्यक्ति आय और जीडीपी की ग्रोथ भारतीय अर्थव्यवस्था की समृद्धि को दर्शाती है।सरकार ने बजट में अपनी नीतियों के माध्यम से तीसरे कार्यकाल को अति- महत्वपूर्ण बनाने की दिशा में दीर्घजीवी कदम बढ़ाये है।
-डॉ. सुरेन्द्र सिंह शेखावत
भाजपा नेता, बीकानेर
कर्मचारियों की दृष्टि से निराशाजनक बजट
आम बजट सरकारी कर्मचारियों और मध्यम वर्ग की दृष्टि से बेहद निराशाजनक है।कर्मचारी लंबे समय से पुरानी पेंशन को लागू करने या एनपीएस में न्यूनतम पेंशन की गारंटी की मांग कर रहे थे। इस हेतु उन्होंने बड़े बड़े आंदोलन भी किए। सरकार ने इस संबंध में एक कमेटी का गठन भी किया। कमेटी ने लंबे समय बाद दी गई अपनी रिपोर्ट में अंतिम मूल वेतन के पचास प्रतिशत गारंटेड पेंशन देने की सिफारिश भी की।
सरकार ने विभिन्न स्तरों पर पेंशन सुधार हेतु आश्वासन भी दिए गए लेकिन बजट में इस संबंध में कोई घोषणा नहीं की गई। बजट में इस संबंध में केवल एक मात्र घोषणा यह थी कि एनपीएस में नियोक्ता का अंशदान 10 प्रतिशत से 14 प्रतिशत किया जाएगा। एनपीएस में नियोक्ता का 14 प्रतिशत अंशदान कई राज्य सरकारों द्वारा पहले भी किया जा चुका है। पेंशन के अतिरिक्त कर्मचारी वर्ग सबसे अधिक प्रभावित होता वह आय कर है क्योंकि उसके वेतन में से आयकर की कटौती पहले ही कर ली जाती है। आयकर में भी कर्मचारी वर्ग को मिली छूट नाम मात्र की है।
– प्रो. डॉ.अजय जोशी
आर्थिक चिन्तक एवं विश्लेषक
बजट मोदी की गारंटी का बजट है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह बजट विकसित भारत की परिकल्पना, अंत्योदय के प्रति दृढ़ संकल्प, एवं नए भारत को वैश्विक विकास का अग्रदूत बनाने का रोड मैप है नए भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का मार्ग प्रशस्त करते हुए इस लोक कल्याणकारी विकासोन्मुख तथा सर्वसमावेशी बजट के लिए माननीय प्रधानमंत्री का हार्दिक आभार एवं माननीय वित्त मंत्री का धन्यवाद। इस बजट में युवाओं, किसानों, महिलाओं और आम आदमी पर फोकस किया गया है ये मोदी की गारंटी का बजट है।
– विजय आचार्य
शहर जिलाध्यक्ष भाजपा बीकानेर
बजट में आम आदमी के लिए कुछ नहीं
इस बजट में आम आदमी के लिए यानी कि हिन्दुस्तान की 140 करोड़ जनता के लिए कुछ नहीं है, उनकी अनदेखी की गई है किसानों के MSP पर कोई बात नहीं हुई है तो उनकी आय के बढ़ने के स्रोत की किसी तरह की बात करनी बेमानी है। यह गठबंधन को मज़बूत रखने के लिए तथा आगामी दिनों में जहाँ चुनाव होने वाले है वहाँ की जनता को जैसे बीजेपी की फ़ितरत है, उनको लॉलीपॉप दी है। महंगाई पर कोई बात नहीं कही गई है।
एजुकेशन व हेल्थ पर ना के बराबर बात की गई है।
– संजय आचार्य
पूर्व ज़िलाध्यक्ष यूथ कांग्रेस व एनएसयूई
अमृतकाल का सुनहरा बजट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का यह पहला बजट भारत की अर्थव्यवस्था के लिहाज़ से ‘अमृतकाल’ का सुनहरा दस्तावेज है इसमें विकसित भारत 2047 को केंद्र में रखकर राष्ट्र के सर्वांगीण विकास की परिकल्पना को आकार दिया गया है युवा वर्ग व किसान वर्ग के लिए इसमें जनहितैषी बिंदुओं को शामिल किया गया है
अशोक आचार्य
पूर्व उप महापौर बीकानेर